जिले की पंगु होती प्रशासनिक व्यवस्था सत्ता और सरकार के लिए अच्छे संकेत नही है । जिले में पंगु हो चुकी प्रशासनिक व्यवस्था का नजारा अक्सर देखने को मिल जाता है । कभी पुलिसिया लापरवाही तो कभी जिला प्रशासन की लापरवाही मुसीबत का सबब बन जाती है । नवरात्रि पर कामठी में हुआ पूजा स्थल को लेकर हुए विवाद और लाठी चार्ज भी जिला व पुलिस प्रशासन की लापरवाही का ही नतीजा रहा है । भगवाकांड के बाद से जिले की आबोहवा और राजनीतिक पैंतरे भी बदल चुके है । जिला व पुलिस प्रशासन की एक लापरवाही जिले की बिगड़ चुकी आबोहवा के जरूर आग में पेट्रोल का काम करेंगे ।
सरकार बदलने के बाद से जिले में आये दिन कोई न कोई घटना हो रही कुछ प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा , कुछ राजनीति तो कुछ जातिवाद की चकरघिन्नी में उलझी रहती है । जिले में सड़कों का जाम किया जाना आम हो चला है । कोई भी प्रशासन को आत्महत्या की धमकी देते अपनी मांगे मंगवाने पहुंच जाता है । आदमी आत्महत्या तक की मानसिकता में क्यों कर पहुंच रहा इस पर कोई पड़ताल कोई कार्यवाही होती दिख नही रही अपितु प्रशासनिक नुमाइंदे अपनी कुर्सी की फिक्र में अक्सर दुम दबा कर भागते नजर आते है । जिन साहबान के हाथों में कानून व शांति व्यवस्था बनाये रखने की जिम्मेदारी हो जब वही अपनी जिम्मेदारी से भागने लगे पुलिस का सूचना तंत्र फेल होने लगे तो जिले का भगवान ही मालिक है ।
जिले में भगवकाण्ड , लोहारिडीह कांड , कामठी कांड कोई भुला नही है इस पर दशारंगपुर का बवाल आने वाले समय मे कोई बड़ा गुल खिलाने की फिराक में है । दशरंगपुर में जनप्रतिनिधि और जनता के बीच का विवाद लंबे समय से चल रहा और गहरा भी रहा है । जिला व पुलिस प्रशासन की लापरवाही का ही नतीजा है कि अतिक्रमण जैसी कार्यवाही करवाने के लिए ग्रामीण जिले की कई राज्यो को जोड़ने वाली सबसे बड़ी लाइफलाइन राष्ट्रीय राजमार्ग को लगभग 5 घंटे तक जाम कर देते है । अतिक्रमण हटाये जाने का विरोध कर रहे जनप्रतिनिधियों के आत्महत्या के लिए पेट्रोल डाले जाने की घटना से उत्तपन्न डर से प्रशासन व पुलिस दुम दबा कर भाग खड़े होती है । दूसरी ओर ग्रामीण अतिक्रमण नही हटाये जाने से नाराज हो कर सड़क पर बैठे रहते है और पेट्रोल का डर यहां भी जिला व पुलिस प्रशासन को डरा जाता है । जब कानून के रखवाले और जिला प्रशासन ही ऐसी धमकियों से डरने लग जाये तो शांति और कानून व्यवस्था आखिर बनाएगा कौन ? बात यहां जिला व पुलिस प्रशासन को कोसने की नही है ना उन्हें पूरी तरह जिम्मेदार ठहराने की फिर भी आखिर ये घटनाएं और धमकी चमकी के पीछे के कारणों को समझना और इसके जिम्मेदार लोगों पर कानून का डंडा बरसाना भी जरूरी है ।
घटना के बाद हर कोई अपनी राजनीतिक दुकानदारी चमकाने चला आता है किंतु घटना की रोकथाम में सब लाचार नजर आते है , आखिर ऐसी क्या लाचारी है कि प्रशासन को पंगु होना पड़ रहा है ? आत्महत्या की धमकी और पेट्रोल छिड़कने वालो पर क्यों कर करवाही नही हो पाई ? ग्रामीण क्यों लगभग 5 घण्टे नेशनल हाइवे को जाम करने मजबूर हुए ? ग्रामीणों के विवाद को सुलझाने में नाकाम और नकारा अफसर कौन है ? आखिर वो कौन है जो जिले के आबोहवा बिगाड़ अपना हित साधना चाहता है ? प्रशासन क्यों है मजबूर ? जैसे सवालों के उत्तर भी जरूरी है ?
जिले की पंगु होती प्रशासनिक व्यवस्था सत्ता और सरकार के लिए अच्छे संकेत नही दे रही है । समय रहते इस पंगुता का इलाज नही किया गया तो प्रशानिक अफसरों का कुछ नही बिगड़ना आज यहाँ नौकरी तो कल कही और रहेगी किंतु भुगतना जिले और जिले वासियों व नेताओ को पड़ेगा ।
चलते चलते:-
(1) बाहर से आने वाले आदमी को गांजा कहां मिलता है सट्टा का नम्बर कहां लगेगा पता चल जाता है किंतु पुलिस बेचारी को पता नई चल पाता क्यों जी ?
(2) जिले का नाम है कबीरधाम,
खुल के पियो गाँजा , सट्टा खेलो खुलेआम ?
और अंत में :-
अभी गनीमत है सब्र मेरा अभी लबालब भरा नहीं हूँ ,
वो मुझको मुर्दा समझ रहा है उससे कहो मैं मरा नहीं हूँ ।
#जय_हो 11 अक्टूबर 2025 कवर्धा (छात्तीसगढ़)
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