राजनीति में मौके का फायदा सब उठाना चाहते हैं। कोई चूकना नहीं चाहता है क्योंकि पद आज है कल क्या पता रहे न रहे। राजनीति महंगी भी तो हो गई है। चुनाव लडऩे के लिए जीतने केे लिए पैसा चााहिए। जो भी जिस पद पर है, वह मोका मिलता है तो पार्टी के लिए अपने लिए पैसा कमा लेना चाहता है।सत्ता हाथ में रहती है तो पार्टी व पार्टी के नेताओं को पैसा अपनेआप मिलता है। सत्ता न हो तो पैसा कमाने का जब भी मौका मिलता है सांसद व विधायक मौका नहीं चूकते हैं। यह मौका होता है चुनाव में किसी दल के बहुमत नहीं मिलता। राज्यसभा चुनाव। वर्तमान में राज्यसभा चुनाव हुए। इसमें ज्यादा प्रत्याशी खड़े थे और विधायकों के खरीद फरोख्त की आशंका थी तो विधायकों को एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाकर रखा गया ताकि उन्हें वह अपने पक्ष में न कर ले जिसे जीतने के लिए वोट की जरूरत है। यहा सवाल उठता है कि कांग्रेस जैसी सबसे पुरानी विचारधारा वाली पार्टी के विधायकों को दूसरे दल खरीद कैसे लेते हैं।कांग्रेस के विधायकों की पार्टी के प्रति निष्ठा ऐसी होनी चाहिेए, विचारधारा के प्रति लगाव ऐसा होना चाहिए कि कोई भी दूसरा दल उसे खरीद न सकें। सबसे ज्यादा व आसानी से कांग्रेस के विधायक ही टूट जाते हैं, बिक जाते है। इसके लिए पार्टी के विधायक उतने दोषी नहीं है जितनी दोषी पार्टी है। पार्टी के कार्यकर्ता, नेता, विधायक, सांसद को पार्टी के प्रति निष्ठावान बनाना पार्टी का काम है। इसके लिए निरंतर प्रशिक्षण कार्यक्रम होने चाहिए। पार्टी के उन नेताओं का सम्मान किया जाना चाहिए।जिन्होंने कभी संकट के समय पार्टी नहीं छोड़ी। जिसे दूसरे दलों ने भारी लालच दिया, पैसा देने की कोशिश की , पद का आफर दिया। किसी भी पार्टी के ऐसे नेता,विधायक,सांसद कार्यकर्ता पार्टी की शान होते हैं। पार्टी के प्रति निष्ठा तब ही पैदा की जा सकती है जब कार्यकर्ता सिर्फ कार्यकर्ता होता है। ऐसे समय में उसमें यदि पार्टीके प्रति निष्टा, विचारधारा के प्रति लगाव पैदा किया जा सका तो वह पार्टी को कभी नहीं छोड़ता है। कांग्रेस में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है, इसलिए यह कार्यकर्ता जब विधायक,सांसद बन जाते हैं तो उनमें पाटी व विचारधारा के प्रति ज्यादा लगाव नहीं होता है। ऐसे ही लोग दूसरे दलों देवारा आसानी से खरीद लिए जाते हैं।पार्टी विधायक न बिके इसके लिए विधायकों को मानसिक रूप से मजबूत तो करती नहीं है तो वह ऐसी वय्वस्था करती है कि उनसे कोई संपर्क न कर सके। कोई जब संपर्क ही नही कर सकेगा तो उनके बिकने का आशंका भी नहीं रहेगी।कांग्रस सहित सभी दलों को अपने विधायकों में पार्टी के प्रति निष्ठा पैदा करने से ज्यादा आसान उन्हे किसी होटल में बंद रखना लगता है।इसलिए ज्यादातर दल ऐसा ही करते हैं। लोकतंत्र में किसी भी दल के जिंदा ररने के लिए सत्ता हाथ में होना जरूरी होता है। आपकी पार्टी कितनी भी विचारधारा की पकक्ी हो, नेता पाटी के प्रति कितने भी निष्ठावान हो, अगर वह सत्ता में नहीं है तो उसे कमजोर होकर मरने से कोई नहीं रोक सकता। वामपंथी दल व कांग्रेस इसके उदाहरण हैं। किसी भी दल को सत्ता जनता देती है दि यदिजनता आपके दल को पसंद करती है और बहुमत देती है। आप की पार्टी ज्यादा समय तक सत्ता में रहेगी तथा उसे विधायक सांसद खरीदने की जरूरत भ नहीं पड़ेंगी। लोकतंत्र तब कमजोर होता है जब कोई लोकप्रिय दल नहीं होता। ऐक लोकप्रिय मजबूत दल है देश व लोकतंत्र मजबूत रहता है।
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