नुकसान तो जरूर होता है

Posted On:- 2022-08-12




लोकतंत्र में चुनाव को कोई मतलब तब होता है जब लोग बिना दवाब,लालच में आए वोट करें।यह काम चुनाव आयोग का है कि वह ऐसी व्यवस्था करें कि इस या भविष्य में होने वाले चुनाव में लोग बिना लालच व दबाव के वोट दे सकें। आजादी के इतन साल बाद भी चुनाव आयोग ऐसी व्यवस्था नहीं कर सका है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने उसे खरी-खोटी सुनाई भी है कि यदि उसने ऐसी व्यवस्था पहले की होती तो आज देश में रेवड़ी कल्चर पैदा नहीं हुई होती और उसे अच्छा और जरूरी भी नहीं माना जा रहा  होता। पीएम मोदी ने रेवड़ी कल्चर के दुष्परिणाम की ओर हाल ही इशारा किया है कि यह देश के भविष्य के लिए ठीक नहीं है। हमारे पड़ोसी देश श्रीलंका,पाकिस्तान, बांगला देश की जो हालत आज है उसकी वजह है कि यही रेवड़ी कल्चर। रेवड़ी कल्चर का मतलब होता है कि केंद्र व राज्य सरकार का ऐसा आचरण जिससे राज्य को आर्थिक रुप से नुकसान हो रहा है।कई नेता रेवड़ी कल्चर का गलत मतलब निकाल रहे है। उनका कहना है कि जनता को मुफ्त में सविधाएं देना रेवड़ी कल्चर नहीं है। जनता को मुफ्त में बिजली, पानी,शिक्षा, चिकित्सा सुविधा देना  रेवड़ी कल्चर नहीं है। शिक्षा और चिकित्सा को आजादी के बाद से जरूरी  सुविधा माना गया है, कोई भी सरकार हो उसने  ऐसी व्यवस्था की कि लोगों को यह जरूरी सुविधा मिले। सरकारी स्कूल खोले गए, सरकारी असप्ताल खोले गए वहा लोगों को बिना पैसे लिए शिक्षा दी जाती रही है, इलाज किया जाता रहा है। आज कुछ नेता प्रचार कर रहे हैं कि वह मुफ्त शिक्षा, चिकित्सा सुविधा दे रहे हैं। यह सुविधा बिना पैसे लिए पहले भी दी जाती थी क्योंकि यह जरूरी है। लेकिन कभी प्रचार नहीं किया जाता था कि हम इसे मुफ्त में दे रहेे हैं, यह सरकार की सौगात है। यह जनकल्याण का काम है। इससे जनता का भला होता है। लेकिन इस आधार पर जनता से वोट नहीं मांगा जाता था कि हमने ऐसी सुविधा दी है इसलिए हमें वोट दो,हम तु्म्हें फिर ऐसी सुविधा देंगे। यह दोनों सुविधाएं बजट के प्रावधान के अ्रनुसार  जनता तो हर सरकार देती है। यह जनकल्याणकारी काम है। इससे सरकार को आर्थिक रूप  से नुकसान नहीं होता है। किसी राज्य को आर्थिक रुप से नुकसान न हो यह राज्य सरकार की जिम्ेमेदारी होती है । उसकी जिम्मेदारी है कि वह ऐसा कोई काम न करें कि जिससे राज्य को जितनी आय हो रही है, उससे ज्यादा खर्च करना पड़े। देश की ज्यादातर राज्य सरकारे अपनी इसी जिम्मेदारी को नहीं निभा रही है। रेवड़ी कल्चर के कारण खर्च बढ़ रहा है, सरकार का बजट बढ़ता जा रहा है। अगर आय बढऩे के साथ बजट बढ़े तो यह अच्छी बात है।यदि बजट बढ़ रहा है और आय नहीं बढ़ रही है तथा राज्य पर कर्ज बढ़ रहा है तो यह राज्य के लिए खतरे की घंटी है। आं$कड़ं के मुताबिक  राज्यों पर कर्ज 60 लाख करोड है। यह भी चिंता की बात नहीं होती यदि राज्य इसे चुकाते। चिंता की बात यह है कि राज्य सरकारे कर्ज जितना लेती है,उसे चुका नहीं पातेी हैो। वह सिर्फ कर्ज का ब्याज की चुका रहे है। इससे राज्योंपर कर्ज बढ़ता जा रहा है। इस बढ़ते कर्ज का कारण मुफ्त बिजली,मुफ्त पानी, मुफ्त बस यात्रा, महिलाओं को एक से दो हजार रुपए नगद देना भी है। यह समझने की जरूरत है कि रेवड़ी कल्चर से कुछ समय के लिए  जनता को फायदा होता है कि उसे कुछ रुपए मिल जाते हैं किसी दल को पांच साल के लिए सत्ता मिल जाती है लेकिन इससे पचास सौ साल बाद राज्य व देश को जो नुकसान होगा, उसके विषय में  बहुत कम लोग सोचते हैं। श्रीलंका की स्थिति देखने के बाद भारत के पीएम नरेंद्र मोदी, आरबीआई, सुप्रीम कोर्ट सब देश के लोगों को आगाह कर रहे हैं कि रेवड़ी कल्चर  के चलते श्रीलंका कैसा बर्बाद हो गया। वहां का जनता को कितनी परेशानी हो रही है। देश के कई राजनीतिक दल रेवड़ी कल्चर को सही मान रहे हैंक्योंकि इससे उन्हे ंराजनीतिक फायदा होता है।उन्हेे राज्य की सत्ता मिल रही है।वह सिर्फ अपने राजनीतिक फायदे को देख रहे हैं देश व जनता को भविष्य में होने वाली परेशानी के विषय में सोचना ही नहीं चाहते हैं। ऐसे लोग ही देश व लोकतंत्र  के भविष्य के लिए खतरनाक हैं। ऐसे ही लोगों के कारण कोई देश श्रीलंका बनता है।



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