नई दिल्ली (वीएनएस)। आजादी की 75वीं सालगिरह के जश्न में लालकिले पर पीएम मोदी ने तिरंगा फहराया। इस दौरान 21 तोपों की गरज सुनकर पीएम मोदी सहित वहां उपस्थित लोगों का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। और क्यों न हो, आजादी के 75 वर्षों बाद पहली बार लाल किले से राष्ट्रध्वज को सलामी देने का काम मेक इन इंडिया तोपों ने किया। इस दौरान अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि इस आवाज को सुनने के लिए कान तरस गए थे। उन्होंने कहा कि 75 साल के बाद लाल किले से ध्वज को सलामी देने का काम मेड इन इंडिया तोप ने किया है।
उन्होंने कहा कि आज जब यह आवाज हमने सुनी, जिसकी लिए कान तरस गए। उन्होंने कहा कि 75 साल के बाद लाल किले से ध्वज को सलामी देने का काम मेड इन इंडिया तोप ने किया है। पीएम मोदी ने कहा कि हमारी विरासत पर हमें गर्व होना चाहिए। जब हम अपनी धरती से जुड़ेंगे। तभी तो ऊंचा उड़ेंगे। जब हम ऊंचा उड़ेंगे, तो हम विश्व को भी समाधान दे पाएंगे।
जानें मेड इन इंडिया तोप की खासियत
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर 15 अगस्त को लाल किले से पहली बार स्वदेशी हॉवित्जर तोपों से सलामी दी गई। इन तोपों को डीआरडीओ की आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टैबलिशमेंट (ARDE), टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड, महिंद्रा डिफेंस नेवल सिस्टम और भारत फोर्ज लिमिटेड ने मिलकर बनाया है। इस हॉवित्जर तोप का नाम है एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन (ATAGS)। यह 155 mm/52 कैलिबर की है।
भारतीय सेना के पास 155 mm की यह गन फिलहाल 7 हैं। साल 2016 में इसका पहला परीक्षण हुआ था। 40 तोपों का ऑर्डर किया हुआ है। इसके अलावा 150 और तोप बनाए जाएंगे। इसे चलाने के लिए 6 से 8 लोगों की जरूरत पड़ती है। बर्स्ट मोड में 15 सेकेंड में 3 राउंड, इंटेस में 3 मिनट में 15 राउंड और 60 मिनट में 60 राउंड फायर करता है। इसकी फायरिंग रेंज 48 किलोमीटर है। लेकिन इसे बढ़ाकर 52 करने का प्रयास किया जा रहा है।
सरकारों को भी तलवार की धार पर चलना पड़ता है : पीएम मोदी
देश का हर नागरिक बदलाव देखना चाहता है, लेकिन उसे इंतजार नहीं चाहिए। अपनी ही आंखों के सामने देश का नागरिक सपनों को पूरा होते देखना चाहता है। कुछ लोगों को इसके कारण संकट हो सकता है, लेकिन जब आकांक्षी समाज होता है तो सरकारों को भी तलवार की धार पर चलना पड़ता है। चाहे केंद्र सरकार हो या फिर राज्य सरकार हो, सभी को इस समाज की चिंता करनी होगी। उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए हम इंतजार नहीं कर सकते।
इस समाज ने लंबे अरसे तक इंतजार किया है, लेकिन अब वह अपनी आने वाली पीढ़ी को इंतजार करने के लिए मजबूर करने को तैयार नहीं है। इसलिए अमृत काल की पहली प्रभात आकांक्षी समाज के सपने को पूरा करने का सुनहरा अवसर देती है। हमने पिछले दिनों देखा कि भारत में कैसे सामूहिक चेतना पुनर्जागरण हुआ।
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