रायपुर (वीएनएस)। सन्मति नगर फाफाडीह में ससंघ विराजमान आचार्य विशुद्ध सागर महाराज ने बुधवार को चातुर्मासिक प्रवचनमाला में कहा कि क्षमा करना और गलती सुधारना सीखो। माता-पिता ने अपने बच्चों की बचपन से लेकर न जाने कितनी गलतियों को क्षमा किया है। यदि वृद्ध माता-पिता की एक गलती को क्षमा नहीं कर सको तो तुम कैसे बेटे हो। यदि माता-पिता तुम्हारी गलती को क्षमा नहीं करते तो तुम आज समाज में,सभा में नहीं बैठे होते। ऐसे ही गुरु शिष्यों की गलती को क्षमा न करें तो आज मुनि परंपरा विलीन हो जाएगी। श्रमण संस्कृति कहती है हर व्यक्ति भगवान बनकर नहीं आता है, हर व्यक्ति भगवान पुरुषार्थ से बनता है।
आचार्य ने कहा कि घर को स्वर्ग बना कर रखना चाहते हो तो गलती को क्षमा करना सीखो और गलती को सुधारना सीखो। कुछ गलती कह कर सुधरवायी जाती है,कुछ गलती अपना जीवन सम्यक जियो देखने वाला स्वयं सुधर जाएगा। किसी व्यक्ति के अपशब्दों का जवाब मीठा बोल कर दो। यदि आपने भी अपशब्द कह दिए तो वह श्रेष्ठ हो जाएगा। उसने आपको प्रभावित कर दिया और आप को अपशब्द कहना सीखा दिया। कोई गलती कर रहा हो आप मुंह मोड़ लेना। उसको शर्म आएगी और वह कहेगा क्षमा करना भूल हो गई। यदि आपने उसे डांट दिया तो वह वीर हो गया।
आचार्य ने कहा कि पाप से बचो। जितना दूसरों से बचने के लिए तुम बचते हो, इतना पापों से बचने के लिए बचने लग जाओ तो तुम ही परमात्मा बन जाओगे। लोक मर्यादा, राष्ट्र, देश, शासन के पीछे बहुत सारे तुम काम नहीं करते हो। सामाजिक व्यवस्था राजा के भय के पीछे तुम बहुत से काम नहीं करते हो। यदि यह काम पाप के भय से न करो तो आप धर्मात्मा हो जाओगे। काले कैमरे से डर कर जीते हो ऐसे ही काले पापों से डर कर जियो तो कैमरे की क्या जरूरत पड़ेगी। प्रभु के कैवल्य से डरिए, कर्मों से डरिए।
आचार्य ने कहा कि जो मिलता है वही स्वाद आता है। आटे में नमक मिल जाए तो नमकीन हो जाता है। आटे में शक्कर मिल जाए तो मीठा हो जाता है। ऐसे ही आत्मा तो आत्मा ही होती है। जिसने हिंसा,झूठ,चोरी, कुशील, परिग्रह मिला दिया तो नारकीय बन जाता है। जिसने मायाचारी मिलाई वह पशु बन जाता है। जिसने संयम,सम्यक मिलाया वह देव बन जाता है। जिसने शांत परिणाम रखे वह मनुष्य बन जाता है। जो कुछ भी नहीं मिलाता वह भगवान बन जाता है। आत्मा स्वतंत्र है,जिसके शरीर में चले जाए उसकी अनुभूति लेती है।
विशुद्ध वर्षा योग समिति के कार्यकारी अध्यक्ष मनीष बाकलीवाल व मनोज पांड्या,कोषाध्यक्ष मनोज सेठी ने बताया कि आज मंगलाचरण मंच संचालक अरविंद जैन ने किया। दीप प्रज्वलन ऋषभ जी नांदेड, निर्मल छाबड़ा,यशवंत जैन,चंपालाल जी, मीठालाल जी, सुधीर बाकलीवाल, नरेंद्र जैन,भिंड से आए गुरु भक्तों ने किया। आज मुनि संकल्प सागर का भी मंगल प्रवचन हुआ। जिनवाणी स्तुति पाठ बाल ब्रह्मचारी निखिल छतरपुर ने किया। आचार्य को श्रीफल भेंट व अर्घ्य समर्पण मनोज, फणीराज, कजोड़मल, शिखरचंद्र वैशाली नगर, महेंद्र कुमार रायपुर सहित दुर्ग,राजिम,कटनी, जयपुर, भिंड, भिलाई सहित सकल दिगंबर जैन समाज के सभी गुरु भक्तों ने किया। कार्यक्रम के अंत में जिनवाणी मां की स्तुति की गई।
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