आस्था के केंद्रों को नई पहचान

Posted On:- 2022-08-02





छत्तीसगढ़ के आस्था केंद्रों को नई पहचान देने की मांग लंबे समय से की जा रही थी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस मांग को पूरा कर जनभावना का सम्मान किया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश के तीन स्थान चंदखुरी,गिरौदपुरी व सोनाखान के नाम बदलने के लिए निर्देश दिए हैं।आने वाले दिनों में अब चंदखुरी को  माता कौशल्या धाम चंदखुरी, गिरौदपुरी को बाबा गुरु घासीदास धाम, सोनाखान को शहीद वीरनारायण सिंह धाम के नाम से जाना जाएगा। राज्य शासन शीघ्र ही इस बाबत नामकरण संबंधी अधिसूचना का प्रकाशन करेगा। उसके बाद आस्था के तीनों केंद्रों को धाम के रूप में जाना जाएगा। अब तक इन तीनों जगह  का राज्य में अपना महत्व था, नाम नहीं बदला जाता तो भी इनका उतना ही महत्व बना रहता। आस्था में कोई कमी नहीं आती। इन तीनों जगहों के पीछे धाम जुड़ जान से इनकी गरिमा और बढ़ गई है। धाम उसे कहा जाता है जिससे लाखों लोग भावरूप से जुड़े होते हैं।  छत्तीसगढ़ के यह तीनों जगह से लाखों लोग भावरूप से जुड़े हुए हैं, इसलिए यह धाम तो पहले से था, अब धाम पीछे जुड़ जाने से जो कमी कुछ लोगों को लग रही थी वह पूरी हो गई है। चंदखुरी में सब जानते थे कि यहां माता कौशल्या का मंदिर है, लेकिन इस जगह को वह महत्व इसे जो बहुत पहले मिल जाना था,कांग्रेस की सरकार आने के बाद मिला। आज इस धाम को पूरे छत्तीसगढ़ में लोग जानते हैं तो इसका श्रेय सीएम भूपश बघेल को जाता है। पूरे देश में माता कौश्लया का एकमात्र मंदिर यही है। यहां के मंदिर में माता कौशल्या के साथ बाल रूप में भगवान श्रीराम विराजे हैं।छत्तीसगढ़ को माता कौशल्या का मायका व भगवान श्री राम ननिहाल माना जाता है।भूपेश सरकार ने यहां के मंदिर का जीणोध्दार करवा कर लाखों लोगों की आस्था का सम्मान किया। इससे राज्य में इस मंदिर को वह स्थान मिला है जो बहुत पहले मिल जाना था। इसे राम वनगमन पर्यटन परिपथ में शामिल कर भूपेश बघेल ने इसका महत्व बढ़ा दिया है। अब जो भी लोग राम वनगमन पर्यटन परिपथ देखन आएंगे वह माता  कौशल्या मंदिर देखने भी जरूर आएंगे। इससेे बरसों से उपेक्षित इस धाम का और नाम होगा  तथा बड़ी संख्या में लोग इसे देखने आएंगे। गिरौदपुरी तो पहले से ही सतनाम पंथ के लाखों अनयायियों की आस्था का केंद्र है। यह गुरु घासीदास की जन्मस्थली व तपोस्थली है। इसलिए सतनाम पंथ के लोगों का धाम तो था अब इसे बाबा गुरु घासीदास धाम गिरौदपुरी कहा जाएगा तो शाब्दिक तौर पर यह धाम हो जाएगा। सोनाखान का नाम लेते ही 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्रास में छत्तीसगढ़ के प्रथम शहीद वीरनारायण सिंह का नाम याद आता है और हर छत्तीसगढिय़ा सिर गर्व से ऊंचा हो जाता है कि हमारे यहां भी एक ऐसा स्वतंत्रता सेनानी पैदा हुआ था। यह छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए आस्था का उतना ही बड़ा केंद्र है जितने बड़े केंद्र माता कौशल्या का मंंदिर व गिरौदपुरी है। देश में चार धाम का नाम लिया जाता है तो छत्तीसगढ़  ें अब आने वाले दिनों में तीन धाम होंगे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को तो वैसे याद होगा याद दिलाने की जरूरत नहीं है लेकिन इन तीन धामों की घोषणा हुई तो ऐसा लगा कि सीएम भूपेश बघेल  कबीरपंथियों के आस्था के केंद्र दामाखेड़ा को भूल गए।अगर वह इन तीनों के साथ ही दामाखेड़ा को धाम घोषित करते तो छत्तीसगढ़ में भी चार धाम हो जाते। अभी धामों की अधिसूचना जारी नहीं हुई है, कबीरपंथियों को मांग करनी चाहिए कि दामाखेड़ा को भी धाम घोषित किया जाए। इसस कबीरपंथियों को भी ऐसा नहीं लगेगा कि राज्य सरकारन ेउनकी उपेक्षा की है। हो सकता है कि कुछ और समाज के लोग भी सामने आएं कि उनके इष्ट देव के मंदिर   को भी धाम का दर्जा दिया जाए।




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