छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के बहुत बुरे दिन आ गए है। वह छत्तीसगढ़ छोड़कर भाग रहे हैं पर दूसरे राज्य में उनकी ताक में बैठे जवान उनको ढेर कर दे रहे हैं। नक्सलियों ने सोचा नहीं होगा कि उनके छत्तीसगढ़ में जहां उनका एकछत्र राज चलता था, वह जो चाहते थ,जहां चाहते थे, जैसा चाहते थे, वैसा कर देते थे। उनको कोई रोक नहीं पाता था।वहां से कभी उनको दूसरे राज्य भागना पड़ेगा और वह पड़ोस के राज्य भागेंगे तो वहां भी ताक में बैठे सुरक्षा बल के जवान उनको मार देंगे।पहले छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों का दबाव बढ़ जाता था तो वह ओडिशा,आंध्रा,महाराष्ट्र आसानी से भाग जाते थे,उनको न तो छत्तीसगढ़ के सुरक्षा बल के जवान रोक पाते थे न ही दूसरे राज्य की पुलिस रोक पाती थी, इस वजह से वह मारे नहीं जाते थे।
साय सरकार आने के बाद नक्सली छत्तीसगढ़ में तो सबसे ज्यादा मारे जा रहे है,ताजा आंकड़ों के मुताबिक २०२४ में अब तक १५३ नक्सली मारे जा चुके हैं और उनके शव भी बरामद किए गए हैं। इसी के साथ ६६९ गिरफ्तार किए जा चुके है और ६५६ ने सरेंडर किया है।कुल मिलाकर नक्सलियों में मारे जाने का खौफ इतना बढ़ गया है कि वह छत्तीसगढ़ से दूसरे राज्य भाग रहे हैं ताकि अपनी जान तो बचा सकें।अब तक नक्सलियों के मारे जाने के कारण नक्सली सरेंडर ज्यादा कर रहे थे। पहली बार ऐसा लग रहा है कि अब नक्सली मारे जाने के खौफ से दूसरे राज्य भाग रहे है लेकिन जवान उनको दूसरे राज्य में मार रहे हैं।
छत्तीसगढ़ सहित आस पास के राज्यों के जवानों को भी पता है कि छत्तीसगढ़ में नक्सली आए दिन होने वाली मुठभेड़ में मारे जाने डरे हुए है,उनके बचने के लिए छत्तीसगढ़ में तो कोई सुरक्षित जगह बची नहीं है।जहां जाकर वह अपनी जान बचा लें। इसलिए वह पड़ोसी राज्य भागने की कोशिश करेंगे।बीजापुर जिले के सरहद से लगे तेलंगाना के भद्रादीकोठागुडम जिला और पिनपाका मंडल करकागुड़म के जंगल में गुरुवार सुबह नक्सली छत्तीसगढ़ से तेलंगाना जा रहे थे।इसी दौरान तेलंगाना पुलिस व ग्रेहाउंडस के जवानों से उनकी मुठभेड़ हुई जिसमें छह नक्सली मारे गए। बताया जाता है कि छत्तीसग़ढ़ कमांडर लक्ष्मण समेत नक्सली जंगल के रास्ते तेलंगाना जा रहे थे, तेलंगाना पुलिस को इसकी पहले से जानकारी थी और उसने अभियान चलाकर उनमें से छह को मार गिराया।
यह गुरुवार की घटना है, इससे पहले छत्तीसगढ़ में मंगलवार को बीजापुर-दंतेवाड़ा जिले के सरहदी इलाके में हुई मुठभेड़ में नौ नक्सली मारे गए थे। इन पर ५९ लाख का इनाम था। इनमें २५ लाख का ईऩामी नक्सली लीडर रंंधीर भी था जिसके बारे में बताया जाता है कि एसजेडसी मेंबर था और वारंगल निवासी था। उस पर २५ लाख का ईनाम था।वह बड़ा नक्सली लीडर था, उसकी सुरक्षा ५० नक्सलियों का दल करता था, इसके बाद भी सुरक्षा बलों ने उसे घेरकर मार गिराया।
यह सुरक्षा बलों की बड़ी सफलता है। ऐसी सफलता पहले पुलिस व सुरक्षा बलों को नहीं मिलती थी,बड़े नक्सली नेता बचकर भाग जाते थे। ऐसा पहली बार हो रहा है कि बड़े नक्सली नेता छत्तीसगढ़ आ रहे हैं और पुलिस व जवानों के हाथों मारे जा रहे है।आसानी से मारे जा रहे हैं तो इसलिए की बस्तर में खुले कैंपों के कारण सुरक्षा बलों व पुलिस की स्थिति बहुत मजबूत हो गई है। उनकाे नक्सलियो की सही सूचना मिल रही है और नक्सलियों की घेरेबंदी के लिए जवान जल्द मौके पर पहुंच भी जाते है। इससे नक्सलियों का सफाया आसान हो गया है। आंकड़ो से इसकी पुष्टि भी होती है।
आठ महीने में बस्तर से कुल मिलाकर १५०० नक्सलियों की संख्या कम हो गई है।यह कोई छोटी संख्या नहीं है।यह साय सरकार की बड़ी सफलता है और हाल ही में कई राज्यों के अधिकारियों की बैठक में तय किया गया है कि नक्सलियों के सफाए के लिए सभी राज्यों में अभियान चलाया जाएगा और नक्सलियों की सूचना सभी राज्य एक दूसरे को देंगे तो इसका परिणाम भी है कि अब नक्सली एक राज्य से भागकर दूसरे राज्य जाएंगे तो भी उनका बच पाना मुश्किल होगा।क्योंकि उनके पहुंचने से पहले दूसरे राज्य सूचना पहुंच जाएगी और उनका स्वागत करने वहां की पुलिस तैयार रहेगी।
गुरुवार को यही हुआ छत्तीसगढ़़ से सूचना तेलंगाना भेज दी गई थी कि नक्सली भागकर तेलंगाना आ रहे है। जो काम छत्तीसगढ़ पुलिस नहीं कर सकी, वह काम तेलंगाना पुलिस ने कर दिया। नक्सलियों का किसी भी राज्य में अब बचना संभव नहीं है,इसलिए उम्मीद की जा सकती है,अब उनका समूल नाश संभव है।कई राज्यों में तो किया जा चुका है, सभी पड़ोसी राज्यों का इसी तरह सहयोग मिलता रहा तो छ्त्तीसगढ़़ से भी नक्सलियों का सफाया तय समय मे कर दिया जाएगा।
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