नारायणपुर (वीएनएस)। नारायणपुर जिले में मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान का तृतीय चरण बीते 22 नवम्बर से शुरू होकर लक्ष्य पूरा कर 31 दिसम्बर को समाप्त हो गया। जिले में मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान का असर अब दिखने लगा है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले को 1 लाख 31 हजार 600 लोगों के परीक्षण का लक्ष्य रखा गया था। इस लक्ष्य को जिले के स्वास्थ्य योद्धाओं ने पूरा कर लक्ष्य से अधिक लोगों की मलेरिया जांच की है। कलेक्टर धर्मेश कुमार साहू ने लक्ष्य से अधिक लोगों की मलेरिया जांच करने पर स्वास्थ्य विभाग की टीम केा बधाई दी। इस चरण में 1 लाख 32 हजार 446 लोगों के रक्त की जांच की गई है, जो कि लक्ष्य से अधिक है। इनमें से 2847 लोग मलेरिया पॉजिटिव पाए गए हैं। पूर्व चरणों की अपेक्षा इस चरण में मलेरिया पॉजिटिव व्यक्तियों की संख्या में कमी आयी है। पूर्व में किये गये प्रयासों के कारण ही यह कमी देखी जा रही है। ज्ञातव्य हो कि नारायणपुर जिले को मलेरिया, एनीमिया और कुपोषण से मुक्त करने के उद्देश्य से मलेरिया मुक्त अभियान की शुरूआत की गई है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ बी आर पुजारी ने जानकारी देते हुए बताया कि कलेक्टर धर्मेश कुमार साहू के निर्देशानुसार इस अभियान में मलेरिया के बचाव की जानकारी लोगों तक पहुंचाने हेतु व्यापक प्रचार-प्रसार किया गया था। उन्होंने बताया कि इस क्रम में अब तक जिले के 24 हजार 660 घरों, स्कूल आश्रम का सर्वे किया गया है। जिसमें अर्धसैनिक बलों के कैम्प भी शामिल है। डॉ पुजारी ने बताया कि अभियान के दौरान अब तक 246 घरों में मलेरिया के लार्वा मौजूद मिले। जिन्हें मौके पर ही सर्वेक्षण दल द्वारा नष्ट किया गया। दल द्वारा मच्छरदानी देकर उसे लगाने के लिए भी लोगों को प्रेरित किया जा रहा है। मलेरिया की जांच व उपचार के साथ ही सर्वे दल द्वारा लोगों को इससे बचाव और मच्छरदानी लगाकर सोने के लिए जागरूक किया जाता है। इसका भी सकारात्मक असर देखा गया है। इस अभियान के दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीम ने विभाग द्वारा दिए गए मेडिकेटेड मच्छरदानी 25 हजार 666 घरों में नियमित उपयोग करते हुए पाया। मलेरिया पाए जाने पर दल के सदस्य पीड़ितों को तत्काल अपने सामने ही दवा की पहली खुराक खिलाते हैं। गांव में पदस्थ स्वास्थ्य अमले द्वारा मरीजों का नियमित फालो-अप किया जाता है। मरीज दवाई की पूरी खुराक ले रहे हैं या नहीं, इसकी स्थानीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता एवं मितानिनें निगरानी करती हैं। पुष्टि के लिए मरीजों से दवाईयों के खाली रैपर भी संग्रहित किए जाते हैं। हर घर और हर व्यक्ति की जांच सुनिश्चित करने के लिए घरों में स्टीकर चस्पा कर जांच किए गए लोगों के पैर के अंगूठे में निशान लगाकर मार्किंग भी की जाती है।
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