मासून का मौसम गर्म हवाओं से राहत प्रदान करते हुए मौसम में ताज़गी और हरियाली का अहसास करवाता है। बरसात के मौसम में वातावरण में आर्द्रता तथा उमस बढ़ जाने से वातावरण में विद्यमान हानिकारक किटाणु फलने-फूलने लगते हैं जिससे अनेक प्रकार की बीमारियां उत्पन्न हो जाती हैं। मानसून के मौसम में विभिन्न प्रकार के कीटाणु, जीवाणुओं, बैक्टिरिया तथा अन्य प्रकार के संक्रमण की वजह से अन्य मौसमों की अपेक्षा आपका बीमार पड़ने का खतरा दोगुना हो जाता है।
मानसून के सीज़न में मच्छर, जल, वायू तथा दूषित खाद्य पदार्थों के माध्यम से ज्यादातर बिमारियां उत्पन्न होती हैं। हमारे शरीर में विद्यमान मजबूत प्रतिरोधक क्षमता इन सभी बीमारियों से हमें सूरक्षा कवच प्रदान करती है लेकिन तनाव, मौसम में बदलाव व कुछ अन्य कारणों से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर हो जाती है तथा हानिकारक वायरस और बैक्टीरिया शरीर की प्रतिरोधक क्षमता पर भारी पड़ जाते हैं जिससे हम कमज़ोर पड जाते हैं हालांकि ज्यादातर मामलों में रोगी तीन से पांच दिन में स्वयं स्वस्थ हो जाते हैं लेकिन कुछ अन्य मामलों में उच्च बुखार, शरीर में दर्द चकते, कमज़ोरी, थकान, जोड़ों में दर्द के साथ उल्टियां आदि भी शुरु हो जाती हैं। सामान्यत: बच्चे इस बीमारी की चपेट में ज्यादा आते हैं। मानसून के मौसम में मच्छर के काटने से हम मलेरिया, डेंगु तथा चिकनगुनिया आदि बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। बरसात के मौसम में प्रदुषित जल का सेवन करने से सामान्यतः टायफाईड, हैजा, पीलिया, हैपेटाइटस तथा पाचनतंत्र/उदर के रोग उत्पन्न होते हैं।
वातावरण में हानिकारक वीषाणुओं की मात्रा बढ़ जाने से सर्दी फ्लू तथा इन्फलूएंज़ा, नजला आदि रेाग फैलते हैं। अगर हम चाहें तो मानसून सीज़न में उत्पन्न होने वाली बीमारियों से बचने के लिए कुछ एतिहाती उपाय कर सकते हैं। घर में मच्छरदारनी का उपयोग करें। घर में यह इर्द-गिर्द पानी को इकट्ठा न होने दें। अपने वाशरूम में उचित स्वच्छता/हाईजीन बनाए रखें तथा वाशरूम को प्रतिदिन साफ रखें। घर से बाहर निकलते समय शरीर के खुले अंगों पर मच्छर से बचाव के लिए क्रीम लगाऐं। पानी को उबालकर तथा फल सब्ज़ियों को साफ पानी में धोकर ही उपयोग करें। घर में खाद्य पदार्थों को ढक कर रखें तथा ढाबे, स्टालों आदि पर खाने से परहेज़ करें।
खांसते समय अपने नाक/मुंह को ढक लें। दिन में दो तीन बार उबला पानी पीयें तथा घर से बाहर जाते समय उबला पानी अपने साथ ले जाएं। घर तथा आसपास के परिसर की स्वच्छता सुनिश्चित करें। मौसम बदलते ही हर आदमी बीमार नहीं पड़ जाता लेकिन मौसम में बदलाव बच्चों तथा वरिष्ठ नागरिकों को सामान्यतः बीमारी की चपेट में ले लेता है क्योंकि इनकी प्रतिरोधक क्षमता अपेक्षाकृत कमज़ोर होती है। बीमारियों से लड़ने उपचार में होम्योपैथी काफी कारगर सुरक्षित चिकित्सा पद्धति साबित होती है। होम्योपैथी में सामान्यतः निम्नलिखित दवाईयां काफी प्रभावी तथा कारगर साबित होती हैं। लेकिन इन्हें आप चिक्तिसक के परामर्श तथा निगरानी में ही लें।
बेलाडोना: यह दवाई आंखों तथा चेहरे की लालगी पर प्रभावी होती है। यह सिरदर्द तथा वायूजनक बीमारियों में कारगर उपचार प्रदान करती है।
कैलकेरिया कार्ब: यह दवाई थकान, कमज़ोर मांपेशियों, बार-बार पसीना आने, ठण्डक, जलसिक्त हवा के प्रति संवेदनशील, दांत निकलने में देरी जैसी बीमारियों के प्रति प्रभावी होती है।
आर्सेनिक अल्बम: यह दवाई मानसिक उदासी, उतावलापन, भय, ठण्डे पानी की बार-बार ललक, रात्रि में उत्तेजना आदि बीमारियों में प्रभावी साबित होती है।
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