दंतेवाड़ा (वीएनएस)। एक दौर वह भी था जब अधिक फसल उत्पादन के लालसा में कृषक रासायनिक खादों का अंधाधुंध उपयोग कर रहे थे। फलस्वरूप फसल उत्पादन में बढ़ोतरी तो हुई परन्तु उसके दुष्परिणाम भी सामने आए। फसल में स्वाद और पौष्टिकता को अभाव रहा, इसके अलावा नये प्रकार के फसल व्याधियों कीटों का भी सामना कृषकों को करना पड़ा।
साल दर साल भूमि की उर्वरता में कमी होने से फसलें उत्पादन में फर्क पड़ा। तब शासन-प्रशासन का ध्यान पुनः जैविक खेती की ओर गया और अब जैविक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए शासन द्वारा किसानों को हर संभव तरीके से प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इसके लिए शासन किसानों को सब्सिडी भी दे रही है। कृषकों में भी जागरूकता आई और वे जैविक खेती का अनुसरण करना प्रारंभ कर दिया। इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आए। और वर्तमान में कई प्रगतिशील कृषक जैविक खेती करके फसल का अच्छा लाभ ले रहे हैं। इससे किसानों की आय में भी बढ़ोतरी हो रही है और उपभोक्ताओं को भी बिना रासायनिक खाद के फल, सब्जियां और अनाज मिल रहा है।
ऐसे ही जिले के टेकनार निवासी ’ राजेश नाग’’ प्रगतिशील कृषक है। जिन्होंने जैविक खेती अपनाकर अपनी आय को सात गुना तक बढ़ा लिया है। खास बात यह है कि राजेश नाग पहले वे छोटे पैमाने पर सब्जी की खेती करते थे, जो मुख्य रूप से उनके परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त होती थी। फिर उद्यानिकी विभाग के सलाह और मार्गदर्शन से उन्होंने अपनी खेती का स्वरूप बदला। इस संबंध में वे बताते है कि लगभग 5 वर्ष पूर्व वे भी अन्य कृषकों के समान अपनी 7 एकड़ की भूमि में धान और काम चलाउ की सब्जियों की खेती करते थे। परन्तु उद्यानिकी विभाग के संपर्क में आने के बाद उन्होंने खेती में नए तकनीक एवं उन्नत कृषि विधियों की आवश्यकता को जाना। विभाग द्वारा उन्होंने नेट सेफ, मल्चिंग, ड्रिप की सुविधा दी गई। इसके साथ ही उन्होंने कृषि विभाग के सौजन्य से सोलर पंप भी लगवाए। अब वे अपने खेत में भिंडी, मिर्च, टमाटर, करेला, बरबट्टी, और खीरा जैसी सब्जियां उगा रहे हैं। इन सब्जियों के खेती ने इतनी आमदनी दी कि दो वर्ष पूर्व में उन्होंने एक ट्रैक्टर भी खरीद लिया। अपनी हो रही आमदनी के संबंध में राजेश नाग ने बताया कि पहले उन्हें खेती से सालभर में सिर्फ 20,000 रुपए की आमदनी होती थी, लेकिन जब से उन्होंने जैविक खेती करना शुरू किया है उनकी आमदनी प्रति वर्ष बढ़ी है। अब वह जैविक खेती से प्रति वर्ष 2,50,000 रुपए तक की कमाई कर रहे हैं।
प्रगतिशील कृषक नाग का यह उदाहरण उन किसानों के लिए प्रेरणा है जो मेहनत और सही रणनीतियों से अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार सकते हैं। उनका यह प्रयास अन्य किसानों को आधुनिक तकनीक और फसलों की विविधता अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है। नाग यह भी मानते है कि मेहनत और नई सोच के साथ खेती को भी एक सफल व्यवसाय में बदला जा सकता है।
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