मनोभावों को बदलने के लिए गीता पढ़ना चाहिए

Posted On:- 2025-04-21




महामना मालवीय मिशन द्वारा गीता के चौदहवें अध्याय का पाठ अजित सिंह जूगनु बाबा के निवास स्थान पर किया गया। इस अध्याय पर प्रकाश डालते हुए आर एन अवस्थी ने कहा कि सतोगुण का प्रभाव ही है कि हमलोग सप्ताह में एक घंटे का समय गीता पाठ और आध्यात्मिक परिचर्चा के निकाल पाते हैं। अन्यथा हम लोगों का भी जीवन मोबाइल और टेलीविजन में व्यस्त रहता। समाज के व्यक्तियों के साथ संवाद करने का अपना अलग आनंद रहता है। हरिशंकर सिंह ने बताया कि गीता महाग्रंथ का ग्लोबल स्तर पर महत्व बढ़ना सनातन संस्कृति के लिए शुभ समाचार है। अम्बिकापुर नगर में मालवीय मिशन का यह अभियान लम्बे समय से चल रहा है। जिसमें अविवादित तथ्यों पर चर्चा होती रही। हम संसारिक व्यक्ति है तो संसारिक बातें करेंगे ही। उन्हीं संसारिक बातों की पुष्टि गीता ग्रंथ में खोजते हैं। ब्रह्म शंकर सिंह ने कहा कि अर्जुन संसारिक व्यक्ति थें इसलिए संसारिक मनोभाव उनमें उत्पन्न होना स्वाभाविक था। पर भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन के सभी शंकाओं का समाधान किया। जिससे अर्जुन ने कर्म किया। हर व्यक्ति को कर्म करना चाहिए।कर्म की परायणता से व्यक्ति महान बनता है। राज नारायण द्विवेदी ने कहा कि किसी भी व्यवस्था के संचालक के लिए योजनाएं बनाई जाती है। महाभारत में युद्ध की योजना नियम कायदे बन गई और उस का नायक ही युद्ध में जाने से इंकार कर दे तो बहुत विषम परिस्थिति बन जाती है। कुछ ऐसा ही महाभारत में हुआ था। जिसके कारण भगवान श्री कृष्ण ने युद्ध स्थल पर गीता का ज्ञान अर्जन को दिया। जो सम्पूर्ण मानवजाति के लिए आज भी प्रासंगिक हैं। अजीत सिंह ने कहा की यह मेरा सौभाग्य है कि ऐसे पुनित परिचर्चा का आयोजन हमारे गृह में हुआ। चर्चाएं तो रोज होती है पर उसमें काम-धंधे,  पैसा कमाने और राजनीतिक बातें ज्यादा होती है। जिसमें हमारा स्वार्थ छिपा रहता है। आज का परिचर्चा लोक कल्याण समाज कल्याण और अपने मनोभावों की शुद्धता के लिए है। समय-समय पर ऐसी परिचर्चा होनी चाहिए। आभार प्रदर्शन करते हुए सुरेन्द्र गुप्ता ने कहा कि व्यक्ति का संगत आहार व्यवहार का प्रभाव उसके मन-मस्तिष्क पर पड़ता है। हमलोग जो इस आध्यात्मिक परिचर्चा में सहभागी हों रहें हैं उसके पीछे हमारी संगीत का प्रभाव है। नि:स्वार्थ भाव का मेल-मिलाप से ही समाज में समरसता आयेगा। कवि प्रकाश कश्यप और मुकुन्दलाल साहु ने कविता के माध्यम से गीता ज्ञान की बातें रेखांकित किया। एच सी मिश्र जय प्रकाश चौबे सचिदानंद पान्डेय और अशोक सोनकर ने भी अपनी बातें रखीं।




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