बेमेतरा (वीएनएस)। कृषि विज्ञान केन्द्र बेमेतरा की ओर से जिला प्रशासन के सौजन्य से तथा वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी, विकासखंड-साजा, कृषि विभाग, बेमेतरा के सहयोग से ग्राम पातरझोरी व पथर्रीखुर्द में मधुमक्खी पालन का कार्य सरसों, अलसी, सूरजमुखी, धनिया फसल एवं बबूल में प्रायोगिक तौर पर प्रारंभ किया गया है। जिसके लिए कृषकों के प्रक्षेत्र में लगभग 90 एकड़ में अलसी, 50 एकड़ में सरसों फसल का अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन कार्यक्रम कृषि प्रौद्योगिक अनुप्रयोग व अनुसंधान संस्थान, जबलपुर के सौजन्य से एवं कृषि विभाग बेमेतरा के सहयोग से लिया गया, ताकि तिलहनी फसलों में मधुमक्खी पालन कार्य का ऑकलन किया जा सके। कृषि विज्ञान केन्द्र, बेमेतरा के वैज्ञानिकों की ओर से बताया गया कि आगामी मौसम में अलसी, सूरजमुखी, धनिया व बबूल इत्यादि से प्रायोगिक परीक्षण मधुमक्खी पालन व शहद निष्कासन कार्य के लए किया जाएगा।
इसी तारतम्य में जिला प्रशासन, बेमेतरा के मार्गदर्शन में ग्राम पातरझोरी व पथर्रीखुर्द से एक-एक किसान क्रमष: ग्राम पातरझोरी से सुंदरलाल व ग्राम पथर्रीखुर्द से संजय कुमार वर्मा का चयन कृषि विज्ञान केन्द्र, बेमेतरा की ओर से कर केन्द्रीय मधुमक्खी अनुसंधान व प्रशिक्षण संस्थान, खादी और ग्रामोद्याग आयोग, पुणे भेजा गया। एक मासिक प्रषिक्षण कार्यक्रम में कृषकों को मधुमक्खी पालन पर संपूर्ण प्रषिक्षण दिया गया, ताकि कृषकों को खेती से अतिरिक्त आय मधुमक्खी पालन से प्राप्त हो। संपूर्ण प्रशिक्षण प्राप्त कर कृषकों ने बताया कि मधुमक्खी पालन से संबंधित विभिन्न विषयों जैसे रानी मधुमक्खी की पहचान, मधुमक्खी परिवार की जाकारी, मधु पेटी की साफ-सफाई, मधुमक्खी के रोगों की पहचान व उनका निदान, मधु निष्कासन का तरीका इत्यादि सफलतापूर्वक सैद्धांतिक व प्रायोगिक रूप से प्राप्त कर आये हैं। मधुमक्खी पालन के लिए कृषकों को खादी व ग्रामोद्योग विभाग से वित्तीय सहयोग दिलाने में कृषि विज्ञान केन्द्र, बेमेतरा की ओर से प्रयास किया जाएगा। कृषकों को उत्पादित शहद का विक्रय मूल्य भी चेक के माध्यम से प्रदान किया गया।
जिला कलेक्टर विलास भोसकर संदीपान और लीना कमलेश मांडवी मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला-पंचायत के मार्गदर्शन में कृषि विज्ञान केन्द्र, बेमेतरा की ओर से जिला खनिज संस्थान न्यास से 50-50 मधुमक्खी पेटी ग्राम पातरझोरी व ग्राम पथर्रीखुर्द तथा 25 पेटी ग्राम कुरूद विकासखंड-साजा में स्थापित किया जाना प्रस्तावित है। जिससे कि माह दिसम्बर से मार्च तक स्थापित मधुमक्खी पेटियों से शहद निष्कासन व मधुमक्खी कॉलोनी को बढ़ाने का कार्य किया जायेगा।