साक्षरता का हो रहा डिजिटलीकरण

Posted On:- 2024-09-06




साक्षर होने का सीधा-सीधा मतलब अक्षर ज्ञान से लगाया जाता है । देखा जाए तो साक्षरता की पारंपरिक परिभाषा आमतौर पर पढ़ने और लिखने की क्षमता से संदर्भित है ।

साक्षरता ऐसा कौशल मानी जाती है जिसे समय के साथ विकसित किया जा सकता है। नियमित अभ्यास ही साक्षरता के क्षेत्र में सकारात्मक परिणाम दे सकता है । बुनियादी तौर पर अक्षरों और वाकयों को पढ़ने , लिखने तथा जानने से कहीं अधिक जरूरी है कि , जो पढ़ा जा रहा हो उसे समझा जा सके ।

साथ ही संप्रेषण और विचार व्यक्त करने कि कला भी साक्षरता का अभिन्न अंग है । साक्षरता का विस्तृत अर्थ बहुत सी कलाओं के ज्ञान का भंडार माना जा सकता ।

देखा जाए तो साक्षरता के अनेक प्रकार हैं , किंतु वर्तमान सरकारों ने साक्षरता को अत्यंत ही सीमित दायरे में समेटकर इसे अपना नाम लिखने और हस्ताक्षर करने तक सीमित करके रख दिया है ! साक्षरता के विस्तार की मैं चर्चा करूं तो यह संख्यात्मक साक्षरता , डिजिटल साक्षरता , स्वास्थ्य साक्षरता , वित्तीय साक्षरता , मीडिया साक्षरता , सांस्कृतिक साक्षरता , भावनात्मक साक्षरता तथा शारीरिक साक्षरता तक अपना विस्तार प्रदर्शित करती दिखती है ।

वास्तव में साक्षरता इस दुनिया को समझने में हमारी मदद का एक बड़ा उपकरण मानी जानी चाहिए । सुबह उठने से लेकर रात में सोने तक हम अपने आस - पास की दुनिया को समझने का प्रयास ही कर रहे होते हैं । यह उसी स्थिति में संभव हो पाता है , जब हम साक्षरता की श्रेणी में खुद को खड़ा पाएं !

साक्षरता का अर्थ पारंपरिक रूप से पढ़ना और लिखना ही माना जाता है , जबकि ये दोनो साक्षरता के जरूरी घटक हैं । एक बच्चे के जन्म के साथ ही उसकी साक्षरता यात्रा शुरू हो जाती है । उसकी इस तरह की साक्षरता क्षमताएं उसके परिवार और समुदाय के माध्यम से पोषित होती रहती हैं ।

इसे हम बच्चे की मुस्कुराहट और रोने के साथ उसकी जरूरतों को समझने के रूप में अपने बीच पाते हैं । जब बच्चा अपना पहला शब्द बोलने की कोशिश करता है तब इसे ही उसकी साक्षरता का प्रारंभिक चरण मानना कतई गलत नहीं कहा जा सकता है।  हम देखते हैं कि एक नन्हा बच्चा जिसे अक्षर ज्ञान अभी प्राप्त नहीं हुआ है , वह अपने आस - पास के प्रतीकों से बहुत कुछ सीख रहा होता है !

क्या इसे हम उसकी साक्षरता की संज्ञा नहीं दे सकते हैं ? माता - पिता , भाई - बहनों द्वारा उसे हंसाने के लिए की गई चेष्टा और बच्चे का हंसने के साथ उनका साथ देना साक्षरता क्यों नहीं मानी जा सकती है ? बच्चे के बड़े होने के साथ जब वह स्कूल जाने लगता है , तब पढ़ने और लिखने के कौशल पर ध्यान दिया जाने लगता है ।

हम इसे ही साक्षरता की प्रथम सीढ़ी मानते आ रहे हैं । कारण यह कि यह , वह पायदान है जब एक बच्चा प्रत्यक्ष रूप से अक्षर ज्ञान से जुड़ने लगता है । यही वह उम्र है जब उन्हें शब्दों , दृश्यों और ग्राफिक्स का उपयोग करके प्रिंट और डिजिटल रूप में पाठ के कई अलग - अलग रूपों के साथ बातचीत करनी होती है । यहीं से बच्चा सीखना शुरू करता है । 

