अब विकसित भारत के सपने से चौंक रही है दुनिया

Posted On:- 2024-09-05




जबकि देश बनेगा नॉलेज सर्विसेज कैपिटल और ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब

- कमलेश पांडे

जिस तरह से पिछले 10 वर्षों में ग्लोबल इकॉनमी महज 35% बढ़ी है, लेकिन इसी अवधि में भारत की इकॉनमी में करीब 90% की बढ़ोतरी दर्ज हुई है, वह चौंकाता जरूर है, लेकिन लगे हाथ यह भी स्पष्ट करता है कि पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार अपने सटीक लक्ष्य को हासिल करने की ओर निरंतर बढ़ रही है। उनके अथक प्रयासों से आज भारत दुनिया की नॉलेज सर्विसेज कैपिटल और ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की ओर अग्रसर है। इसके साथ ही वह विकसित देश बनने की राह पर पर फर्राटे भर रहा है, जो सभी भारतवासियों के लिए गर्व और खुशी की बात है।

देश को आये दिन मिल रही वैश्विक और राष्ट्रीय उपलब्धियों से यह आईने की तरह बिल्कुल साफ है कि भारत की छवि अब उपेक्षित और पिछड़े देश की नहीं है। बल्कि यह देश अब दुनिया की तीसरी बड़ी इकॉनमी बनने की राह पर तेजी से बढ़ रहा है। अब हम ऐसे भारत में रह रहे हैं, जो दुनियाभर के लिए आकर्षण का केंद्र है। आज इसकी पिछड़ी हुई इमेज नहीं है, बल्कि एक ऐसे कर्मठ देश की है, जो दुनिया की तीसरी बड़ी इकॉनमी बनने की राह पर तेजी से बढ़ रहा है, जो वैश्विक कंपनियों को चीफ एग्जिक्यूटिव सप्लाई करता है, जो बहुत तेजी से फिजिकल और डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर बना रहा है। आज इसकी इमेज ऐसे देश की है, जो ग्लोबल स्केल वाले बिजनेस हाउसेज का घर है। जहां दुनिया की हर बड़ी कंपनी मौजूद होना चाहता है। यह टैलेंट, इंफ्रास्ट्रक्चर, कम्युनिटी और नॉलेज का सबूत है, जो भारत ऑफर कर रहा है।

विशेषज्ञ बता रहे हैं कि भारत साल 2047 तक न केवल विकसित बनेगा, बल्कि अपनी सांस्कृतिक ताकत के आधार पर भारत दुनिया के सबसे सम्मानित देश के रूप में उभरेगा। क्योंकि इसके पीछे पीएम नरेंद्र मोदी का विजन 2047 है, जिसके माध्यम से उन्होंने लोगों को बड़े सपने देखना सिखाया। साथ ही, दुनिया को मेक इन इंडिया का भरोसा दिया। उन्होंने देश को टेक्नॉलजी बूस्टर शॉट दिया और संदेह में पड़ी दुनिया को मेक इन इंडिया का भरोसा दिया। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि आज भारत ग्रासरूट पर डिलिवरी का रोल मॉडल है। ऐसा इसलिए हो सका, क्योंकि प्रधानमंत्री ने टेक्नॉलजी के जरिए समाज के वंचित वर्गों को लाभ पहुंचाए। देखा जाए तो मौजूदा दौर वाले आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) का वैसा ही असर दिखेगा, जैसा कभी भाप के इंजन से हुआ था। सच कहूं तो जो एआई (AI) में आगे बढ़ेगा, जीत उसी की होगी। डिवेलपर भारत के जीडीपी को रफ्तार दे रहे हैं।

2047 तक विकसित भारत बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार का जोर रिफॉर्म, स्टेबल पॉलिसी और हाई ग्रोथ पर है। उन्होंने कहा भी है कि अभी हमारी तीसरे कार्यकाल की सरकार बने 100 दिन भी पूरे नहीं हुए हैं। लेकिन हम इन्फ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाने में जुटे हैं। हम रिफॉर्म्स में भी लगातार आगे बढ़ रहे हैं। बीते 3 महीनों में हमने गरीबों, किसानों, महिलाओं और नौजवानों के लिए एक के बाद एक बड़े फैसले लिए हैं। हमारी सरकार अब पहले से तीन गुना तेज गति से काम कर रही है। भारत के वोटर्स ने 60 साल बाद किसी सरकार की हैटट्रिक लगवाई है।

