राजनीति में एक बार सत्ता हाथ आ गई तो उसके बाद सारा खेल इसी बात पर निर्भर करता है कि मैं तुमसे बेहतर हूं तो इसलिए बेहतर हूं। जो यह बात जनता को समझाने में सफल हो जाता है कि इससे तो मैं बेहतर हूं,वह बड़ा नेता है। जनता सभी नेताओं को सुनती रहती है, उनके कामों को देखती है, यह भी देखती है कि राज्य में बदला क्या है,उसे क्या फायदा हो रहा है। उसके बाद कई बातों के आधार पर जनता किसी पार्टी व उसके नेता पर भरोसा करती है कि यह हमारे व इस प्रदेश के लिए ठीक है। इसी प्रदेश की जनता ने रमन सिंह और भाजपा को तीन बार सत्ता सौंपी, रमन सिंह ने 15 साल इस राज्य में शासन किया। रमन सिंह इस राज्य की जनता के भरोसेमंद नेता है।वह आज भी राज्य में भाजपा के सबसे बड़े नेता हैं,केंद्रीय नेतृत्व आज भी उन पर भरोसा करता है।यही वजह है कि राज्य मेें विधानसभा चुनाव, उसके बाद चार उपचुनाव में भाजपा की हार के बाद भी उन्हें बदला नहीं गयाा है। इसका मतलब यह निकाला जा सकता है कि केंद्रीय नेतृत्व यह मानता है कि भाजपा रमन सिंह के रहते राज्य में वापसी कर सकती है। सीएम भूपेश बघेल भी यह बात जानते हैं।उनकी दूसरी विजय के रास्ते में एक बड़ी बाधा रमन सिंह हैं। वही भाजपा के ऐसे नेता जिनके कहने पर यहां की जनता भाजपा को वोट दे सकती है। यही वजह है कि सीएम भूपेश बघेल राज्य में हुए सभी सीएम से अच्छा काम करते हुए भी रमन सिंह की निरंतर आलोचना कर उन्हें नाकारा,हारा हुआ,जनता के प्रति असंवदेशील नेता बताने का प्रयास करते रहते हैं। यही वजह है कि खास मौके पर रमन सिंह भूपेश बघेल के टारगेट पर रहते हैं। चार उपचुनाव जीत कर भूपेश बघेल पूरी कोशिश यह बताने की कि अगर केंद्रीय नेतृत्व यह सोच रहा है कि भाजपा को रमन सिंह यह कोई भी चुनाव जिता सकते हैं, वह गलत सोच रहे हैं, रमन सिंह छत्तीसगढ़ में भाजपा को कोई चुनाव नहीं जिता सकते। यह बात तो सही है कि रमन सिंह राज्य में जितने चुनाव हुए हैं, वह सारे चुनाव भाजपा हारी है। यह भी सच है कि जितने चुनाव हुए हैं, उनमें सत्तारूढ़ दल ही जीतता है तो यहां कांग्रेस की सरकार है इसलिए जनता न उपचुनाव में उसे जिताया। इस आधार पर केंद्रीय नेतृत्व एक और विधानसभा चुनाव रमनसिंह को भाजपा को जिताने के लिए देता है तो यह हैरत की बात तो नहीं है। रमन सिंह पर केंद्रीय नेतृत्व भी भरोसा करता है तथा यहां की जनता भी भरोसा करती है. इसी भरोसे को कम करने के लिए भूपेश बघेल रमन ंिसह निरंतर सवालो के कटघरे में खड़ा करते रहते हैं। चिटफंड का मामला जनता से जुड़ा हुआ 6 हजार करोड़ का मामला है।हुआ तो रमन सिह के समय है लेकिन इतने पैसे लौटान की जिम्मेदारी अब भूपेश सरकार की है। भूपेश सरकार अब तक मात्र 40 करोड़ रुपए जनता को लौटा पाई है। यह कोई बड़ी सफलता नहीं है। भूपेश बघेल अपनी असफलता को छिपाने के लिए रमन सिंह की असफलता को जनता के सामने रखते हैं। भूपेश बघेल जनता को बताते हैं कि देखो यह रमन सिंह आपके 6 हजार करोड़ रुपए आपकों लौटान के लिए कुछ नहीं कर रहे हंैं। वह चाहे तो केंद्र सरकार को पत्र लिखकर इस मामले की ईडी जांच करवा सकते हैं लेकिन करवा नहीं रहे है।जवाब में रमन सिंह ने यह कहकर कि भूपेश जी छत्तीसगढ़ को पौन चार साल में आपकी निकम्मी सरकार की अक्षमता का पता चल गया है।तभी तो चिटंफंड की जांच अब तक नहीं हो पाई है,भूपेश सरकार की अक्षमता को सामने लाया और साथ में यह कहकर कि मैं भी चिटफंड घोटालों की ईडी से जांच का समर्थन करता हूं। गेंद वापस भूपेस बघेल के पाले मे डाल दी तो भूपेश बघेल ने नहले पर दहला मारते हुए फिर कहा है कि समर्थन नहीं पीएम को लिखकर दें। अब रमन सिंह क्या जवाब देंते है, यह देखने का बात है।
वक्त बदलता है लोग भी बदलते हैं, बदलना ही पड़ता है,वक्त के साथ चलने के लिए बदलना जरूरी होता है। जो लोग नहीं बदलते हैं वह अतीत में जीते रहते हैं,
राहुल गांधी तो राहुल गांधी हैं। अपनी मौज में रहते हैं। कब क्या कहेंगे,कब क्या करेंगे यह तो उऩके अलावा कोई जानता नहीं है।
राजनीतिक दल हो या गठबंधन हो उसकी मजबूती का प्रमाण तो यही माना जाता है कि जनता उस पर भरोसा करती या नहीं है। जनता उस पर भरोसा करती है तो वह चुनाव में...
राजनीति में चुनाव होते रहते हैं,चुनाव में हार-जीत भी होती रहती है।जीतने वाले जश्न मनाते हैं और हारने वाले पहले हार के बहाने ढूंढते है, कह देते हैं...
भ्रष्टाचार न करने वाली सरकार पुरानी सरकार के भ्रष्टाचार से सबक लेती है और ऐसी व्यवस्था करती है कि पुरानी सरकार में जिस तरह से भ्रष्टाचार हो रहा था ...
राज्य में धान खरीदी की व्यवस्था कोई छोटी मोटी व्यवस्था नहीं है। बहुत बड़ी व्यवस्था है, बडी़ व्यवस्था है, इसलिए इसमें ज्यादातर धान खरीदी केंद्रों मे...