सुप्रीम कोर्ट जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने की याचिका पर सुनवाई करेगा

Posted On:- 2025-10-10




 श्रीनगर(वीएनएस)। सुप्रीम कोर्ट जम्मू-कश्मीर की राज्य का दर्जा बहाली की याचिका पर शनिवार को सुनवाई करेगा। यह याचिका जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद दायर की गई है। वकील सोएब कुरैशी ने कहा कि यह मामला सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष क्रम संख्या 17 पर सूचीबद्ध है और केंद्र सरकार ने अभी तक इस मामले में कोई जवाब दाखिल नहीं किया है। 14 अगस्त को पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जमीन पर वास्तविक स्थिति पर विचार करना होगा और पहलगाम हमले जैसी घटनाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। सीजेआई ब्रायन गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा था कि आपको भी जमीनी हकीकत को ध्यान में रखना होगा; आप पहलगाम में हुई घटना को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। 

याचिकाकर्ताओं का इस पर यह तर्क है कि राज्य का दर्जा बहाली में देरी संघवाद के सिद्धांत का उल्लंघन है, जो संविधान की मूल संरचना का हिस्सा है। उन्होंने यह भी कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के दिसंबर 2023 के निर्देश के अनुसार राज्य का दर्जा बहाली के लिए कोई समयसीमा निर्धारित नहीं की गई है और न ही कोई कदम उठाया गया है।जम्मू-कश्मीर में हाल ही में विधानसभा चुनाव हुए हैं और नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस की गठबंधन सरकार बनी है। हालांकि, इस सरकार को अभी भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें आर्थिक विकास और सुरक्षा की समस्याएं शामिल हैं। जम्मू-कश्मीर की आर्थिक स्थिति भी चिंताजनक है, जिसमें निवेश में कमी और बेरोजगारी की दर अधिक है।

अब सबकी नजरें सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी हैं कि वह जम्मू-कश्मीर की राज्य का दर्जा बहाली के मामले में क्या फैसला देता है। यह मामला न केवल जम्मू-कश्मीर के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि देश की संघीय व्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण है।मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला कई बार केंद्र सरकार से प्रदेश के लोगों को उनका हक दिलाने की मांग कर चुके हैं। उनका कहना था कि विधानसभा चुनाव में लोगों के वोट पाकर उनकी सरकार सत्ता में आई है। अब केंद्र सरकार को वायदे के मुताबिक राज्य का दर्जा बहाल करना चाहिए। इसके जवाब में केंद्र में बैठी भाजपा सरकार यही जवाब देती है कि समय आने पर जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दे दिया जाएगा। उन्होंने उम्मीद जताई है कि जो हक प्रदेश वासियों को केंद्र सरकार से नहीं मिल पा रहा है, सर्वोच्च न्यायालय उन्हें मिलेगा



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