राजनीति में जो सही मौके पर सही बयान देता है ,वही जननायक मााना जाता है, सभी उसकी तारीफ करत हैं। सभी उसकी वाहवाही करते हैं। अब तक छत्तीसगढ़ में सीएम भूपेश बघेल की उनके कामों व बयानों के लिए तारीफ होती रही है,वाहवाही होती रही है, उनकी सराहना छत्तीसगढिय़ा सीएम के रूप में खूब होती रही है। वह जो कह देते थे माना जाता था कि वही राज्य हित व जनहित में ठीक है। कोई उनका विरोध नहींं करता था।इन दिनों राज्य के स्वास्थ्य मंत्री अपने बयानों के लिए राज्य में चर्चा के केंद्र में हैं तथा वाहवाही बटोर रहे हैं। अपने क्षेत्र के हितों की रक्षा के लिए वह सजग नेता के रूप सामने आए है। वह अपने क्षेत्र की जनता के साथ खड़े हैं तथा उनका भरोसा नेता के रूप में जीतने में सफल हैं। स्वास्थ्य मंंत्री टीएस सिंहदेव हसदेव अरण्य मामले में ऐसे बयान दे रहे है जिसे क्षेत्र की जनता व राज्य के लोग तथा पर्यावरण प्रेमी पसंद कर रहे हैं। हसदेव अरण्य को बचाने आंदोलन कर रहे आदिवासियों के बीच जाकर उन्होंने सबसे जोरदार बयान यह दिया कि यदि सरकार इस मामले में लाठीव गोली चलाती है तो वह लाठी खाने व गोली खाने के लिए सबसे आगे खड़े रहेंगे। एक अच्छा नेता यही करता है,वह संकट के समय जनता के साथ खड़ो होता है तथा भरोसा दिलाता है मैं आपके साथ हूं। मैं आपको नुकसान पहुचाने की हर बात का विरोध करूंगा। हसदेव अरण्य मामले में उनके लिए यह तय करने का वक्त आ गया था कि वह सरकार के साथ रहें या जनता के साथ रहें। उन्होंने तय किया वह सरकार के साथ नहीं क्षेत्र की जनता के साथ खड़े होंगे। उनके इस बयान व इस फैसले की उम्मीद सीएम भूपेैश बघेल को नहीं थी। टीएस सिंहदेव ने अपने बयाने में यह नहीं कहा कि भूपेश बघेल हसदेव अरण्य के विरोधी है लेकिन जब सीएम भूपेश बघेल ने यह कहा था कि हसदेव अरण्य के मात्र आठ हजार प़ेही काटे जाएंगे तो वह तो अरण्य विरोधी हो गए थे । टीएस सिंहदेव के लाठी गोली बयान से तो वह जंगल कटाई के लिए लाठी गोली चलाने वाले हो गए थे। टीएस सिंहदेव लाठी गोली खाने वाले तथा भूपेश बघेल लाठी गोली चलाने वाले हो गए थे। इसलिए भूूपेश बघेल को सफाई देनी पड़ी कि हरदेव अरण्य मामले में लाठी गोली की नौबत नहीं आएगी। सरकार ऐसा कुछ नहीं करने वाली है।अगर टीेएस सिंहदेव नहीं चाहते हैं तो हसदेव अरण्य से एक पेड़ क्या डाल भी नहीं काटी जाएगी। उन्होंन स्वीकार लिया कि टीएस सिंहदेव ठीक कह रहे हैं ।वह गलत पक्ष में थे।यह सही भी है क्योंकि राज्य का सीेएम होने के नाते कोयला खनन शुरू कराना उनकी जिम्मेदारी थी। वह ऐसा नहीं करते हैं तो राजस्थान की कांग्रेस शासित राज्य में बिजली संकट हो सकता है। वह मुख्यंमंत्री के रूप में राजस्थान के सीएम की मदद करना चाहते थे, लेकिन वह यह भूल गए थे इसके चलते स्थानीय लोगों की नजर में बुरे बन जाएगे।। ऐसा ही हुआ तो उन्होंने हसदेव अरण्य के मामले को अपने और सिंहदेव के बीच का मामला बने रहने देने की जगह राज्य व केंद्र का मामला बनाने का प्रयास किया है। भूपेशबघेल के इस बयान के बाद कि हसदेव अरण्य मामले में जैसा सिंहदेव चाहेंगे, वैसा ही होगा। इसके जवाब में टीएस सिंहदेव ने जो बयान दिया उससे उनका कद अपने क्षेत्र में नेता के रूप में और बढ़ गया है। सिंहदेव ने कहा है कि मेरे चाहने का कोई सवाल ही नहीं है, ग्रामीणों के संवैधानिक हितो का सवाल है। क्षेत्र के ग्रामीण जैसा चाहते हैं, वैसा ही होना चाहिए। भूपेश बघेल अपने बयान में टीएस सिंहदेव का महत्व दे रहे थे। मुख्यमंत्री होने के नाते उन्हें कहना था कि जनता जैसा चाहेगी वैसा होगा, लेकिन वह चूक गए और सिंहदेव ने जनता की इच्छा की बात कर अपने क्षेत्र की जनता का दिल जीत लिया। जो मौके पर जनता को सबसे ज्यादा महत्व देता है वही जननायक होता है। अपने क्षेत्र के जननायक बन गए हैं टीएस सिंहदेव। सीएम भूपेश बघेल भी बन सकते थे लेकिन वह चूक गए।टीएस सिंहदेव ने फिर नहले पर दहला मार दिया है।
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