निर्भीक होना संसार की सबसे बड़ी साधना है : आचार्य विशुद्ध सागर महाराज

Posted On:- 2022-07-18




रायपुर (वीएनएस)। विशुद्ध वर्षा योग फाफाडीह में सोमवार को आचार्य विशुद्ध सागर महाराज ने कहा कि आडंबरों से सदैव बचना चाहिए। ऐसा करने से आनंद परमानंद में बदलेगा। निर्भीक होना संसार की सबसे बड़ी साधना है। साधु संतों से दूर मत जाना और आडंबरों के पास मत जाना। यदि समाज के मुखिया ही आडंबरों में पड़ गए तो सामान्य लोगों का क्या होगा। रंग बिरंगे धागों में कुछ नहीं,यदि बांध सको तो श्रद्धा की डोर बांध लो।जगत में क्या है उसे मत देखों, जगत में निज आत्मा की स्वतंत्रता को देखों। अपने परिणामों को ऐसे संभाल कर रखों जैसे घर में शक्कर का डिब्बा रखते हो। जगत में बहुत आडंबर है, सबको देखों ,जानों लेकिन अपने आप को उस शक्कर के डिब्बे के जैसे पैक करके रखो उसमें चींटी न घुस पाए। वर्तमान युग प्रचार का है, विचारों से प्रभावित मत होना,आचरण को देखकर प्रभावित होना। चारित्र को देखकर प्रभावित होना।

आचार्य श्री ने कहा कि जितना इंद्रियों से नहीं जाना जा सकता,जीव उतना मन से जानता है। जहां इंद्रिय मन का प्रवेश नहीं है, वहां जीव ज्ञान से जानता है। आप जो जानते हो, इस भाव के बारे में विचारते हो, जीवन पानी के बुलबुले की भांति है, क्षण मात्र में विलीन हो जाता है। इस जीवन का अवसार होने में देर नहीं लगती। इसलिए जीवन पूर्ण हो इससे पहले कसायों को दूर कर लो, सबसे मित्रता कर लो,भविष्य का जीवन बना लो, जन्म-मरण के दुख से दूर हो लो, ये जीवन में ही हो सकता है। आप चाहों एक रस्सी से हजारों लोगों को पानी पिला सकते हो, आप चाहो एक रस्सी से हजारों लोगों के प्राण ले सकते हो। मन करेगा तो योग्यता तुम्हारे चित के अंदर है। चित में यदि पानी पिलाना है तो रस्सी पानी पिलाएगी और यदि चित में हत्या करना है तो रस्सी फांसी लगाएगी। चित में जो होता है वही वस्तु उपकरण बनती है। इसलिए उपकरणों को मत संभालिए उपकर्ता करता को संभालिए। यह निर्णय करो कि आपका मन हिंसा की जगह अहिंसा भी कर सकता है।

आचार्य श्री ने कहा कि अशुभ सुनने की जगह शुभ भी सुना जा सकता है। अशुभ सुनाने की जगह शुभ भी सुना सकता है। एक वचन पूरे देश की रक्षा कर सकता है और एक वचन पूरे देश का नाश कर सकता है। जैसे रूस का राष्ट्रपति इतना बोल दे कि बंद करों,लेकिन इतना निर्बल है, इतना कहने के लिए कि युद्ध बंद करों। वह शक्तिहीन पुरुष है। उसके ऐसा कहने मात्र से एक देश बचेगा। इतनी शक्ति के अभाव में कितने लोगों का नाश करवा रहा है।

आचार्य श्री ने कहा कि जिसके भोजन में शुद्ध शाकाहार, शुद्ध पानी, मर्यादित नमक मसाले,ताजा अचार, जो साधुओं को भोजन देकर फिर भोजन करता है। मंदिर से दर्शन कर आता है फिर दान देता है। स्वाध्याय करता है ,जप-तप करता है। किसी की बुराई निंदा में समय नहीं जाता, हर व्यक्ति पर करुणा बरस रही है, वह भूत का महामानव, वर्तमान का धर्मात्मा और भविष्य का देवता आगामी भगवान है। मिलिए चित से, मिलिए इंद्रियों से आप क्या कर सकते हो।

विशुद्ध वर्षा योग समिति के अध्यक्ष प्रदीप पाटनी, महामंत्री राकेश बाकलीवाल ने बताया कि आज मंगलाचरण मंच संचालक अरविंद जैन ने किया। दीप प्रज्वलन अरविंद जैन भिलाई, अजीत जैन, गजेंद्र पाटनी, मनोज पहाड़िया भिलाई, कैलाश रारा, हुकुमचंद सेठी, मुकेश गंगवाल नागपुर, रौनक निकुंज गया ने किया। प्रथम प्रवचन मुनि प्रणुत सागर जी का हुआ। जिनवाणी मां की स्तुति का पाठ ब्रह्मचारी रवि भैय्या ने किया। आचार्य श्री को अर्घ्य समर्पण जयपुर, सोलापुर, उज्जैन ,नागपुर, इंदौर,कुनकुरी, राजिम,भिलाई, दुर्ग एवं सकल दिगंबर जैन समाज रायपुर के उपस्थित सभी गुरु भक्तों ने किया।



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