वक्त बदलता है लोग भी बदलते हैं, बदलना ही पड़ता है,वक्त के साथ चलने के लिए बदलना जरूरी होता है। जो लोग नहीं बदलते हैं वह अतीत में जीते रहते हैं,
राहुल गांधी तो राहुल गांधी हैं। अपनी मौज में रहते हैं। कब क्या कहेंगे,कब क्या करेंगे यह तो उऩके अलावा कोई जानता नहीं है।
राजनीतिक दल हो या गठबंधन हो उसकी मजबूती का प्रमाण तो यही माना जाता है कि जनता उस पर भरोसा करती या नहीं है। जनता उस पर भरोसा करती है तो वह चुनाव में उसकाे वोट देती है,चुनाव जिताती है।
राजनीति में चुनाव होते रहते हैं,चुनाव में हार-जीत भी होती रहती है।जीतने वाले जश्न मनाते हैं और हारने वाले पहले हार के बहाने ढूंढते है, कह देते हैं कि रिजल्ट हमें अस्वीकार्य है।
भ्रष्टाचार न करने वाली सरकार पुरानी सरकार के भ्रष्टाचार से सबक लेती है और ऐसी व्यवस्था करती है कि पुरानी सरकार में जिस तरह से भ्रष्टाचार हो रहा था कम से कम उस तरह से भ्रष्टाचार की कोई गुंजाइश न रहे
राज्य में धान खरीदी की व्यवस्था कोई छोटी मोटी व्यवस्था नहीं है। बहुत बड़ी व्यवस्था है, बडी़ व्यवस्था है, इसलिए इसमें ज्यादातर धान खरीदी केंद्रों में व्यवस्था के साथ कई धान खरीदी केंद्रों में अव्यवस्था भी होती है।
राजनीति में राजनीतिक दलों के अपने अपने वोट बैंक होते हैं, कोई वोट बैंक जाति के आधार पर होता है तो कोई वोट बैंक योजना के लाभार्थियों का होता है।
राजनीति में अपनी बात मनाने के लिए रूठना पड़ता है,दिखाना पड़ता है कि आपके फैसले से हम नाराज हैं।अपने समर्थकों,वोट देने वालों को भी बताना पड़ता है कि मैंने तो अपनी तरफ से पूरी कोशिश की सीएम बनने की
कोई पार्टी निरंतर हारती चली जाती है तो उसको देरसबेर सोचना तो प़ड़ता है कि हार के सिलसिले को रोकने के लिए क्या किया जा सकता है। हार के लिए जिम्मेदार लोगों को पद से हटाया जा सकता है।
कोई सरकार कोई काम करती है।उसकी नीयत का पता उसके काम से ही चल जाता है कि यह जो काम कर रही है ठीक कर रही है या गलत कर रही है।