जांच की स्थायी और अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए

Posted On:- 2024-09-02




सुनील दास

जनता तो चाहती है कि चाहे सरकार बनाए,पुलिस विभाग बनाए या निगम बनाए कोई भी व्यवस्था स्थायी और अच्छी होनी चाहिए।कोई व्यवस्था अच्छी होती है लेकिन स्थायी नही होती है और कोई व्यवस्था स्थायी होती है लेकिन अच्छी नहीं होती है। अब जैसे निरीक्षण की व्यवस्था है।हर सरकारी विभाग का निरीक्षण किया जाना चाहिए।हर अस्पताल,हर सरकारी दफ्तर, हर सरकारी स्कूल, कालेज, विवि, हर पुलिस थाने का निरीक्षण किया जाना चाहिए,हर शहर में हर होटल,हर कैफे,हर रेस्टोंरेंट की जांच होनी चाहिए।इसकी न तो स्थायी व्यवस्था होती है न ही अच्छी व्यवस्था होती है।

हर जगह जनता की सुविधा असुविधा से जुड़ी हुई होती है।जांच होने पर ही तो पता चलेगा कि जनता को क्या सुविधा मिल रही है, जनता को क्या असुविधा हो रही है। कहां क्या सही हो रहा है, कहा क्या गलत हो रहा है।जनता के यह जानकर अच्छा लगता है कि कोई अधिकारी,सांसद,विधायक,मंत्री,मुख्यमंत्री जब कहीं निरीक्षण करने निकलते हैं। जनता तो चाहती है कि निरीक्षण का काम निरंतर होना चाहिए। ताकि हर जगह गलत काम करने वाले लोगों को यह डर रहे कि कोई भी कभी भी जांच के लिए आ सकता है।गलत काम तो हर जगह होते हैं, उसे रोका तब जा सकता है कि जब पता चले।

अधिकारी, मंत्री को पता ही नहीं है कि कहां पर क्या गलत काम हो रहा है तो वह उसे रोक कैसे सकते हैं।वीआईपी रोड़ के कुछ खास होटल,रेस्टोंरेंट,कैफे में अवैध नशे और नियमों के उल्लंघन की शिकायतेें मिलने पर एसएसपी ड़ॉ संतोष सिंह अपनी टीम लेकर जांच के लिए निकले। पहले कुछ थानों का निरीक्षण किया,उसके बाद आधी रात वीआईपी रोड पहुंचे और एक दर्जन होटलों की जांच की।कई होटलों में सामने का गेट बंद मिला लेकिन पीछे के रास्तों से ग्राहकों का आना जाना चल रहा था,छह स्थानों पर शराबखोरी,गुमाश्ता एक्ट उल्लंघन सहित कई तरह की गड़ब़ड़ी पकड़ी। इसके लिए छह मैनेजरों सहित २३ कर्मियों को पकड़ा गया। कम उम्र के युवाओं को रात में बार व रेस्टोंरेंट में नशाखोरी करने पाए जाने पर उनको फटकार लगाई और होटल प्रबंधन की भी क्लास लगाई गई।

एसएसपी ने २३ लोगों के खिलाफ फिलहाल तो प्रतिबंधात्मक कार्रवाई और चेतावनी देकर छोड़ दिया है और समझाइश दी है कि नियमों का पालन करे तथा अवैध नशे के कारोबार से दूर रहें।यानी पुलिस ने अभी सुधरने का मौका दिया,नहीं सुधरे को सख्त कार्रवाई की जाएगी।एसएसपी ने कहा है कि अवैधानिक गतिविधियों को रोकना पुलिस के साथ सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है।उन्होंने लोगों से अवैधानिक गतिविधियों की सूचना देकर सहयोग करने की अपील की है।यह सही भी है कि शहर में अपराध रोकना तो पुलिस की जिम्मेदारी है, साथ ही यह जनता की भी तो जिम्मेदारी है कि वह अपने आसपास कहीं भी किसी तरह का अपराध हो रहा है तो उसकी सूचना पुलिस को दे। अपराध का पता चलने पर ही तो पुलिस किसी तरह की कार्रवाई करेगी। बहुत सारे लोग अपराधियों के डर के मारे पुलिस को कुछ बताने से डरते हैं। पुलिस जब तक यह डर खत्म नहीं करेगी तब तक ज्यादा लोग तो अपराध की सूचना देने से रहे।

शहर निरीक्षण का काम सिर्फ पुलिस अधिकारी ही क्यों करें। राज्य के मंत्री, विधायक, सांसद, पार्षद सभी को करना चाहिए। इससे गलत काम करने वालों को और ज्यादा डर रहेगा कि पुलिस ही नहीं,सांसद,विधायक,मंत्री तक जांच करने आ सकते हैं।सभी अपना शेडयूल बना लें कि कब कौन अचानक जांच करने जाएगा तो हर माह सभी सरकारी व निजी संस्थाओं की कई बार जांच हो जाएगी।गलत काम करने वाले गलत काम करने से डरेंगे की पता नहीं कौन कब जांच करने आ जाए और कोई उसकी शिकायत कर दे। हर सरकारी व निजी संस्था की नियमित जांच जरूरी है। ऐसा होता नही है। जब कभीकभार ही जांच होती है तो इसका कोई असर नहीं होता हैॆ। नियमित जांच तब ही हो सकती है जब इसके लिए हर स्तर पर अलग अलग जांच करने की स्थायी व अच्छी व्यवस्था हो और जब जांच करने जाएं तो किसी का पता न रहे कि आज कौन कहां जांच के लिए जा रहा है।

गलत काम तो होते रहते हैं, नियमित जांच न होने के कारण होते रहते हैं। जांच होने पर सिर्फ पता चलता है कि कहां कहां क्या गलत काम हो रहा है। ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार होने के कारण गलत काम को जिनको रोकना है, वही होने देते हैं, इसलिए गलत काम को रोकना एक बड़ी चुनौती है।अफसर, सरकारें बदलती रहती हैं लेकिन गलत काम जहां होना है,वहां होता रहता है। इससे लोगों में धारणा बनी रहती है कि अपराध व गलत काम को रोकना संभव ही नहीं है, कोई भी अफसर आए, कोई भी सरकार आए यह तो होता रहेगा।

जैसे रायपुर नगर निगम को मालूम है कि सड़क पर बारहों महीने आवारा मवेशियों का जमावड़ा रहता है, इससे कई तरह की परेशानी होती है। इसके लिए स्थायी व्यवस्था करने की जरूरत है लेकिन निगम अस्थायी व्यवस्था ही करता है।कुछ दिन मवेशियों की धरपकड़ की जाती है, उसके बाद सब बंद हो जाता है। मवेशियों का जमावड़ा फिर सड़कों पर लगा रहता है,लोगों को परेशानी होती रहती है। अदालत की फटकार का भी उस पर कोई असर नहीं होता है। वह कोई स्थायी और अच्छी व्यवस्था करना नहीं चाहता है।  



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