मन के मलों का त्याग करों परमात्मा बन जाओगे : आचार्य विशुद्ध सागर महाराज

Posted On:- 2022-07-25




रायपुर (वीएनएस)। सन्मति नगर फाफाडीह की चातुर्मासिक धर्मसभा में सोमवार को आचार्य विशुद्ध सागर महाराज ने कहा कि आपको असमान जाति पर्याय को समझना होगा। आप अपने शरीर के अंदर के मलों को बुद्धिपूर्वक हटाते हो। आपके मन में क्रोध होता है,मायाचारी होती है। आपके मन में लोभ कषाय आता है, अहंकार आता है। आपके मन में ही काम आदि के विकार आते हैं। आप जैसे मल को त्याग देते हो वैसे ही चित के अंदर के इन मल को छोड़ दो तुम भगवान बन जाओगे। जिसे आप अपनी वस्तु स्वीकारते हो, उसे जैसे बुद्धिपूर्वक छोड़ते हो, ऐसे तुम्हारे चित में बहुत सारी वस्तुएं हैं, इसलिए अपने पर होने पर भी स्वीकार नहीं करना चाहिए।

आचार्यश्री ने कहा कि आपका ज्ञान विशाल है, फिर भी अज्ञान है। जितना आप जानते हो उतना शास्त्र पढ़कर नहीं जान सकते। शास्त्रों की एक सीमा है,लेकिन आपका ज्ञान उससे असीम है। आपका ज्ञान विशाल होने पर भी अज्ञान हो, क्योंकि मोह से ढका हुआ ज्ञान है,मोह से सना हुआ ज्ञान है। नय

विद्या बहुत बड़ी कला है। इस कला को जो समझता है वह संसार की कलाओं से दूर हो जाता है। राज्य और वैराग्य को एक साथ नहीं संभाला जा सकता। राज्य संभालोगे तो वैराग्य बिखर जाएगा और वैराग्य संभालोगे तो राज्य बिखर जाएगा। धन,धरती व धारा से जब तक किनारा नहीं होगा, तब तक भव किनारा नहीं मिल सकता। जिसके मस्तिष्क में धन, धरती और धरा का प्रचंड राग है इस धरा पर ही धरे रह जाएंगे,सिद्धशिला पर नहीं पहुंचेंगे।

स्वयं की आत्मा के लिए समय निकालें, खुद को पहचानों : मुनिश्री यशोधर सागर 

मुनिश्री यशोधर सागर ने कहा कि निज आत्मा परब्रह्म है। संसार की प्रत्येक आत्मा भगवान बनने की शक्ति रखती है। चाहे वह एक इंद्रिय से लेकर पंच इंद्रिय तक कोई भी आत्मा हो,लेकिन भगवान तभी बनेगी जब जैनेश्वरी दीक्षा लेकर स्वयं पुरुषार्थ करेगी। संसार में अनेकों जीव और प्राणी भ्रमण कर रहे, लेकिन स्वयं को नहीं पहचान पाए। राग द्वेष में लिप्त हैं,न जाने कौन-कौन से पर्याय में गए। अपनी आत्मा को नहीं पहचान पाए इसलिए संसार में भ्रमण कर रहे। जिन्होंने अपनी आत्मा को पहचाना है परमात्मा बन गए। निज की आत्मा को समय देना आप आरंभ करों। निज की आत्मा का ध्यान करों। अपने जीवन में यदि भगवान बनना है तो निज की आत्मा से मिलों। जीवन में आत्मा का कल्याण करना है तो रोज कम से कम 5 मिनट के मौन का नियम लें। मुनिश्री की इस बात पर धर्मसभा में कई लोगों ने नियम भी लिया।

आचार्यश्री के सानिध्य में होगा महा पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव :

विशुद्ध वर्षा योग समिति के अध्यक्ष प्रदीप पाटनी और महामंत्री राकेश बाकलीवाल ने बताया कि आज मंगलाचरण सीमीत जैन झांसी ने किया। दीप प्रज्वलन प्रभातजी पारस धाम,सुरेंद्र पाटनी, अरविंद जैन वैशाली नगर,रौनकजी गया, नरेश पाटनी, संदीप बंडी, सुमीत पांड्या हैदराबाद ने किया। आचार्यश्री के सानिध्य में पारसधाम दुर्ग में 10 से 14 नवंबर तक महा पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव होगा। इसके लिए प्रभात जी अरविंद जी वैशाली नगर एवं भिलाई,दुर्ग, रायपुर के सभी सहयोगीजनों ने श्रीफल भेंट किया। धर्मसभा में उपस्थित सभी गुरु भक्तों ने आचार्यश्री को अर्घ्य समर्पित कर आशीर्वाद लिया। कार्यक्रम के अंत में जिनवाणी मां की स्तुति पाठ अरविंद जैन वैशाली नगर ने किया। मंच का संचालन अरविंद जैन और दिनेश काला ने किया।



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