विपक्ष कभी समाप्त नहीं होता है

Posted On:- 2022-08-05




देश में लोकतंत्र है तो विपक्ष रहेगा ही। लोकतंत्र में विपक्ष को कोई समाप्त नहीं कर सकता। राजनीतिक दलों को वहम रहता है कि वह हैं तो विपक्ष हैं। लोकतंत्र में जनता ही तय करती है कि कौन सत्ता में बैठेगा तथा कौन विपक्ष की जिम्मेदारी निबाहेगा। जनता यू ही किसी को सत्ता नहंीं सौंप देती है तथा यूही किसी दल से सत्ता छीन नहीं लेती है। जनता पांच साल तक देखती है,किसका काम अच्छा है, जिसका काम अचछा होता है उसे सत्त सौंपती है, जिसका काम अच्छा नहीं रहता है उसे विपक्ष में अच्छा काम करने का मौका देती है। सत्ता जिसे जनता सौंपती है,वह देखती है कि सत्ता मिलने के बाद दल व दल के नेता कितने बदले हैं, कितने अमीर हुए हैं, भ्रष्टाचार कितना बढ़ा है, कितना घटा है। सब देखती है जनता, इसलिए किसी को मुगालते मे नहीं रहना चाहिए कि जनता को ठगा जा सकता है। इन दिनों विपक्ष के नेता अक्सर  यह आरोप लगाते हैं कि देश में लोकतंत्र नहीं है, विपक्ष को समाप्त किया जा रहा है। सवाल उठना स्वाभाविक है कि देश में लोकतंत्र क्यों नहीं बचा है, विपक्ष को कैसे समाप्त किया जा रहा है तो यही बताया जाता है कि ईडी विपक्ष के खिलाफ कार्रवाई कर रही है, इसलिए लोकतंत्र समाप्त हो गया है, विपक्ष को समाप्त किया जा रहा है।सवाल उठता है कि क्या विपक्ष देश के कानून से ऊपर है, उसे भ्रष्टाचार करने की छूट दे देनी चाहिए। यही तो चाहते हैं विपक्ष के कई दलों के नेता। इसीलिए ईडी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए थे, सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया ईडी के पास जो भी अधिकार है, वह सही है, ईडी जो कुछ कर रही है सही कर रही है। विपक्ष को ईडी के छापे से परेशानी हीती है, पूछताछ से दिक्कत होती है, गिरफ्तारी से डर लगता है। ईडी पुलिस की तरह नहीं है, पुलिस से बहुत ही अलग है, वह सिर्फ सवाल पूछती है। विपक्ष के नेता चाहते हैं कि ईडी सवाल ही न पूछे। ईडी सवाल पूछती है इसलिए गलत है। विपक्ष के नेता भष्टाचार  करते हैं,वह गलत नहीं हैं। कभी इस देश में विपक्ष की बड़ी इज्जत हुआ करती थी। विपक्ष के नेता इतने ईमानदार  हुआ करते थे कि सारा देश उनका सम्मान करता था। विपक्ष का नेता होने का मतलब ही होती था ईमानदार होना। वह भ्रष्ट नहीं होते थे क्योंकि वह सत्ता में कभी नहीं होते थे। आज स्थिति एकदम अलग हो गई है। आज स्थिति यह है कि राष्ट्रीय स्तर पर जो दल विपक्ष मेें है, वह देश के कई राज्यों  में सत्ता में है। विपक्ष राज्य में सत्ता है तो भ्रष्टाचार भी करता है कैसे और कितना भ्रष्टाचार करता है,इसका उदाहरण बंगाल व महाराष्ट्र में सामने आया है। यह भी बड़ी अजीब बात है कि कई राज्यों में सीएम के बाद जो दो नंबर का मंत्री होता है, उस पर ही भ्रष्टाचार के आरोप लगे है। पं. बंगाल में  पार्र्थ चटर्जी, महाराष्ट्र में संजय राउत व दिल्ली में मंनीष सिसोदिया नंबर दो की पोजीशन वाले हैं। यानी जनता कह सकती है कि राज्य में जो भी भ्रष्टाचार हो रहा है, उसका पता तो सीेएम को होगा ही। कोई मान नहीं सकता कि नंबर दो क्या कर रहा है सीएम को पता न हो। यानी कई राज्यों में सीएम की जानकारी में भ्रष्टाचार हुए है, इसकी जानकारी ईडी को होगी तो वह तो कार्रवाई करेगी ही, क्योंकि उसे तो बनाया ही इसलिए गया है । केंद्र में अलग दल की सरकार, कई राज्यों में अलग दल  की सरकार। राज्यों के पास सीबीआई की जांच रोकने का अधिकार है,ईडी की जांच रोकने का कोई अधिकार नही है. आज विपक्ष के नेता सोचते होंगे कि अगर उनके पास ईडी की जांच रोकने का अधिकार होता कितना अच्छा होता। सीबाआई की तरह ईडी की भी जांच रोक देते। राज्य में सरकार जिसकी होती वह भ्रष्टाचार करते और कोई जांच करने वाला भी नहीं होता। आज उस दल को सबसे ज्यादा अफसोस होता है जिसने ईडी को बनाया,उसे अधिकार दिए.।



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