कहा जाता है कि भ्रष्टाचार सबसे ज्यादा संक्रामक बीमारी है। बहुत तेजी से फैलती है। जैसे ही पता चलता है कि ऊपर का आदमी भ्रष्ट है, सरकार का मुखिया भ्रष्ट है,ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार फैलता चला जाता है।
राजनीति में किसी भी नेता की साख तब ही बनती है, जब वह कुछ कहे तो लगे सच कह रहा है।नेता जब कहे तो वह तर्कसंगंत होना चाहिए। किसी को ऐसा नहीं लगना चाहिए कि नेता जो कह रहा है, वह तो संभव नहीं है।
राजनीति और महंगाई के बीच एक गहरा रिश्ता तो है। महंगाई बढ़ती है तो विपक्ष को राज्य ही नहीं देश भर में राजनीति करने का मौका मिलता है।हर शहर, हर जिले में प्रदर्शन किया जाता है।
चुनाव मतलब होता है कि वोट के लिए वादों की होड़। जिसमें ज्यादातर दल जनता से वाेट लेने के लिए बड़े लुभावने वादे करते है।
चुनाव के समय सारे राजनीतिक दल जनता से,युवाओं से,महिलाओं से, किसानों से, मजदूरों से, शासकीय कर्मचारियों से कई तरह के वादे किए जाते हैं।कई वादे तो महज खास वर्ग का वोट लेने के लिए किए जाते हैं।
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के बहुत बुरे दिन आ गए है।वह छत्तीसगढ़ छोड़कर भाग रहे हैं पर दूसरे राज्य में उनकी ताक में बैठे जवान उनको ढेर कर दे रहे हैं।
राजनीतिक दलों मोटे तौर पर दो तरह के ही नेता होते हैं। एक होते हैं पार्टी के खांटी नेता और दूसरे होतें हैं मौकापरस्त नेता।किसी भी पार्टी में खांटी नेता तो उसे ही माना जाता है जो कुछ भी हो जाए अपनी विचारधारा नहीं बदलता,
जब भी किसी राज्य में कोई बड़ा और नया काम होना होता है तो सत्ता में बैठे लोगों की बड़ी इच्छा होती है कि उसके साथ मेरा नाम जुड़ा रहे।
जनता तो चाहती है कि चाहे सरकार बनाए,पुलिस विभाग बनाए या निगम बनाए कोई भी व्यवस्था स्थायी और अच्छी होनी चाहिए।कोई व्यवस्था अच्छी होती है लेकिन स्थायी नही होती है और कोई व्यवस्था स्थायी होती है लेकिन अच्छी नहीं होती है
कहने सुनने में अच्छा लगता है कि जनता के जानो-माल की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है पुलिस की है। हकीकत यह है कि एक एक आदमी की सुरक्षा के लिए पुलिस लगाई नहीं जा सकती।