नई दिल्ली (वीएनएस)। भारत के जंगलों में अगले पांच वर्ष में करीब 50 चीते दौड़ते नजर आ सकते हैं। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की बुधवार को हुई बैठक में इसका एक्शन प्लान पेश किया गया। केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र सिंह यादव ने बैठक में बताया कि देश में चीतों सहित शेरों के परिवार की सात प्रमुख प्रजातियों के संरक्षण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिलचस्पी दिखाई है।
उल्लेखनीय है कि देश में आजादी तक चीते हुआ करते थे, लेकिन शिकार के चलते यह पूरी तरह विलुप्त हो गए। वन मंत्री भूपेंद्र सिंह यादव ने बताया कि इन 50 चीतों को देश के विभिन्न राष्ट्रीय उद्यानों में बसाया जाएगा। उन्होंने एक्शन प्लान को लेकर बताया कि यह चीतों की आबादी बढ़ाने और उन्हें संरक्षण देने पर केंद्रित रहेगा। एनटीसीए की बैठक हर साल तीन बार अप्रैल, अगस्त व दिसंबर के पहले हफ्ते में करने की जरूरत भी उन्होंने बताई।
बैठक में यह मुद्दे भी रखे
पूर्वोत्तर राज्यों में एयरगन समस्या बड़ी है। उसे सरेंडर के लिए प्रेरित करें। वन्यजीवों को हो रहे नुकसान के बारे में लोगों को बताएं। देश में 14 टाइगर रिजर्व को बाघ संरक्षण के लिए बने अंतरराष्ट्रीय मानक सीएटीएस द्वारा संबद्धता दी गई है। एनटीसीए और रिजर्व को भी संबद्धता दिलाने के लिए इनके मूल्यांकन पर काम कर रही है।
बैठक में वाटर एटलस जारी किया गया, जिसमें देश के बाघों की मौजूदगी वाले जंगलों में जल स्रोतों की जानकारी दी गई।
बाघों के जंगलों में 35 नदियों का उद्गम
केंद्रीय वन मंत्री ने कहा कि सबसे अहम बाघों की सही गणना है ताकि उनकी सही स्थिति सामने आए। पांचवें चरण की अखिल भारतीय बाघ गणना जारी है, यह निर्णय में मदद करेगी। देश में 51 बाघ रिजर्व हैं, कोशिश की जा रही है कि ज्यादा क्षेत्रों को बाघ रिजर्व के नेटवर्क में लाया जाए। यह जंगल केवल बाघों के लिए महत्वपूर्ण नहीं हैं, बल्कि 35 नदियों का उद्गम भी है।