फरवरी 2022 से दौड़ते कागजी घोड़े और काम की कछुआ चाल अकुशल श्रमिको के हाथों थमाई गई छीनी हथौड़ी ने भोरमदेव मंदिर के संरक्षण और उसके प्रयासों पर सवालिया निशान लगा दिया है । अफसरों की अलाली व कर्मचारीयों की कामचोरी का हाल यह है कि सालों गुजरने के बाद भी मन्दिर की टपकती छतें , रिसती दीवारे दीवारो पर जमी काई उगे , पेड़ पौधे , मन्दिर की पीड़ा अफसरों के कागजी कामों के जीते जागते सबूत है ।
भोरमदेव मन्दिर बोल सकता , अपनी चींखें सुना सकता तो शायद यही कहता -
" मैं छत्तीसगढ़ का आध्यात्मिक गौरव भोरमदेव हूँ सनातनी सरकार मुझे बचा लो "
सनातनी सरकार के मुखिया विष्णुदेव साय , उप मुखिया विजय शर्मा विगत दिनों कांवरियों पर उड़नखटोले से फूलों से वर्षा करते बाबा भोरमदेव के दरबार मे मत्था टेक देश प्रदेश की खुशहाली का आशीर्वाद भी मांग आये । सरकार के मुखिया और उप मुखिया के पूजा के समय भी मंदिर के गुम्बद से पानी की बूंदे टपक टपक कर बाबा भोरमदेव का जलाभिषेक अनवरत करती रही । मंदिर की रिसती दीवारें अपना दर्द सनातनी सरकार को बताने प्रयासरत है । बाबा भोरमदेव की पीड़ा अब साहब देख व समझ पाए कि नही यह तो नही मालूम किन्तु लगभग एक करोड़ के करीब खर्चने के बाद भी हालत जस के तस है ।
2018 में सत्ता परिवर्तन के बाद से बीते 5 सालों बाद सावन के महीने में छत्तीसगढ़ के किसी मुखिया ने बाबा के दरबार मे हाजरी लगाई है । बाबा तो उनकी झोलियाँ भरेंगे किन्तु मुखिया के आगमन के बाद भी क्या भोरमदेव की दुर्दशा में कोई आमूलचूल परिवर्तन आएगा या फिर वही देखेंगे , देखते है , देख रहे हैं का राग अलापा जाएगा यह तो समय के गर्भ में है ।
पूरे प्रदेश में एक हजार साल ज्यादा पुराने पुरातत्व महत्व के अनेक स्थान होंगे पर अपने पूर्ण अस्तित्व वाला एक मात्र स्थान भोरमदेव मंदिर ही साबूत बचा है, लेकिन हजार साल पुराने इस शिव मंदिर को पुरातत्व विभाग के अलाल अफसरों कामचोर अधिकारियों कर्मचारियों की नजर लग चुकी है । पुरातत्व विभाग द्वारा पैसे ले कर भी काम मे अलाली ,सुस्त रफ्तार व अनेदखी के कारण मंदिर का अस्तित्व खतरे में पड़ चुका है। मंदिर में जगह जगह काई लग चुकी है । मन्दिर की दीवारों पर जगह जगह पेड़ उग कर मन्दिर को जड़ो के जरिये क्षति पहुंचा रहे है । बारिश के मौसम में मन्दिर की दीवारों और छत से बारिश के पानी का रिसाव हो रहा है जो कि मंदिर के अस्तित्व के लिये खतरा बन गया है हांलाकि इस रिसाव से मंदिर को बचाने बेल के गुदे , गुड़ , चुने आदि के भराव के कार्य की जानकारी विभाग द्वारा दी जाती रही है किन्तु वर्तमान में रिसती दीवारों , छतों व गुम्बद से टपकता पानी काम की गुणवत्ता बता रहा है । मंदिर में घुसने से लेकर गर्भगृह तक जगह जगह पानी टपकता देखा जा सकता है ।
मंदिर के बाजू में ही ईंटो से निर्मित जर्जर शिव मंदिर है जिस पर रिसती दीवारे पर जमी काई उगे , पेड़ पौधे मन्दिर को जर्जर कर रहे जो अफसरों को पैसे लेने के ढाई बरस बाद भी दिखाई ना देना समझ से परे है । पेड़ पौधों की जड़े कठोर पत्थर तक को खोखला कर देती है तो यह हो ईंटो से निर्मित मंदिर है ।
लगभग तीन से चार साल पहले पुरातत्व विभाग द्वारा बढ़ती समस्या को देखते हुए कई गाइडलाइन जारी किया गया साथ ही मंदिर की उचित रखरखाव के लिए कैमिकल पॉलिस करने, मंदिर के पास बड़े पेड़ को काटने व मंदिर के चारों ओर 5 फीट तक गहरा करके सीमेंट से मजबूती देने का दावा किया गया था साथ ही मंदिर में चावल को विशेष रूप से प्रतिबंधित किया गया था । लगभग ढाई साल से भी अधिक समय पहले पुरातत्व की टीम आई और बड़े बड़े प्लान बता गई । पुरातत्व विभाग के दौरे के बाद जिला प्रशासन ने डीएमएफ फंड से भोरमदेव मन्दिर के प्लिंथ प्रोटेक्शन , मरम्मत , कैमिकल ट्रीटमेंट के लिये पैसठ लाख बैसठ हजार तीन सौ चौरासी (65,62,384)रुपये की स्वीकृति 4 फरवरी 2022 को दे दी गई थी जिसमे से बत्तीस लाख अस्सी हजार (32,80,000) रुपये 11 फरवरी 2022 को पुरातत्व विभाग को ट्रांसफर भी कर दिए गए । पुरातत्व विभाग के डायरेक्टर को जिला कलेक्ट्रेट द्वारा कई बार पत्राचार मौखिक चर्चा के बावजूद 7 माह बाद भी जब कोई कार्यवाही नही की गई न ही काम प्रारम्भ हो पाया तब समचार प्रकाशन और जिला प्रशासन के दवाब व समाचार से विभाग की बदनामी के चलते कुम्भकर्णी नींद से जागे पुरातत्व विभाग के अफसरों ने काम तो चालू किया किन्तु चाल कही कछुवे वाली ही रही । कछुवा चाल का नतीजा है की ढाई वर्ष गुजरने के बाद भी काम पूरा नही हो पाया ।
मन्दिर की हालात को लेकर जिला प्रशासन को कटघरे में लेने वाले पुरातत्व विभाग की लापरवाही खुद ऎतिहासिक व पुरातात्विक महत्व के मंदिर पर भारी पड़ रही है । वही मंदिर परिसर में जगह जगह चावल न डालने की अपील चश्पा करने के बाद भी लोगो मे भी जागरूकता का अभाव देखा जा रहा है। भोरमदेव मंदिर की ख्याति आज देश ही नही विदेशों तक फैली हुई है, मंदिर की धार्मिक मान्यता भी लोगो मे खूब है, इसके बाद भी पुरातत्व विभाग द्वारा अनदेखी करना बड़ी लापरवाही साबित हो सकती है।
#जय _हो 07 अगस्त 2024
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जीवन की इस आपाधापी में अगर किसी दुर्घटनावश पैर काम करना बंद कर दे तो जीवन का यह संघर्ष और भी कठिन हो जाता है।