भोपाल (वीएनएस)। द्रौपदी मुर्मू देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बन चुकी हैं। वह एनडीए की कैंडिडेट थी। कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए ने यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाया था। इसके बाद भी कांग्रेस और विपक्ष के अन्य विधायकों ने राज्यों में बड़े पैमाने पर क्रॉस वोटिंग की।
असम में सबसे अधिक 22 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की और मुर्मू की जीत सुनिश्चित की। वहीं, इसके बाद मध्यप्रदेश का नंबर आता है, जहां से मुर्मू को 146 वोट मिले हैं। एनडीए की वोट संख्या से 19 अधिक। यानी यहां भी कांग्रेस के विधायकों ने मुर्मू को समर्थन देकर प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ की मुश्किलों को बढ़ा दिया है।
दरअसल, दो दिन पहले ही मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनावों के नतीजे आए थे। 16 में से पांच महापौर कांग्रेस के बने हैं। एक तरह से कांग्रेस का यह अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन था। इससे पार्टी गद्गद थी। पर अब राष्ट्रपति चुनावों के नतीजों ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ को बड़ा झटका दिया है। चुनावों से पहले ही कांग्रेस नेताओं को इसका अंदाजा था। इसी वजह से उन्होंने आरोप लगाया था कि क्रॉस वोटिंग के लिए कांग्रेस विधायकों को 50 लाख रुपये से लेकर एक करोड़ रुपये तक की पेशकश की जा रही है।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को कहा कि भाजपा के अलावा भी कई विधायक मित्रों ने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर द्रौपदी मुर्मू को वोट दिया है। मैं सारे विधायक साथियों को, जो बीजेपी के नहीं हैं, फिर भी उन्होंने मुर्मूजी को वोट दिया है, उनका ह्दय से आभार प्रकट करता हूं। धन्यवाद देता हूं।
नरोत्तम मिश्रा ने मांग लिया इस्तीफा
गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने मध्यप्रदेश में हुई क्रॉस वोटिंग को लेकर कमलनाथ पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि कमलनाथ के पहले विधायक गए तो सत्ता चली गई, सत्ता गई तो साख और अब तो नाक चली गई। राष्ट्रपति चुनाव से पहले उन्होंने विधायकों के ईमान पर सवाल उठा दिया था। विधायकों को कमलनाथ ने बिकाऊ बता दिया था। दिग्विजय सिंह और कमलनाथ जनजातीय क्षेत्र से सांसद रहे। पहले जनजातीय वर्ग का सम्मान करते तो अच्छा होता। पहले नहीं मानी तो अब विधायकों ने उनकी नहीं मानी। कमलनाथ हर बार विधायकों पर बिकने का टैग लगा देते हैं। इसी वजह से दो साल में लगातार पांच बार कांग्रेस टूटी है।
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