जब भी किसी राज्य में कोई बड़ा और नया काम होना होता है तो सत्ता में बैठे लोगों की बड़ी इच्छा होती है कि उसके साथ मेरा नाम जुड़ा रहे। उस काम को राज्य व शहर के लोग कभी याद करें तो उनका नाम भी लिया जाए कि इस काम के लिए तो फलां नेता ने भी बड़ी कोशिश की थी। मेट्रो लाइट ट्रेन एक ऐसा ही नया व बड़ा काम है जो राज्य की राजधानी में होना है। मेट्रो ट्रेन का सपना राज्य के जनप्रतिनिधि पिछले एक दशक से ज्यादा समय हो गया,राज्य व राजधानी के लोगों को दिखा रहे हैं।
११ साल पहले भी जब रायपुर में कांग्रेस की महापौर थी, तब मेट्रो चलाने के लिए दिल्ली से दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन के डायरेक्टर यहां आए थे। अब फिर एक बार रायपुर के महापौर कांग्रेस हैं और वह शहर के लोगों को बता रहे हैं कि वह तो रायपुर में लाइट मेट्रो ट्रेन चलाने के लिए रूस जाकर वहां एमओयू साइन करके आ गए हैं।उनका कहना है कि मास्को में हुए अंतर्राष्ट्रीय ट्रांसपोर्ट समिट १६० देशों ने भाग लिया था।भारत से इस समिट मे शामिल होने वाला मैं इकलौता व्यक्ति था।मैं हमेशा से महसूस करता था कि रायपुर शहर को लाइट मेट्रो ट्रेन की जरूरत है।मास्कों में मैंने रायपुर में लाइट मेट्रो ट्रेन चलाने के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर भी कर दिए हैं।
महापौर ने जब पहली बार मास्को से लौटने पर इस बात की जानकारी प्रेस वार्ता कर दी थी तो भाजपा वालों ने उनकी जमकर आलोचना की थी कि यह एमओयू अवैध है, महापौर की मास्को यात्रा तो उनकी निजी यात्रा थी। वहां उनको किसी एमओयू पर दस्तखत करने का अधिकार ही नहीं है। माना जाता है कि राज्य व केंद्र सरकार की बिना अनुमति के इस तरह एमओयू नहीं किया जा सकता।महापौर ने अपने निजी दौरे में अपने कार्यक्षेत्र से बाहर जाकर काम किया है।वह मास्को गए तो केंद्र व राज्य सरकार ने कोई अनुमति भी नहीं ली थी।
यह तो सच है कि महापौर एजाज ढेबर रूस गए थे, उनको रूस की सरकार ने निमंत्रण भेजा था। यह भी सच है कि उनकी मास्को यात्रा आधिकारिक यात्रा नहीं थी, अगर आधिकारिक यात्रा होती तो संबंधित विभाग व सीएम से अनुमति ली होती। उन्होंने ऐसा नहीं किया है, इसलिए माना तो यही जाएगा कि वह मास्को अधिकारिक यात्रा पर नहीं गए थे इसलिए उनका एमओयू भी अवैध ही माना जाएगा। महापौर अपनी दूसरी पत्रवार्ता में स्वीकार कर रहे हैं कि भले ही उन्होंने मास्कों जाकर लाइट मेट्रो रायपुर में चलाने के लिए एमओयू किया है लेकिन अगले एमओयू में भाजपा सरकार को ही तय करना है कि लाइट मेट्रो पर क्या फैसला लेना है।
उन्होंने यह भी बताया है कि १५ नवंबर के आसपास मास्को की टीम रायपुर आ सकती है।सब जानते हैं कि महापौर का कार्यकाल कुछ ही महीने बचा है। उसके बाद चुनाव होने हैं तो चुनाव में कुछ तो बताना होगा कि उनके कार्यकाल में क्या बड़े काम हुए हैं। अब सरकार उनके एमओयू का माने या न माने वह चुनाव मेंं कह तो सकते हैं कि उन्होंने रायपुर में लाइट मेट्रो चलाने के लिए मास्कों जाकर एमओयू किया था। वह सबूत के तौर पर यह भी बता सकते हैं कि रायपुर निगम बजट में रायपुर में मेट्रो ट्रेन चलाने के लिए प्रस्ताव भी दिया था।
महापौर एजाज ढेबर ने गेंद भाजपा सरकार के पाले में डाल दी है।अब सरकार लाइट मेट्रो ट्रेन चलाती है तो उसका श्रेय कांग्रेस और एजाज ढेबर लेंगे, यदि सरकार इसके लिए कोई प्रयास नहीं करती है तो भी कांग्रेस अगले निगम चुनाव तथा उसके बाद भी रायपुर में लाइट मेट्रो नहीं चलने के लिए भी भाजपा सरकार को ही दोषी बताएंगे।कांग्रेस और कांग्रेस नेता हमेशा कुछ न कुछ ऐसा अपने समय में करते हैं कि वह जब वह बड़ा व नया का शुरू हो और पूरा हो तो उसका श्रेय वह ले सकें।
कांग्रेस के समय शिलान्यास भी किसी काम का हुआ हो तो कांग्रेस व नेता उसका श्रेय ले लेते हैं तो ऱायपुर में लाइट मेट्रो ट्रेन चलना तो बहुत बड़ा काम है और पहली बार होगा, साय सरकार के समय नहीं होगा तो कभी न कभी होगा इसलिए कांग्रेस महापौर व कांग्रेस ने अभी से पूरी तैयारी कर रखी है कि इसका श्रेय अकेले भाजपा को न मिले, इसका श्रेय कांग्रेस को भी मिले।
महापौर जो प्रेस वार्ता के बाद प्रेस वार्ता कर रहे हैं तो उसका एक ही मकसद है कि इसका कुछ तो श्रेय महापौर होने के नाते उनको भी मिले। वह चाहते तो पांच साल में महापौर रहते कांग्रेस सरकार के समय इस पर ठोस काम कर सकते थे, लेकिन मेट्रो ट्रेन का काम कांग्रेस को कराना नहीं था, इसलिए कुछ किया ही नहीं गया। कांग्रेस बिना काम के श्रेय लेना चाहती है और भाजपा उसे अपने किसी काम का श्रेय लेने नहीं देना चाहती है।
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