गत दिनों देश-दुनिया की टॉप कंपनियों के अधिकारियों से संवाद करते हुए मोदी ने कहा कि हमारा वादा है कि हम रिफॉर्म करेंगे, आप वादा कीजिए कि परफॉर्म करेंगे। हम हाई ग्रोथ पर ध्यान देंगे, आप हाई क्वॉलिटी पर ध्यान देंगे। इस पर गिट हब के सीईओ थॉमस डोमके ने ठीक ही कहा कि साल 2027 तक सबसे ज्यादा सॉफ्टवेयर डिवेलपर भारत में होंगे और यह अमेरिका से आगे निकल चुका होगा। वहीं, माइक्रोसॉफ्ट इंडिया के प्रेजिडेंट अहमद मजारी ने कहा कि भारत दुनिया की नॉलेज सर्विसेज कैपिटल बन सकता है। इसमें आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में अगुवा बनने की क्षमता है। भारत का दमखम केवल बेंगलुरु और हैदराबाद जैसी जगहों में नहीं है, बल्कि देश के हर गांव और नागरिक में क्षमता है। एआई (AI) के जरिए भारत इनोवेशन की राह पर तेजी से बढ़ सकता है।

वहीं, गौतम सिंघानिया, चेयरमैन, रेमंड्स का भी कहना है कि भारत विकसित देश बनने की राह पर है। हमें ऐसी ग्रोथ चाहिए, जिसका फायदा सभी लोगों को मिले क्योंकि भारत में काफी लोग गरीब हैं। डेढ़ अरब लोगों के सपनों और अपने देश पर विश्वास के दम पर भारत 2047 में एक अग्रणी देश बन सकता है। जबकि, हुल के प्रबंध निदेशक और सीईओ रोहित जावा की राय है कि भारत में हैरतअंगेज तरीके से बदलाव हुआ है। आने वाले दिनों में दुनिया की वर्किंग पॉपुलेशन का 27% हिस्सा भारत से आने वाला है। इसलिए भारत के युवाओं की रोजगार पाने की क्षमता बढ़ाना सबसे अहम है।

वहीं, नौरियल रुबिनी, एमेरिटस प्रफेसर, इकॉनमी, न्यू यॉर्क यूनिवर्सिटी का विचार है कि भारत सही राह पर है। पिछले दशकों में चीन की ग्रोथ भारत से ज्यादा थी। लेकिन नया भारत आने वाले दशकों में एक बड़ी वैश्विक शक्ति के रूप में उभर सकता है। इसके लिए विभिन्न क्षेत्रों में सुधार जारी रखने होंगे, चाहे सरकार बहुमत की हो या गठबंधन वाली।

इससे साफ है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने समृद्ध भारत से ही पूरे विश्व की समृद्धि का रास्ता बनने की बात पर जो जोर दिया है, वह अकारण नहीं है, बल्कि इसके पीछे उनकी टीम की ठोस रणनीति है।

उन्होंने ठीक ही कहा कि भारत अपनी नीतियां बीते कल के हिसाब से नहीं, बल्कि आने वाले कल को ध्यान में रखते हुए बना रहा है और फोकस फ्यूचर पर है। उन्होंने 2047 तक विकसित भारत बनाने का संकल्प दोहराते हुए कहा कि सरकार कर जोर रिफॉर्म, स्टेबल पॉलिसी और हाई ग्रोथ पर है। अब वो उन पिलर्स की चर्चा करते दिखते हैं, जो विकसित भारत के निर्माण को गति देने वाले है। ये सिर्फ भारत की नहीं, बल्कि वैश्विक खुशहाली के भी पिलर्स है। इसलिए आज भारत में चारो तरफ अवसर बढ़ रहे हैं। हम बहुत लंबी छलांग लगाने के लिए आगे बढ़ रहे हैं।'

पीएम मोदी ने ठीक ही कहा है कि इस साल दुनिया के कई बड़े देशों में वोटिंग हुई है, ज्यादातर जगहों पर लोगों ने चेंज के लिए वोट किया है। कई देशों में सरकार को मुश्किलें आई हैं, लेकिन भारत के वोटर्स ने 60 साल बाद किसी सरकार की हैटट्रिक लगवाई है। इसलिए भारत को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना है। इसके लिए देश में एक रिवॉल्यूशन चल रहा है। आज एमएसएमई को जितना सपोर्ट मिल रहा है, उतना पहले कभी नहीं हुआ। प्लग ऐड प्ले पार्क बन रहे हैं।

