भारतखंडे आर्यावर्ते मंडला क्षेत्रान्तर्गत कवर्धा नगरे गाली गलौच जूतम पैजारे कथाया: प्रथमो अध्यायः
मित्रों! अब तो आप मेरा इशारा समझ गए होंगे, क्योंकि कबीरधाम की जनता बहुत होशियार अकलवान व हुनरमंद हैं। आजकल गाली गलौच और जूतम पैजार संस्कृति हमारे संस्कार में बेहद गहरी पैठा बना चुकी है। इसकी बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए हम आपको इसकी महत्ता बताने जा रहे हैं।
कहते हैं कि राजनीति में गाली गलौच जूतम पैजार है तो सब कुछ मुमकिन है। हमारी स्थानीय से लेकर प्रदेश और देश की राजनीति में गाली गलौच जूतम पैजार का जलवा कायम है। सड़क से लेकर संसद तक इसके अमूल्य दर्शन सहज होते रहते है । आजकल राजनीति में बात से नही अपितु गाली और जूते वाली बात से बात बनती हैं।
कुछ दिन पहले सनातन के अपमान की बात को लेकर जज पर जुते उछाले गए , दिल्ली की सीएम को थप्पड़ पड़े , केजरी भी जूते थप्पड़ व स्याही कांड से अछूते नही रहे । छत्तीसगढ़ में आदिवासी नेता से मंच से माईक छीन दुत्कारने की कथा भी ज्यादा पुरानी नही है । ये तो देश प्रदेश की गाली गलौज जूतम पैजार कथा हुई।
धर्म नगरी कबीरधाम की राजनीति भी भगवाकाण्ड के बाद से कुछ ज्यादा ही गाली गलौच जूतम पैजार वाली हो चली है । मीडिया में आजकल गाली गलौच जूतम पैजार की सर्जिकल स्ट्राइक टीआरपी बनाई हुई है। कबीरधाम की राजनीति में दबंग नेता की चुनावी हार के बाद से रहस्यमयी गुमसुदगी और सत्तापक्ष के सत्ता व संगठन और नेताओ के अनबन के रिश्ते को सोशल मीडिया में जितनी टीआरपी नही मिली उससे ज्यादा तो नेताओं के गाली गलौच जूतम पैजार को मिल रही है। कहते हैं कि बोली और जूते से व्यक्ति की पहचान होती है और गाली माँ बहन वाली हो और जूता एक्शन या लिबर्टी का हो तो फिर क्या कहने। यह वह महाप्रसाद है जो खाए वह भी पछताए जो ना खाए वह भी। मीडिया युग में गाली खाने और जूते से पिटने वाला बेहद सौभाग्यशाली और टीआरपी वाला माना जाता है। कितने तो गाली और जूते खा खा कर ही नेता बने हुए है ।
कबीरधाम में हाल ही के गाली गलौच जूतम पैजार कांड के बाद टीवी पर आंख गड़ाए पत्नी ने कहा देखो जी हम भी कभी कभी आपको चिमटे और बेलन से पीट देते है , लेकिन मीडिया वाले तुम्हें घास तक नहीं डालते और देखो शोषण के आरोपो से घिरे महिला आयोग की पेशी में लटके नेता के भक्त किस तरह फुटबॉल की तरह गाली गलौच जूतम पैजार की झड़ी लगा रहे हैं। भक्तों की गाली गलौच जूतम पैजार की कथा चल ही रही थी कि भक्तों ने सत्ता की मलाई के साथ पाला बदलने वाले नेता कम ठेकेदार रूपी चमचे की गाली पुराण का चलचित्र सोशल मीडिया में जारी कर टीआरपी का खेल चालू किया है कि तू डाल डाल तो हम पात पात ।
कही पढ़ा था कि गाली गलौच जूतम पैजार पुरान की कथा किसी परमार्थ से कम नहीं है। इसका प्रसाद पाने वाला रथी और प्रसाद देने वाला महारथी होता है। यह स्वयं में पुरुषार्थ की कथा है। गाली और जूता अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष से जुड़ा है। इसमें सतो और तमो दोनो गुणों का समावेश रहता है । इसी से निकली एक उत्पाद सैंडिल भी है। जिसने जूता खाया वह नेतृत्वकर्ता बन गया और जिसने सैंडिल खाई वह प्रेमिका के गले का हार बन गया।
वैसे गाली, जूते और काली स्याही का सफेदपोश राजनीति में चोली-दामन का साथ रहा है। जूता और जुबान तो परिणय सूत्र में बंधे हैं। किसी महान कवि ने इस पर एक दोहा भी लिखा है कि :-
जीभिया ऐसी वावरी, कही गई सरग पताल ,
आपुनि कहि भीतर गई, जूती खात कपार ।
आगे आगे देखिए भक्तों और चमचों की फौज के बीच , रहस्यमयी तरीके से लापता नेता , सत्ता और संगठन के बीच क्या क्या गुल खिलते है आने वाले समय मे पता चलेगा ।
चलते चलते :-
दामाद बाबू की पोस्टिंग के बाद से कका के तेवर काबर ढीला पड़गे हावय ?
और अंत मे :-
हमसे इश्क है तो इजहार किजिए ,
हम लक्ष्मण थोडी है जो नाक कान काट देंगे ।
#जय_हो 10 अक्टूबर 2025 कवर्धा (छात्तीसगढ़)
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