रजोनिवृत्ति को लेकर शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक परिवर्तनों के बारे में जागरूक करना जरूरी : महेन्द्र

Posted On:- 2024-10-18




एमसीबी (वीएनएस)। विश्व रजोनिवृत्ति दिवस हर वर्ष 18 अक्टूबर को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य महिलाओं को रजोनिवृत्ति और इसके बाद होने वाले शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक परिवर्तनों के बारे में जागरूक करना है। रजोनिवृत्ति जो महिलाओं में मासिक धर्म के स्थायी रूप से बंद होने का संकेत है, आमतौर पर 45 से 55 वर्ष की उम्र के बीच होती है। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन इसके साथ आने वाले स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं और चुनौतियां अक्सर महिलाओं के लिए तनावपूर्ण और जटिल हो सकती हैं। इस दिन का महत्व महिलाओं को इस समय के दौरान अपनी सेहत पर ध्यान देने और उपलब्ध सहायता सेवाओं का लाभ उठाने के लिए प्रेरित करना है।

आइए जानते है, रजोनिवृत्ति क्या है?

रजोनिवृत्ति एक महिला की जीवन में वह स्थिति है जब मासिक धर्म स्थायी रूप से बंद हो जाता है, और वह प्रजनन क्षमता खो देती है। यह जीवन का एक स्वाभाविक चरण है, जिसमें महिलाओं को कई शारीरिक और मानसिक परिवर्तनों का सामना करना पड़ता है। हालांकि यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, परंतु इसके कारण महिलाओं को कई स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं, जैसे कि हड्डियों की कमजोरी, हृदय रोग, अनिद्रा, मूड स्विंग्स और गर्मी के दौरे (हॉट फ्लैशेज)।

रजोनिवृत्ति के दौरान होने वाली समस्याएं : 

रजोनिवृत्ति के दौरान सबसे सामान्य समस्या हॉट फ्लैशेज होती हैं। यह अचानक से शरीर का तापमान बढ़ने के कारण होता है और इसके साथ अत्यधिक पसीना भी आता है। कई बार महिलाएं रात को पसीने से तर हो जाती हैं, जिससे उनकी नींद प्रभावित होती है। एस्ट्रोजन का स्तर घटने से हड्डियों की मजबूती कम हो जाती है और महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है। इससे हड्डियों में फ्रैक्चर और अन्य संबंधित समस्याएं बढ़ सकती हैं। इस समय के दौरान मूत्र संबंधी समस्याएं भी बढ़ सकती हैं। मूत्र असंयम और बार-बार पेशाब आना सामान्य समस्याएं हो सकती हैं। एस्ट्रोजन हार्माेन की कमी से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। महिलाओं में रजोनिवृत्ति के बाद हृदय रोगों की संभावना अधिक हो जाती है। रजोनिवृत्ति के दौरान और उसके बाद नींद से जुड़ी समस्याएं, जैसे कि अनिद्रा या लगातार जागना, बहुत ही सामान्य होती हैं। रजोनिवृत्ति के बाद मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है, जिससे वजन बढ़ने की संभावना अधिक होती है। इसके साथ ही पेट की चर्बी भी बढ़ सकती है, जिससे दिल की बीमारियों का खतरा और बढ़ जाता है। रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में सेक्स ड्राइव में कमी आ सकती है और योनि में सूखापन या जलन की समस्या हो सकती है ।

रजोनिवृत्ति की समस्याओं के समाधान : 

हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT) रजोनिवृत्ति के बाद एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन की कमी को पूरा करती है, जिससे हॉट फ्लैशेज, मूड स्विंग्स, और अन्य लक्षणों से राहत मिलती है। हालांकि, इसका उपयोग चिकित्सकीय परामर्श के तहत ही किया जाना चाहिए, क्योंकि इसके कुछ जोखिम भी हो सकते हैं। हड्डियों की कमजोरी से बचने के लिए कैल्शियम और विटामिन डी युक्त आहार लेना आवश्यक है। साथ ही, हृदय रोग से बचाव के लिए फल, सब्जियां, और संपूर्ण अनाज को आहार में शामिल करना चाहिए। नियमित व्यायाम से हड्डियों को मजबूती मिलती है और हृदय स्वास्थ्य बेहतर होता है। योग और ध्यान भी मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायक होते हैं। अनिद्रा की समस्या को दूर करने के लिए एक नियमित नींद दिनचर्या अपनानी चाहिए। रात में कैफीन या अल्कोहल से परहेज करें और शांत वातावरण में सोने की कोशिश करें। महिलाओं को रजोनिवृत्ति के दौरान मानसिक और भावनात्मक समर्थन की आवश्यकता होती है। इसके लिए परिवार, मित्रों और समर्थन समूहों की सहायता लेना लाभकारी हो सकता है। तनाव और मूड स्विंग्स को कम करने के लिए मेडिटेशन, डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज और रिलैक्सेशन तकनीकें बहुत उपयोगी होती हैं। हॉट फ्लैशेज और अन्य हल्की समस्याओं के लिए डॉक्टर की सलाह से कुछ दवाओं का सेवन किया जा सकता है। यौन समस्याओं के समाधान के लिए लुब्रिकेंट्स का उपयोग या चिकित्सकीय परामर्श लिया जा सकता है।

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा उठाए गए कदम : 

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार ने महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई हैं, जो रजोनिवृत्ति के बाद भी महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार में मदद करती हैं। मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल क्लिनिक स्थापित किए जाते हैं, जो स्वास्थ्य सेवाओं को महिलाओं तक पहुँचाते हैं। रजोनिवृत्ति से जुड़ी समस्याओं के निदान के लिए भी यहां चिकित्सा सेवाएं प्रदान की जाती हैं। महिला स्वास्थ्य शिविर के माध्यम से सरकार नियमित रूप से महिला स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन करती है, जिसमें रजोनिवृत्ति से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं पर विशेष ध्यान दिया जाता है। आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ता ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधी जानकारी प्रदान करते हैं, जिसमें रजोनिवृत्ति के बाद के स्वास्थ्य देखभाल के बारे में जानकारी शामिल है।

केंद्र सरकार द्वारा संचालित योजनाएं : 

केंद्र सरकार ने भी महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए कई योजनाएं चलाई हैं, जिनमें रजोनिवृत्ति के बाद की देखभाल शामिल है। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (PMSMA) मातृत्व और महिला स्वास्थ्य को बेहतर बनाने पर केंद्रित है। इसके तहत महिलाओं को मुफ्त स्वास्थ्य जांच और इलाज की सुविधा दी जाती है, जो रजोनिवृत्ति के दौरान भी सहायक हो सकती है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के अंतर्गत महिलाओं के लिए विशेष स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाती हैं। इसमें गर्भावस्था से लेकर रजोनिवृत्ति तक के चरणों में स्वास्थ्य देखभाल शामिल है। आयुष्मान भारत योजना के तहत गरीब परिवारों को 5 लाख रुपये तक की स्वास्थ्य बीमा की सुविधा मिलती है, जिससे रजोनिवृत्ति के दौरान उत्पन्न स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में सहायता मिलती है। राष्ट्रीय महिला आयोग महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर जागरूकता फैलाने के लिए समय-समय पर कार्यशालाओं और कार्यक्रमों का आयोजन करता है।

रजोनिवृत्ति जीवन का एक स्वाभाविक चरण है, लेकिन इसके साथ कई स्वास्थ्य चुनौतियां भी आती हैं। इस समय महिलाओं को न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और भावनात्मक समर्थन की भी आवश्यकता होती है। विश्व रजोनिवृत्ति दिवस का उद्देश्य इस समय के दौरान महिलाओं को सहायता और समर्थन प्रदान करने के लिए जागरूकता बढ़ाना है। साथ ही, सरकारों द्वारा चलाई जा रही योजनाएं और कार्यक्रम इस दिशा में एक सकारात्मक कदम है, जो महिलाओं के स्वास्थ्य और कल्याण को बेहतर बनाने में सहायक हो सकते हैं।




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