रायपुर (वीएनएस)। जिले में हिन्दी साहित्य सम्मेलन में चार साहित्यकारों को वार्षिक पुरस्कार सम्मान समारोह के अंतर्गत कार्यक्रम में पुरस्कृत किया गया। वरिष्ठ संस्कृतिकर्मी डॉ. कल्याण कुमार चक्रवर्ती इस अवसर पर मुख्य अतिथि रहे, तथा वरिष्ठ लेखक बी.के.एस. रे ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। डॉ. जीवन यदु, खैरागढ़ को मायाराम सुरजन स्मृति लोकचेतना अलंकरण 2021, डॉ. रजत कृष्ण, बागबाहरा को सप्तपर्णी सम्मान 2021, डॉ. कालीचरण यादव, बिलासपुर को भगवान सिंह ठाकुर स्मृति समाजशास्त्रीय लेखन सम्मान 2021 व यशपाल जंघेल, तेंदुभाठा (छुईखदान) को राजनारायण मिश्र स्मृति पुनर्नवा पुरस्कार 2021 मुख्य अतिथियों के कर कमलों से प्रदान किया गया। सम्मेलन के अध्यक्ष रवि श्रीवास्तव ने अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि डॉ. कल्याण कुमार चक्रवर्ती एवं बी.के.एस. रे जहां भी रहे उन्होंने कीर्तिमान रचा है।
सम्मान के बाद अपने वक्तव्य में डॉ. जीवन यदु ने मायाराम सुरजन को याद करते हुए कहा कि उनके साथ अनेक कार्यक्रमों में जाना होता था। वे अक्सर उनको गीत सुनाने का आग्रह करते थे। वे मंच से गीतों को हिम्मत के साथ सुनाते हैं। इप्टा ने उनके गीत का चयन कर दिल्ली की सडक़ों पर हुए आंदोलन के दौरान पेश किया था। डॉ. रजत कृष्ण ने याद करते हुए कहा कि ललित सुरजन हमेशा उत्साहवर्धन करते थे और इसी वजह से उन्हें यहां तक पहुंचने की प्रेरणा मिली। डॉ. कालीचरण यादव लोक संस्कृति पर केन्द्रित पत्रिका ‘मड़ई’ का पिछले 29 वर्षों से संपादन व प्रकाशन कर अभिनव मिशाल पेश कर रहे हैं। यशपाल जंघेल ने याद करते हुए कहा कि उन्हें वर्ष 2014 में सम्मेलन के कार्यक्रम में शामिल होने का अवसर मिला था। डॉ. गणेश शंकर पांडेय ने प्रशस्ति पत्र का वाचन किया। इस अवसर पर जूरी सदस्यों में से उपस्थित प्रो. थानसिंह वर्मा, राजनांदगांव का भी सम्मान किया गया।
मुख्य अतिथि डॉ. कल्याण कुमार चक्रवर्ती ने कहा कि सुरजन परिवार से वे पिछले पांच-छरू दशक से जुड़े रहे। मायाराम सुरजन व ललित सुरजन समाज को संस्कारित करने के अभियान में आगे रहते थे। उन्होंने कहा कि सभ्यता, विकास व संस्कृति का समन्वय तथा प्रकृति और संस्कृति का संतुलन बना रहना चाहिए। लोक साहित्य की वाचिक परंपरा है। हमें निरंतरता का चरित्र पहचानना है। भाषा के लचीलेपन को पहचानने से साहित्य और सभ्यता जीवंत बने रहेंगे। हमें यह जानना है कि साहित्य और शिल्प की परंपरा कैसे बनी। छत्तीसगढ़ में सांस्कृतिक और जैविक वैभव विद्यमान हैं। एक साहित्यकार को न सिर्फ लिखना है बल्कि समाज को संस्कारित भी करना है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बी.के.एस रे ने कहा कि संस्कृति ऐसी चीज है जो हमारे अस्तित्व से जुड़ी रहती है। संस्कृति को नष्ट करना असंभव है। संस्कृति का क्षेत्र विश्वव्यापी है। संस्कृति में भावनाओं की जड़ है। लेखक को अत्याचार, दमन व शोषण के खिलाफ कलम उठाकर हिम्मत दिखाना होगा। यदि संस्कृति का अंत होगा तो साहित्य पर प्रभाव पड़ेगा। सम्मेलन के महामंत्री डॉ. राकेश कुमार तिवारी ने प्रारंभिक वक्तव्य देते हुए विषय की जानकारी दी। सम्मेलन के प्रबंध मंत्री राजेन्द्र चांडक ने कार्यक्रम का संचालन किया व अजय चन्द्रवंशी, कर्वधा ने सभी अतिथियों के प्रति आभार माना।