इस लक्ष्य को पाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अधिकाधिक इनोवेशन पर जोर देते हुए कहा कि गुलामी के कालखंड से पहले भारत की समृद्धि का आधार हमारा नॉलेज सिस्टम था। यह विकसित भारत का भी एक अहम पिलर है। आने वाले कल की चुनौतियों और अवसरों के लिए देश को स्किल, नॉलेज, रिसर्च और इनोवेशन का हब बनाने के लिए सरकार इंडस्ट्री और एकेडमिया को पार्टनर बना रही है। इस साल के बजट में एक लाख करोड़ रुपये के रिसर्च फंड के पीछे भी यही सोच है। आज देश का प्रयास है कि टॉप विदेशी यूनिवर्सिटी के कैंपस भारत में खुलें।

उन्होंने आगे कहा कि हम देश को आने वाले दिनों के लिए तैयार कर रहे है। टेक्नॉलजी ने हमारी ग्रोथ को गति दी है। अब टेक्नॉलजी के साथ टूरिजम भी भारत की ग्रोथ का एक मजबूत पिलर बनेगा। दुनियाभर के टुरिस्ट्स के लिए भारत टॉप डेस्टिनेशन हो, यह प्रयास आज देश कर रहा है। यह उनकी सरकार का ही प्रयास है कि आने वाले 5 वर्षों में भारत पर्यटन के लिए विश्व की टॉप 10 जगहों में से एक होगा। क्योंकि देश के लोगों की खर्च करने की ताकत बढ़ने से डोमेस्टिक टुरिजम की संभावना बढ़ी है। साथ ही, भारत के प्रति दुनिया का आकर्षण बढ़ा है और सर्च इंजंस दिखा रहे हैं कि भारत के टूरिजम से जुड़ी सर्च में करीब 48% बढ़ोतरी हुई है।

वहीं, आने वाले 5 साल के कालखंड के लिए पर्यटन मंत्रालय ने डेस्टिनेशंस डिवेलप करने की योजनाएं बनाई है। अब इस दिशा में काम हो रहा है कि विदेश से आने वाले पर्यटक को कैसे एक दिन और रुकने के लिए प्रेरित करें, कैसे नए टूरिजम ट्रेल्स और अवसर मुहैया करें। इन सब पर हम प्राइवेट प्लेयर्स के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप में यह सरकार नए मॉडल बनाकर राज्यों को टूरिजम के नए अवसर बनाने और नए डेस्टिनेशंस को प्रमोट करने के लिए प्रेरित कर रही है। लिहाजा, उसके हुक्मरान जब यह सब कर पाएंगे तो 2030 तक आप बदले हुए भारत में पर्यटन के क्षेत्र में बदला हुआ परिदृश्य देख पाएंगे। बता दें कि ग्लोबल इकॉनमी में टुरिजम का योगदान 10.4% के करीब है और उसके मुकाबले भारत की इकॉनमी में टूरिजम का योगदान 7.9% है।

वहीं, वैश्विक घटनाक्रम का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा, 'अब हम ऐसा वर्ल्ड ऑर्डर कहते हैं, जो सभी देशों, खासकर ग्लोबल साउथ का इन्क्लूसिव डिवेलपमेंट सुनिश्चित करे। भारत विश्व बंधुत्व की भावना से इन देशों की आवाज बन रहा है। वहीं, पीएम की कोशिश है कि दुनिया के हर डाइनिंग टेबल पर कोई न कोई मेड इन इंडिया फूड प्रोडक्ट हो, जो अब देश का संकल्प बन चुका है। इसके लिए यह सरकार कई काम एकसाथ कर रही है। इससे कृषि, एमएसएमई और रोजगार तीनों क्षेत्र को बूस्टर डोज मिलने के आसार प्रबल हैं।

वहीं, केंद्रीय रेलवे, आईटी और सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विन वैष्णव का यह कहना कि मोदी सरकार चार आधारभूत स्तंभों को लेकर काम कर रही है, ताकि रेलवे से लेकर डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े विकास का फायदा देश के हर नागरिक को पहुंचे, यह बेहद महत्वपूर्ण है। गत दिनों उन्होंने इन चार स्तंभों पर खुलकर चात की और कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश, समावेशी विकास, मैन्युफैक्चरिंग और कानूनों का सरलीकरण... चार ऐसे मंत्र है, जिन्हें फोकस कर मोदी सरकार देश की ग्रोथ स्टोरी को आगे पहुंचा रही है। उन्होंने पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने को सरकार की कोशिशों के बारे में समझाते हुए कहा कि पहले जहां इस पर बजट 2.25-3 ट्रिलियन रुपये था। वहीं, अब ये 11 ट्रिलियन तक चला गया है।

