ब्लूबेरी (नीलबदरी) के पौधे पाउडरी फफूंद रोग की चपेट में हैं। यह फफूंद धीरे-धीरे पूरी दुनिया में फैलता जा रहा है। इस पर नियंत्रण भी मुश्किल होता जा रहा है। यह एक ऐसी बीमारी है जो फसल की पैदावार को कम करती है। इस कवक की विभिन्न प्रजातियां विभिन्न पौधों को प्रभावित करती हैं। गेहूं, हॉप्स, अंगूर, स्ट्रॉबेरी के अलावा अन्य पौधे भी पाउडरी फफूंद से बुरे तरीके से प्रभावित हुए हैं।
नॉर्थ कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी के शोध में खुलासा
नॉर्थ कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अध्ययन से पता चला है कि पिछले 12 सालों के दौरान फंगस एरिसिफे वैक्सीनी पूर्वी अमेरिका में अपने मूल क्षेत्र से कई महाद्वीपों तक फैल गया है और अब दुनियाभर में तेजी से इसका प्रसार देखा जा रहा है।
अध्ययन में ये बातें आई सामने
अध्ययन के अनुसार ब्लूबेरी जिसे भारत में कई जगहों पर नीलबदरी के नाम से जाना जाता है। इसका रंग नीला होता है और स्वाद में खट्टा-मीठा होता है। यूरोप और एशिया में बड़े पैमाने पर पाया जाने वाला यह फल कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है।
इसमें कई प्रकार के विटामिन पाए जाते हैं जो कई बीमारियों से लड़ने में सहायक होते हैं। यह वजन काम करने, कोलेस्ट्रॉल घटाने, बढ़ती उम्र के लक्षण कम करने, मुंहासों से छुटकारा दिलाने, याददाश्त तेज करने और हृदय संबंधी रोगों के लिए फायदेमंद होती है।
पाउडरी फफूंद रोग के कारण पौधों पर एक सफेद पाउडर जैसा पदार्थ चढ़ जाता है जो पोषक तत्वों को चूस लेता है और प्रकाश संश्लेषण को धीमा कर देता है, जबकि पौधा जीवित रहता है। पाउडरी फफूंद से पौधे विकृत हो जाते हैं और कभी-कभी तो मर भी जाते हैं। इसके हमले का मुख्य कारण पौधों को ज्यादा पानी देना, खराब मिट्टी होना, कम रोशनी, घनी झाड़ीदार पत्तियां, हवा का कम संचार, उच्च आर्द्रता और गर्म तापमान है।
दुनियाभर में प्रसार
शोधकर्ताओं का कहना है कि इस फंगस को नियंत्रित करना मुश्किल है। यदि दुनियाभर में पौधे भेजे जा रहे हैं तो हो सकता है इसके साथ यह कवक भी फैल रहा है। अन्य देशों में ब्लूबेरी में पाया जाने वाला ई. वैक्सीनी फंगस केवल अलैंगिक रूप से प्रजनन करता है। प्रजनन में फंगस के दोनों यौन संस्करणों की आवश्यकता नहीं होती है, जबकि अमेरिका में फंगस यौन और अलैंगिक रूप से प्रजनन करता है।
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