अच्छे काम को आज करो, बुरा काम मन में आये तो उसे कल पर टाल दो : साध्वी स्नेहयशा

Posted On:- 2022-07-25




रायपुर (वीएनएस)। आप अच्छे काम को कल-परसो पर टाल देते हो और दोष वाले काम को तुरंत करते हो। आपको पूर्ण को देखना है क्योंकि आपको पूर्ण को प्राप्त करना है। जो देखने लायक है उसे देखो और जो गलत चीजें है, उन्हें मत देखो। पर आप वैसा करते नहीं हो। परमात्मिक नियम के विपरीत चलते हो। यह बातें सोमवार को न्यू राजेंद्र नगर के मेघ-सीता भवन, महावीर स्वामी जिनालय परिसर में चल रहे चातुर्मासिक प्रवचन के दौरान साध्वी श्री स्नेहयशा ने कही।

साध्वी ने आगे कहा कि आप अगर दोष देखना चाहो तो आपकाे हर जगह दोष दिखेगा। आप अगर गुण देखना चाहो तो आपको गुण दिखेगा। वैसे ही आसमान है, आप जितना देखोगे यह उतनी ही दिखता जाएगा। आप जितनी दूर तक जाओ यह कभी खत्म नहीं होने वाला, क्योंकि यह अनंत है। आपको अगर बादल देखने छोड़ दिया जाए तो आप कभी वापस नहीं आ सकते हो। यह कभी खत्म नहीं होगा। वैसे ही एक बार की बात है, एक जेल का पहरेदार अपने जेलर से कहता है कि आज तो कमाल हो गया महोदय। जेलर कहता कि ऐसा क्या हो गया। उसने बताया कि आज जेल में कैदियों ने रामलीला की। रामलीला के दौरान भगवान लक्ष्मण मूर्छित होकर गिर पड़े और उनके इलाज के लिए एक कैदी जो हनुमान बना था, वह संजीवनी बूटी लेने गया पर अब तक नहीं लौटा है। साध्वी कहतीं है कि यह बिल्कुल वैसा है जैसे कि बिल्ली को दूध की रखवाली करने भेजना और डाकू से पैसा वसूली करवाना। वैसे ही आप कभी पूर्ण आसमान देख नहीं सकते।

अपना आत्मविश्वास बढ़ाओ, दूसरों पर निराश्रित मत रहो :
साध्वी कहती है कि एक बार माता-पिता भगवान की पूजा करते रहते है। पूजा के दौरान वे भगवान से कुछ मांगते है। आवाज तो नहीं आती पर उनका मुंह हिलता रहता है। इतना में उनका बच्चा आता है और यह देखता है कि मम्मी-पापा भगवान से कुछ तो मांग रहे है। पर वे क्या मांग रहे है यह समझ नहीं आता। उसने सोचा कि मैं भी भगवान की प्रार्थना करता हूं। पर उसे प्रार्थना करना नहीं आता था। उसने थोड़ी देर सोचा और भगवान के सामने खड़ा होकर वो ए, बी, सी, डी बाेलने लगा और एक्स, वाय, जेड तक पूरी अक्षरमाला पढ़ ली। पूजा खत्म करने के बाद माता-पिता ने उससे पूछा कि तुम ये भगवान के सामने क्या बड़बड़ा रहे थे। इस पर बच्चें ने जवाब दिया कि आप लोग भगवान की पूजा कर रहे थे, मैं भी करना चाहता था लेकिन मुझे पूजा करना और प्रार्थना करना नहीं आता तो मैंने भगवान को ए, बी, सी, डी पढ़कर सुना दी। इसके बाद मैंने भगवान से कहा कि हे भगवान मुझे तो आपकी को स्तुति नहीं आती है। मैंने अक्षरमाला पढ़कर सुना दी है। अब आपको आरती पसंद हो, आप इन शब्दों को जोड़कर उसे बना लेना। साध्वी कहती है यह आत्मविश्वास बढ़ाने की बात है। हमेशा दूसरों पर आश्रित नहीं रहना चाहिए। आपको जो भी, जितना भी आए उसको आधार बनाकर अपना काम करना चाहिए।

लक्ष्य पर केंद्रित रहे, झपकी न लें :
साध्वी बताती है कि आप कभी किसी दूसरे पर आश्रित न रहे। आपकाे जीवन में अपना लक्ष्य खुद ही चुनना होगा। लक्ष्य को पाने सीधे उसी राह पर चलना होगा। थोड़ा सा भी आप भटके या झपकी लीं, तो आप वह रास्ता भूल जाएंगे और वही के वही घूमते रह जाएंगे। साध्वी बताती है कि एक बार जटाशंकर नाम का आदमी दिल्ली का कुतुबमीनार देखने जाता है। वह पहले से टिकट कटा लेता है और ट्रेन के निर्धारित समय पर स्टेशन पहुंच जाता है। ट्रेन में वह खिड़की वाली सीट पर बैठ जाता है। सफर शुरू होता है, हवा पड़ने से उसे नींद आ जाती है। उसकी बाजू में बैठा एक यात्री अपना रेडियाे चालू करता है और दिल्ली का रेडियो स्टेशन का प्रसारण होता है। कार्यक्रम में कहा जाता है कि दिल्ली के स्टेशन में आपका स्वागत है। इतना सुनते ही जटाशंकर हड़बड़ा कर उठता है और अपना बैग लेकर स्टेशन पर उतरने को करता है। ट्रेन कहीं बीच जंगल में रहती है तो उसे लगता है कि दिल्ली पीछे छूट गई, तो वह वहीं उतर जाता है। वहां घूमते हुए जंगलों के बीच उसे एक बस्ती दिखाई देती है, जहां वह टांगे वाले से उसे कुतुबमीनार तक छोड़ने कहता। टांगे वाले ने उसे गाेल-गोल घूमाया और वहीं छोड़ दिया। वह भटक ही रहा था कि उसे उसका दोस्त घटाशंकर मिलता है। जटाशंकर कहता है कि मैं पिछले 6 घंटे से भटक रहा हूं, मुझे कुतुबमीनार जाना है। इस पर घटाशंकर कहता है कि मैं पिछले 6 महीने से यहीं घूम रहा हूं, मैं खुद भी ताज महल देखने निकला था। साध्वी कहती है कि अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहे। ऐसी झपकियों से आपका लक्ष्य कहीं छुट न जाये।



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