आचार्य व साध्वियों ने श्रावकों को प्रदान किया रक्षासूत्र, कहा : बुरी आदत को त्यागने का लें संकल्प

Posted On:- 2022-08-12




धमतरी (वीएनएस)। चातुर्मास के तहत इतवारी बाजार स्थित पार्श्वनाथ  जिनालय में प्रवचन जारी है। जिसके तहत मधु स्मिता मसा ने कहा कि मुख्यत: रक्षाबंधन का पर्व ब्राम्हणों का पर्व है। पहले ब्राम्हण  रक्षासूत्र बांधा करते थे। धीरे-धीरे का पर्व स्वरुप बदलता जा रहा है। पहले डोरे बांध कर पर्व मनाया जाता था अब मखमल, चांदी, सोने की राखी बांधी जाती है। जैन धर्म में रक्षाबंधन पर्व का वृहद कारण है। जिन शासन में पर्व का महत्व बताया गया है रक्षाबंधन के हमे बहुत कुछ प्रेरणा प्रदान करते है। इसके भाव समझ जाये तो जीवन का उद्धार कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि रक्षाबंधन में पांच शब्द आते है जिसमें र आत्मा में रमन्ता का संदेश देते हैं। आत्म रमन्ता का भाव आता है तो व्यक्ति सयंम भाव की ओर बढ़ता है और लक्ष्य की प्राप्ति करता है। फिर क्ष से सम्यक की ओर बढऩेे की प्रेेरणा मिलती है। सम्यक पांच प्रकार के होते है। बं , बंगला बनाने की प्रेरणा देता है। यह बंगला ईट पत्थर का नहीं बल्कि आत्म घर का बनाए। ध, धर्म परायण बनने की प्रेरणा देता है। हम कई बार धर्म दिखावे के लिए करते हैं। यदि धर्म आत्मा में रम जाये तो शुद्धि की ओर ले जाता है। न से नम्रता की प्रेरणा मिलता है। नम्रता आ जाये तो व्यक्ति अहम भाव से दूर हो सकता है। रक्षाबंधन भाई-बहन के अमर प्रेम की निशानी है। मात्र धागा बांधकर औपचारिकता पूरी न करें बल्कि इसके भाव को समझे। साध्वी सुमित्रा ने कहा कि जिनदर्शन में प्रत्येक प्राणी की रक्षा का संदेश दिया गया है। किसी के भी मन में भय न रहे इसलिए अभय की बात कही गई है। सभी की रक्षा करना हमारा धर्म है।  रक्षाबंधन पर्व पर भाव को समझे, उपहार से पर्व को न तौले। यह पर्व हमे स्नेह भाव बढ़ाने का संदेश देता है। संकल्प ले यदि भाई-बहनों के बीच किसी बात को लेकर मनमुटाव है तो रक्षासूत्र के साथ उस मनमुटाव को खत्म करेंगे।

प्रवचन उपरांत  नरेन्द्र बंगानी, ममता बंगानी व ईशिका बंगानी के 9 उपवास पर संघ द्वारा उनका बहुमान किया गया। जिसके तहत तपो की बोली लगाई  गई जिसमें नयापारा राजिम निवासी किरणदेवी बाफना ने 21 उपवास की बोली लगाकर तपस्वियों के सम्मान का सौभाग्य प्राप्त किया। प्रवचन उपरांत आचार्य व साध्वियों ने श्रावकों को रक्षासूत्र प्रदान किया। रक्षासूत्र के साथ एक बुरी आदत को त्यागने का संकल्प लेने कहा गया।  प्रवचन का श्रवण करने बड़ी संख्या में जैन समाजजन उपस्थित रहे।



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