राज्योत्सव की बधाईयों के साथ कल की अधूरी बात बेबाक
छत्तीसगढ़ गठन के दौरान छत्तीसगढ़ के सफेद शेर के यहाँ तत्कालीन राजा की ठुकाई के बाद जोगिया रंग में रंगे छत्तीसगढ़ में भय भूख और भ्रष्टाचार के आतंक से थर्रायी जनता ने पहले चुनाव में ही विकास की आस में कमल खिलाया था ।
आदिवासी नायक भगवान बिरसा मुंडा जहां देशभर के आदिवासियों के प्रेरणापूंज है। ठीक उसी प्रकार छत्तीसगढ़ में भी फिरंगियों के विरूद्ध बिगुल फूंकने का काम सोनाखान केे जमींदार वीर नारायण सिंह ने किया। उन्होंने फिरंगियों की दमन और शोषणकारी नीतियों के विरूद्...
छत्तीसगढ़ अब अपने स्थापना के 25 वर्ष पूरे करने जा रहा है। एक युवा राज्य, जो अपनी संस्कृति, संसाधन और संघर्ष की शक्ति के बल पर नए भारत के विकास का प्रतीक बन चुका है
कहावत है कानून अंधा होता है पर यहां तो बहरा भी हो चला है। जिसे कान फोड़ू DJ धुमाल और कोतवाली के सामने फूटते फटाके की आवाज सुनाई नही पड़ती
अगर भारत में लोकतंत्र की सबसे जीवंत झलक देखनी हो, तो विधानसभा या संसद मत जाइए, सीधे किसी आरटीओ (क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय) के प्रांगण में जाइए। वहाँ आपको असली लोकतंत्र दिखाई देगा — जहाँ “जनता” सचमुच जन है, और “सेवक” सचमुच सेवा लेता है।
‘भूलन कांदा’ नामक उपन्यास प्रसिद्ध साहित्यकार संजीव बख्शी ने एक दशक पहले लिखा था । जिस पर छत्तीसगढ़ के नौजवान सिने निदेशक मनोज वर्मा ने छत्तीसगढ़ी भाषा में ‘भूलन द मेज’ नामक फिल्म बनाई जो राष्ट्रीय पुरस्कार पाने वाली यह पहली क्षेत्रीय फिल्म है।
जिले की पंगु होती प्रशासनिक व्यवस्था सत्ता और सरकार के लिए अच्छे संकेत नही है । जिले में पंगु हो चुकी प्रशासनिक व्यवस्था का नजारा अक्सर देखने को मिल जाता है । कभी पुलिसिया लापरवाही तो कभी जिला प्रशासन की लापरवाही मुसीबत का सबब बन जाती है ।
भारतखंडे आर्यावर्ते मंडला क्षेत्रान्तर्गत कवर्धा नगरे गाली गलौच जूतम पैजारे कथाया: प्रथमो अध्यायः
छत्तीसगढ़ राज्य सदैव से कृषि प्रधान रहा है, जहां किसान न केवल अन्नदाता हैं बल्कि समृद्धि के वास्तविक वाहक भी हैं। राज्य की पहचान “धान का कटोरा” के रूप में पूरे देश में प्रसिद्ध है।