धर्मांतरण रोकना आसान होता तो होते क्यों...

Posted On:- 2025-03-18




सुनील दास

देश हो राज्य हो धर्मातंरण गंभीर समस्या तो है,इसे रोकने की मांग जब-तब संसद में विधानसभाओं मेंं की जाती है,मांग की जाती है कि इसे रोकने के लिए और कड़े कानून लाने की जरूरत है। धर्मांतरण रोकने के लिए तो हर राज्य में कोई न कोई कानून तो होगा ही।आजादी के बाद इसकी जरूरत महसूस की गई होगी। कानून बनाने की मांग जैसे की जा रही है, तब भी की गई होगी। कानून बनाए भी गए होंगे। धर्मातरण को कानून बनाकर रोकना संभव होता तो यह कब से देश व राज्य में रुक गया होता। हर राज्य में धर्मांतरण रोकने का कानून होने के बाद भी धर्मांतरण तो होता ही है। धर्मांतरण होता है इसलिए हर राज्य की विधानसभा व देश की संसद मे इसे रोकने की मांग की जाती है, बताया जाता है कि पहले जो कानून बनाए थे, वह कड़े नहीं हैं इसलिए धर्मातरण का कड़ा कानून बनाया जाए।

छत्तीसगढ़ विधानसभा में भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने एऩजीओ के जरिए धर्मांतरण का मुद्दा उठाया और बताया कि जशपुर से सबसे ज्यादा मतांतरण के मामले सामने आ रहे हैं।मिशनरियों से जुड़ी शैक्षणिक संस्थाओं को करोड़ो रुपए का अनुदान दिया जाता है लेकिन उसकी आडिट नहीं कराई जाती है।राज्य में धर्मपरिवर्तन के मामले बढ़ रहे हैं।इसमें विदेशी फंडिंग से इंकार नहीं किया जा सकता।गृहमंत्री विजय शर्मा ने इस पर बताया कि विदेशी फंडिंग की जांच और कार्रवाई का अधिकार केंद्र सरकार के पास है।छत्तीसगढ़ में ३६४ एनजीओ थे,जांच के बाद ८४ एनजीओं की फंडिंग रोकी गई है।१२७ की वैधता समाप्त की गई है।गृहमंत्री ने यह भी बताया कि चंगाई सभा की शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जा रही है।इस साल अब तक चार मामले आए हैं,जिस पर वैधानिक कार्रवाई की गई है।

गृहमंत्री ने सब बताया कि कितने एनजीओ है, कितना पैसा मिलता है,एक्टिविटी पर ध्यान दे रहे हैं,जरूरत पड़ने पर कार्रवाई होगी।राज्य में छत्तीसगढ़ धर्म स्वातंत्र्य कानून लागू है, धर्मातरण रोकने के लिए इसमें जल्द ही नए प्रावधान लागू किए जाएंगे।विधानसभा में बताया गया कि किस तरह बिलासपुर मे जोशुआ प्रोजेक्ट चलाकर धर्मांतरण कराया जा रहा है,बस्तर के ७० फीसदी गांवों में धर्मातरण कराया जा रहा है।इसके लिए विदेशी फंडिंग का इस्तेमाल किया जा रहा है।गृहमंत्री का जवाब संतोषप्रद नहीं था,उन्होंने कहा कि बस्तर में १८ एनजीओ हैं,जिन्हें विदेशी फंडिंग मिलती है।बस्तर में धर्मातरण रोकने के लिए मिलकर काम करना होगा। वह नहीं बता पाए कि सरकार धर्मातरण रोकने के लिए क्या कर रही है, वह यह बताते हैं कि क्या करने वाली हैं।

कोई भी राजनीतिक दल हो, वह सत्ता में नहीं रहता है तो वह जोरशोर से धर्मांतरण की बात करता है लेकिन जैसे ही वह सत्ता में आता है तो उसे पता चलता है कि कानून है,प्रशासन है लेकिन धर्मातरण चल रहा है, उसे रोकने का प्रयास किया जा सकता है, कुछ मामलों में कार्रवाई भी की जा सकती है, लेकिन पूरी तरह रोका नहीं जा सकता।क्योंकि धर्मांतरण सीधे तो कराया नहीं जाता है।सेवा,शिक्षा व मदद के नाम पर कराया जाता है।किसी भी संस्था को कोई भी सरकार आदिवासी क्षेत्र में अस्पताल व स्कूल खोलने से कैसे मना कर सकती है। आदिवासियों की सेवा करना उनको शिक्षित करना कोई ऐसा काम तो हैं नहीं सरकार उस पर रोक लगा दे।

जिस क्षेत्र धर्मातरण कराना होता है तो उस क्षेत्र में पहले अस्पताल खोला जाता है,स्कूल खोला जाता है। वहां मुफ्त इलाज किया जाता है, मुफ्त शिक्षा दी जाती है।वहां पर धर्म विशेष के लोगों को नियुक्त किया जाता है।धर्म विशेष के लोगों के लिए जरूरी होता है कि वह रोज प्रार्थना करे तो उसके लिए सरकार से अनुमति लेकर चर्च बनाया जाता है।उसके बाद धर्म का प्रचार किया जाता है,देश में धर्म का प्रचार करने पर भी कोई रोक नहीं है।जब लोगों को मुफ्त इलाज, मुफ्त शिक्षा की आदत हो जाती है, उनके लिए जरूरी हो जाती है तो उनको बताया जाता है कि यह सब सुविधाएं चाहिए तो धर्मपरिवर्तन कर लो। पहले सुविधाओं की आदत डाली जाती है, उसके बाद लोगों का धर्म परिवर्तन आसान हो जाता है। इस तरह धर्म परिवर्तन को कोई नहीं कह सकता कि जबरन धर्मपरिवर्तन कराया गया है।