साक्षरता विकास , भाषा कला कक्षाओं में ही नहीं होता । हालांकि ज्ञान और कौशल मुख्य रूप से भाषा - कला में ही पढ़ाए जाते हैं , किंतु हर विषय क्षेत्र का शिक्षक साक्षरता को अधिक विकसित करने , मजबूत बनाने और उसे गति देने के लिए जिम्मेदार होता है । साक्षरता का विकास केवल स्कूलों में ही नहीं होता बल्कि रोजमर्रा की जिंदगी का हर पहलू साक्षरता का नया पाठ लिखता रहता है । साक्षरता ही वह विशेष गुण है जो दुनिया के दरवाजों को खोलने का काम करती है । हम विभिन्न देशों के नक्शों को समझने का प्रयास करते हैं , विज्ञापन , अखबार , रेसिपी , मैनुअल और वेब - साइट पढ़ते हैं ।

हम मीडिया की बहुत सी जानकारियों का विश्लेषण करते हैं । हम कविताएं , गीत , रिपोर्ट , ब्लॉग और ई - मेल का उपयोग करते हैं । क्या यह साक्षरता नहीं है ? साक्षरता दस्तावेजों में शामिल मानी जाती है । अब वे दिन लद गए जब हमें किसी प्रकार की जानकारी के लिए पुस्तकालयों में पुस्तकों के ढेर के बीच जूझना पड़ता था ! अब डिजिटल साक्षरता का दौर है । हर दिन दुनिया में इंटरनेट , ऑन लाइन जानकारी एकत्र की जा रही हैं ।

आत्मविश्वास से परिपूर्ण डिजिटल साक्षरता का आज सर्वाधिक उपयोग किया जा रहा है ! स्कूलों से लेकर कार्यबल तक डिजिटल साक्षरता जीवन के कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण हो चली है ! अब वह स्थिति आ चुकी है जब फार्म और आवेदन केवल ऑन लाइन ही उपलब्ध हो पा रहे हैं । यदि हम इस दुनिया से वाकिफ नहीं हैं तो हमें साक्षरता की श्रेणी से बाहर किया जा सकता है ! 

आज का विद्यार्थी विभिन्न तकनीकों के बीच युवा हो रहा है ! यह कहा जा सकता है कि अब शिक्षा में , डिजिटल साक्षरता आवश्यक उपकरण के रूप में इस्तेमाल को प्रमाणित कर रही है ! यही वह तकनीक है जो विद्यार्थियों के सीखने के अनुभवों को निरंतर पुरस्कृत करने के साथ - साथ भविष्य में रोजगार पाने में सहायक हो रही है । डिजिटल साक्षरता छात्रों को विश्वसनीय जानकारी खोजने , स्त्रोतों की तुलना करने तथा पक्षपात पूर्ण अथवा गलत सूचना वाली वेब - साइटों से बचने की रणनीतियां भी सिखाती हैं ।

इस सच्चाई से भी मुंह नहीं फेरा जा सकता है कि डिजिटल साक्षरता छात्रों को ऑन लाइन सुरक्षा चुनौतियों से नहीं बचा पा रही है , किंतु यह तकनीक उन्हें ज्ञान और सहीं उपकरण के साथ सशक्त बना सकती है , जिससे वे अपनी सुरक्षा और गोपनीयता की रक्षा कर सकें । वर्तमान में देखा जा रहा है कि  विभिन्न स्कूलों और शिक्षकों में न केवल विद्यार्थियों को डिजिटल साक्षरता के विषय में जानकारी देने की जरूरत महसूस की है वरन इसे स्कूली पाठ्यक्रम में लागू करने की पुरजोर वकालत भी की जा रही है । 

साक्षरता के क्षेत्र में नवीन तकनीक डिजिटल साक्षरता ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए चुनौतियां पेश की हैं ! वरिष्ठ नागरिकों को आधुनिक तकनीक का ज्ञान नहीं है । वे धोखाधड़ी और डेटा   गोपनीयता का शिकार बड़ी आसानी से बन रहे हैं ! वास्तव में डिजिटल साक्षरता का क्षेत्र काफी विस्तृत है । किसी पुस्तक को पी डी एफ वर्सन में स्कैन करना वरिष्ठ नागरिकों के लिए कठिन हो सकता है , किंतु आज का दस वर्ष का बच्चा भी इसमें माहिर है ! वह मोबाइल के जरिए इसे आसानी से बना लेता है ! इसी तरह विभिन्न भुगतान में प्राप्त कैशमेमो , रसीदों आदि का डिजिटलीकरण करना हमारे लिए किसी चुनौती से कम नहीं , किंतु वर्तमान पीढ़ी इसमें सिद्ध हस्त होती चली जा रही है ! 



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