उम्मीद है तो टूट भी सकती है

Posted On:- 2022-08-11




 

राजनीति में दोस्त भी होते हैं और दुश्मन भी होते हैं। दुश्मन को जब किसी तरह का भी नुकसान होता है तो बहुत से लोगों को खुशी होती है कि चलो दुश्मन को  किसी ने तो नुकसान पहुंचाया है। ऐसे मेें स्वाभाविक है कि जिसने नुकसान पहुंचाया है,वह बड़ा काम करने वाला माना जाता है। वह बड़ा नेता मान लिया जाता है। वह दुश्मन को टक्कर देने वाला नेता मान लिया जाता है। इन दिनों कांग्रेस नेताओं सहित तमाम पीएम नरेंद्र विरोधी नेताओं के लिए बिहार के सीएम नीतीश कुमार निराशा के अंधेरे मेे उम्मीद की किरण बनकर सामने आए हैं। मोदी विरोधी इस बात से बड़े निराश थे कि देश में पीएम मोदी की टक्कर का कोई नेता नहीं है। कांग्रेस के राहुल गांधी उन्हें दो बार लोकसभा चुनाव में हराने का पूरा प्रयास कर चुकेहैं लेकिन दोनों बार कांग्रेस जहां बुरी तरह हारी है, वहीं नरेंद्र मोदी ने भाजपा को ऐतिहासिक  जीत दिलाने के साथ ही दो बार बहुमत वाली सरकार बनाने का रिकार्ड भी बनाया है। नरेंद्र मोदी आने के बाद कांग्रेस केंद्र के  साथ ही राज्यों से भी सत्ता से बाहर होती गई है। वर्तमान में कांग्रेस दो ही राज्यों मे ंसत्ता में है। छत्तीसगढ़ और राजस्थान। पंजाब पिछले चुनाव में हारी और महाराष्ट्र में शिवसेना,राकांपा,कांग्रेस की साझा सरकार हाल ही में सत्ता से बाहर कर दी गई है। झारखंड में कांग्रेस साझा सरकार में हैं, लेकिन वहां की सरकार भी कब गिर जाएगी कहा नहीं जा सकता। कांग्रेस नेताओं को बिहार से भाजपा के सत्ता से बाहर होने की खुशी इसलिए भी है कि वह मानती है कि भाजपा ने कांग्रेस को महाराष्ट्र में सत्ता से बाहर किया। नीतीश कुमार ने भाजपा को बिहार में सत्ता से बाहर किया इसलिए नीतीश कुमार ने वाहवाही वाली काम किया है। कांग्रेस नेता अभी इस बात को लेकर खुश हैं  कि कोई तो है जो नरेंद्र मोदी को सबक सिखा सकता है। वह उम्मीद कर रहेहैं कि नीतीश कुमार ने कहा है कि 2014 वाले 2024 में नहीं रहेंगे तो वह ऐसा कर सकते हैं। यही वजह है कि कांग्रस नेता कह रहे हैं कि बिहार में सत्ता परिवर्तन 2024 के लिए परिवर्तन का संकेत है। कांग्रेस नेता इस बात खुश भी हैं कि एनडीए से टूट रहा है घटकदलों को भरोसा। यह बात सही है कि पहले अकाली दल,फिर शिवसेना और अब जेडीयू ने एनडीए को छोड़ा है। क्या इससे  भाजपा कमजोर हुई है। एनडीए छोडऩे वालों का बुुरा हाल हो गया है। अकाली दल पिछला चुनाव हार गए। शिवसेना टूट गई है। शिंदे गुट के साथ भाजपा अब सरकार में है। भाजपा की बिहार में सरकार गई तो महाराष्ट्र में उसकी भरपाई भाजपा ने पहले ही कर ली थी। यानी एक बड़ा राज्य हाथ से गया तो एक बड़ा राज्य भाजपा  के हाथ आया भी है। बिहार में भी भाजपा ने अपनी स्थिति पिछले चुनाव में मजबूत कर ली है। यानी अब बिहार में भाजपा को बहुमत वाली सरकार बनाने का रास्ता नीतीश कुमार ने खोल दिया है । अभी तक नीतीश कुमार की पार्टी के कारण भाजपा पूरी सीटों पर चुनाव नहीं लड़ पाती थी और बहुतम भी नहीं ला पाती थी। अब भाजपा बिहार में जनता से बहुमत मांग सकती है। जिस दिन भाजपा को बिहार में बहुमत मिल गया। यूपी की तरह भाजपा यहां मजबूत सरकार,विकास करने वाली सरकार बनाएगी। सपा, बसपा की तरह यहां के दल भी होंगे जरूर लेकिन चुनाव हारने के लिए। जो लोग सोच रहे हैं कि नीतीश कुमार ने अच्छा काम किया है तो वह गलत सोच रहे है। नीतीश कुमार ने भाजपा को वह काम करने का मौका दे दिया है जो भाजपा कब से करना चाहती थी लेकिन नीतीश कुमार के  कारण कर नहीं पाती थी। बहुत से लोग सोचते हैं कि नीतीश कुमार मोदी को अगल चुनाव मे हरा सकते है, तो नीतीश कुमार पहले विपक्ष का उम्मीदवार तो बने। उनका विरोध सबसे पहले कांग्रेस करेगी। उम्मीद होती है तो वह टूटती भी है। कांग्रेस की ुउम्मीद दो बार टूट चुकी है। कांग्रेस तीसरी बार उम्मीद कर रही है कि 2024 में मोदी को हराना है हो सकता है तीसरी बार भी उम्मीद टूट जाए।  कांग्रेस के लिए नरेंद्र मोदी को 2014 में हराना  जितना आसान था, 2024 में हराना उतना ही मुश्किल होगा।



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