वैष्णव ने ठीक ही कहा कि देश में 2004-2014 के बीच 14985 किमी रेल ट्रैक बिछे, लेकिन पिछले 10 साल में ये आंकड़ा 31000 किमी तक पहुंच गया है, जो फ्रांस जैसे देश के पूरे रेलवे नेटवर्क से भी ज्यादा है। पिछले एक साल में कुल 5,300 किमी रेलवे ट्रैक जोड़ा गया, जो स्विटजरलैंड और ऑस्ट्रिया जैसे देशों के पूरे रेलवे नेटवर्क से भी ज्यादा विस्तृत है। इसी तरह उन्होंने रेलवे के बिजलीकरण का भी जिक्र करते हुए बताया कि जहां 1947 से लेकर 2014 तक 21 हजार किमी ट्रैक का विद्युतीकरण हुआ। पिछले 10 साल में ये आंकड़ा 41000 किमी तक पहुंच गया है। उन्होंने बुलेट ट्रेन, समुद्र के अंदर टनल जैसे प्रोजेक्ट्स की वर्ल्ड क्लास इंजिनियरिंग का भी जिक्र किया। वैष्णव ने वंदे भारत ट्रेन की खूबियों को लेकर भी कई बातें कही। उन्होंने क्राफ्ट के मुताबिक इसे दुनिया की बेहतरीन ट्रेनों में से एक बताया।

वहीं, पीएम मोदी ने यह भी कहा कि विकसित भारत का एक और मजबूत पिलर बीन एनर्जी सेक्टर होने वाला है। जहां 2030 तक 500 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी जेनरेट करने का लक्ष्य है। उन्होंने आगे कहा कि गत 7 दशकों तक भारत में एमबीबीएस, एमडी की सीटें 80 हजार के आसपास बीते वर्षों में थी। इसलिए हमारे बच्चे विदेश जाने के लिए मजबूर थे। जबकि पिछले 10 साल में हमने करीब एक लाख नई सीटें बढ़ाई हैं। एक बार 15 अगस्त को मैंने लाल किले से कहा था कि अगले 5 वर्षों में 75 हजार और नई सीटें जोड़ी जाएंगी। वह दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया में हेल्थ और वेलनेस का बहुत बडा सेंटर बनेगा।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि 2047 तक भारत रक्षा उपकरणो के टॉप 10 निर्यातकों में होगा। हम जिस तरह टेक्नॉलजी के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे है, उससे हम दुनिया के ऐसे क्षमतावान देशों में शामिल हो जाएंगे। यह हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि होगी, क्योंकि शक्ति के बिना सबकुछ व्यर्थ है।

- कमलेश पांडेय



Related News
thumb

स्वभाषा का उपयोग कर ही दुनिया के कई देश बने हैं शक्तिशाली

हिंदी ने भारत में भाषाओं की विविधता को एकता के सूत्र में पिरोने का काम किया है और इसने अलग-अलग भारतीय भाषाओं और बोलियों के साथ-साथ कई वैश्विक भाषाओ...


thumb

हिंदी: राजभाषा, राष्ट्रभाषा और विश्वभाषा

केंद्र सरकार के कार्यालयों में हिंदी का अधिकाधिक उपयोग सुनिश्‍चित करने हेतु भारत सरकार के राजभाषा विभाग द्वारा उठाए गए कदमों के परिणामस्‍वरूप कंप्‍...



thumb

अमेरिका में लगातार बिगड़ती आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति

विश्व में कई गतिविधियां एक चक्र के रूप में चलती रहती है। एक कालखंड के पश्चात चक्र कभी नीचे की ओर जाता है एवं एक अन्य कालखंड के पश्चात यह चक्र कभी ऊ...


thumb

अतीत और वर्तमान, बाधाओं से जूझती रही हिंदी

हिंदी की जब भी चर्चा होती है, दो तरह के भाव आते हैं। इसे लेकर पहला भाव उत्साह और गर्वबोध वाला होता है। हिंदी के क्षितिज के लगातार हो रहे विस्तार और...


thumb

एआई को लेकर ठोस योजना की जरूरत

पचास के दशक में एआई के आगाज में कई अनुसंधानकर्ताओं का योगदान रहा है, लेकिन मुख्य भूमिका एलन ट्यूरिंग और जॉन मैकार्थी ने निभायी। इस संकल्पना के तहत ...