कहने को देश की राजनीति में हजारों नेता है, सभी रोज कुछ न कुछ जनता से कहते हैं। सबकी बातों का जनता पर कोई असर नहीं होता है। वह सुनते हैं, भूल जाते हैं। वह एक कान से सुनते है, दूसरे कान से निकाल देते हैं।
राजनीति में सारे राजनीतिक दल यही करते हैं जब वह कोई अच्छा काम करते हैं तो चाहते हैं कि जनता व मीडिया का पूरा ध्यान उसके अच्छे कामों की तरफ रहना चाहिए।
छत्तीसगढ़ में जिस तरह नक्सलियों के इलाके में घुसकर नक्सलियों के सफाए के लिए टारगेट बेस्ड आपरेशन चलाए जा रहे है, उससे साफ है कि नक्सली समस्या के समाधान के लिए साय सरकार का विजन साफ है।
राजनीति में ब़डी़ जिम्मेदारी मिलने का मतलब होता है कि आदमी का महत्व बना हुआ है,उसका उपयोग पार्टी के राजनीतिक फायदे के लिए किया जा सकता है। इससे कई तरह का संदेश क्षेत्र के लोगों को जाता है।
चुनाव में जब तक रिजल्ट सामने नहीं आ जाता सभी अपनी जीत का दावा करते रहते है। छत्तीसगढ़ में सीएम साय का दावा चुनाव शुरू होने आखिरी तक पूरी ११ सीटे जीतने का रहा है तो यह उनका अपना विश्वास है
किसी राजनीतिक दल की सचाई को उस दल के लोग ही भलिभांति जानते हैं और वह जब अपने दल के बारे में कहते हैं तो उसे सच मानने के अलावा कोई चारा नहींं बचता है।
.काम करके दिखाने वाले को, वादा पूरा करके दिखाने वाले को भरोसा होता है कि उसने जनहित व राज्यहित में काम पूरी ईमानदारी से किया है तो जनता उसे जरूर आशीर्वाद देगी।
एक राजनीतिक दल से दूसरे राजनीतिक दल में नेताओं व कार्यकर्ताओं का जाना कोई नई बात नहीं है, हर बार चुनाव के समय ही ऐसा ज्यादा होता है। किसी भी राजनीतिक दल के नेता व कार्यकर्ता जीतने वाले दल में जाना पसंद करते हैं, सत्ता के साथ रहना पसंद करते हैं।
राहुल गांधी तो योध्दा कहे जाते है,कहा जाता है कि वह जमकर लड़ते हैं. खुद भी हमेशा लड़ने को तैयार रहते हैं और अपनी पार्टी के नेताओं व कार्यकर्ताओं को वह यह कहते रहते हैं कि डरो मत, भागो मत, मुकाबला करो।
चुनाव के दौरान जो बयान दिए जाते हैं उनमें कुछ सच्चाई भी होती है और बहुत सारे बयान तो हवा हवाई होते हैं।