देश व राज्य में कई समस्याएं ऐसी भी होती है, जिससे लोगों को परेेशानी होती है, उसे गंभीरता से लेने की जरूरत है लेकिन कोई गंभीरता से लेता नहीं है।
राजनीतिक दल चुनाव हार जाते हैं तो जनता उनको सत्ता न सौंपकर किसी एक दल को सत्ता सौंप देती है तो कायदे से जनता ने उनको विपक्ष का काम करने को कहा तो वही करना चाहिए।
आम तौर पर माना जाता है कि अ्च्छी जिंंदगी के लिए शिक्षा जरूरी है। शिक्षित आदमी ही अपना, परिवार,समाज व देश का भला बुरा समझ सकता है।
राजनीति में विपक्ष में कोई भी राजनीतिक दल हो,उसकी कोशिश तो यही रहती है कि वह जब भी मौका मिले या जब भी चाहे मौका बनाकर यह साबित किया जाए कि सरकार हर क्षेत्र में फेल है।
हर बार संसद सत्र के पहले सरकार सर्वदलीय बैठक बुलाती है।यह परंपरा है. इसमें सदन सुचारु चलने देने पर सहमति बनती है।
देश की राजनीति में वैसे तो एक से एक बढ़कर नेता हुए हैं। उनके कारनामों के लिए उनको आज भी याद किया जाता है लेकिन केजरीवाल जैसा नेता न तो कोई पहले हुआ है और न ही वर्तमान में कोई उनके जैसा है।
पार्टी एक बार लोकसभा का चुनाव हार जाए तो पार्टी के नेताओं व कार्यकर्ताओं को पार्टी से जोड़ रखना मुश्किल होता है।
राजनीति में जिसका कद बढ़ता रहता है, उसका महत्व बढ़ता है, जनता में उसकी साख बढ़ती है, जनता का उस पर भरोसा बढ़ता है।
प्रदेश के मुख्यमंंत्री विष्णुदेव साय राज्य के लोकप्रिय सीएम हैं। कुछ ही महीनों में अपने काम और व्यवहार से उनकी लोकप्रियता पहले से बढ़ी है।
अभिव्यक्ति की आजादी से लोकतंत्र मजबूत होता है। इसका मतलब होता है कि हर किसी को बराबर बोलने की आजादी है।