धर्म परिवर्तन कराने वाले कुछ सुविधाओं के बदले एक आदमी को बदलते हैं,उसके बाद परिवार को बदलते हैं, एक दिन पूरा गांव दूसरे धर्म का हो जाता है। मिशनरी जो काम करते है, गरीवों व आदिवासियों को जो सेवा व सुविधा देते हैं, वह उनको उपलब्ध कराना सरकार का काम है।सरकार आदिवासी क्षेत्रो में अच्छा अस्पताल खोले, अच्छा स्कूल खोले तो लोग धर्म विशेष के अस्पताल में इलाज कराने क्यों जाएंगे। लोग धर्म विशेष के स्कूलों में अच्छी शिक्षा के लिए क्यों जाएंगे। धर्म परिवर्तन के लिए सरकारे भी तो दोषी हैं। वह आदिवासियों व गरीबों को अच्छी सुविधाएं नहीं दे पाती है तो वह जहां सुविधाएं मिलती है, वहां जाते है। उसी सुविधा के लिए अपना धर्म बदल देते हैं।

कोई भी सरकार आदिवासी क्षेत्र में किसी को अस्पताल, स्कूल खोलने से रोक नहीं सकती, प्रार्थना करने के लिए चर्च बनाने से नहीं रोक सकती। इसलिए कोई भी सरकार आदिवासी क्षेत्र में धर्मातरण पर चिंता तो कर सकती है लेकिन धर्मातरण रोक नहीं सकती। वह भी जानती है कि धर्मातरण क्यों हो रहा है। उसे कैसे रोका जा सकता है लेकिन वह रोक नहीं सकती क्योंकि उसके पास अफरात संसाधन नहीं है। वह गांव गांव में धर्मांतरण रोकने के लिए अस्पताल,स्कूल खोल दे, खोल भी दे तो वहां काम करने के लिए कोई जाएगा नहीं। यानी धर्मातरण न रुकने के लिए सरकार और समाज दोषी है।

आजादी के बाद हम गर्व से कहते आ रहे हैं कि क्या बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, सदियों रहा है दुश्मन दौरे-जहां हमारा। धर्मातरण यूं ही होता रहा तो आने वाले दिनों में हम यह कहना भूल जाएंगे क्या बात है कि हस्ती मिटती नही हमारी। धर्मांतरण कर हमारी हस्ती मिटाई जा रही है।सरकार इसके लिए खुद को दोषी नहीं मानती है और हम भी खुद को दोषी नहीं मानते हैं।अभी वक्त है विदेशी साजिश को समझने का, एक होने का। प्रयागराज महाकुंभ में ६६ करोड़ लोगों का आना उम्मीद जगाती है कि हम भीतर से एक है, हम एक हो सकते हैं।



Related News
thumb

अच्छा है वह जो चाहते थे,वैसा नहीं हुआ

बड़े देश छोटे गरीब देश का उपयोग बड़े देश में अराजकता फैलाने के लिए ऐसे काम में करते हैं जिससे देश विकास के रास्ते से भटकर अशांति व अराजकता के भंवर ...


thumb

जिला अध्यक्ष मतलब काम करके दिखाना होगा

हर राजनीतिक दल का अपना संगठन होता है, संगठन में कई पद होते हैं, हर पदाधिकारी की अपनी जिम्मेदारी होती है।राजनीतिक दल सत्ता में रहे तो संगठन के पद पर...


thumb

हम जनता के साथ हैं बताना पड़ता है

किसी प्रदेश की राजनीति में कम से कम से कम दो प्रमुख राजनीतिक दल होते हैं, ज्यादा से ज्यादा तीन,चार व पांच दल भी होते हैं। दो राजनीतिक दल होते हैं त...


thumb

खौफ का परिणाम है वार्ता की पेशकश

बस्तर में नक्सली खौफ में है, यह बात राज्य के लोगों को अच्छी लगती है। पहली बार ऐसा हो रहा है, ऐसी खबर आ रही है कि बस्तर में नक्सली कभी भी,कहीं भी, म...


thumb

कांग्रेस के लिए बड़ी व कड़ी परीक्षा गुजरात उपचुनाव

कोई भी राजनीतिक दल हो उसके लिए किसी प्रदेश में राजनीतिक हकीकत को जानने का सबसे अच्छा मौका होता है, वहां होने वाला उपचुनाव।उपचुनाव में हार-जीत से पत...


thumb

विपक्ष का तो काम ही कुछ न कुछ कहना है...

विपक्ष का काम तो सरकार के हर काम में मीनमेख निकालना ही है।वह ऐसा नहीं करेगी तो उसे विपक्ष कौन कहेगा।कोई भी सरकार को वह तो अपने हर काम को ठीक बताती है,