बेमेतरा (वीएनएस)। छ.ग. शासन की महत्वकांक्षी गोधन न्याय योजना से ग्रामीण और शहरी इलाको में गौ पालको को आमदनी का अतिरिक्त जरीया मिला है। बेमेतरा जिला के नवागढ़ विकासखंड़ के ग्राम टोहड़ी निवासी पशुपालक रामचंद यादव/सुकालू यादव ने बताया की उन्होने 212160 (दो लाख बारह हजार एक सौं साठ) रुपए का गोबर बेचकर उन्होने अपने कच्चे मकान को पक्का बनवाया है। साथ ही उन्होंने अपनी पत्नि के लिए सोने के गहने खरीदी है, जो उनके लिए कभी सपने बनकर रह गया था। इसी प्रकार भरत यादव/मिलन यादव ने बताया कि उन्होने 91500 रुपए का गोबर बेचकर पुराने कर्ज से मुक्ति पाया है और उसके आर्थिक स्थिति में सुधार आया है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की ओर से इस योजना के शुरू करने का मुख्य उदद्ेश्य पशुपालकों के आय में वृृद्धि, स्थानीय लोगो को रोजगार के अवसर प्रदान करना, खुली चराई में रोक लगाना, जैविक खाद के उपयोग को बढ़ावा देना द्विफसलीय क्षेत्र विस्तार करना, सुपोषण को बढ़ावा देना है। गोधन न्याय योजना छ.ग. ही नहीं पुरे देश में लोकप्रिय योजना का रूप ले चुकी है। भारत सरकार की ओर से भी इस योजना की सराहना की है। छ.ग. में गोधन न्याय योजना के शुरू के होने के बाद से बहुत सी गौपालक व स्वसहायता समुह की महिलाओ ने अपने सपने साकार किये है। समुह की माहिलाओं की ओर से 2 प्रति किलो में गोबर खरीदकर 10 प्रति किलोग्राम वर्मी कम्पोस्ट का विक्रय किया जा रहा है।
मुख्य कायर्पालन अधिकारी जनपद पंचा.- नवागढ़ प्रज्ञा यादव ने बताया की विकासखंड नवागढ़ में योजना के शुरूआत से लेकर अबतक 20,180 (बीस हजार एक सौं अस्सी क्ंिवटल) गोबर की खरीदी की गई है, जिसकी कुल किमत 4036000 (चालीस लाख छत्तीस हजार रुपए) है, उसमें से 5417.00 क्वि. वर्मी कम्पोस्ट राशि 5417000 (चौवन लाख सत्रह हजार रुपए) व 1864 क्वि. सुपर कम्पोस्ट 1118400 (ग्यारह लाख अठारह हजार चार सौ रुपए) राशि का खाद विक्रय किया जा चुका है।
वरिष्ठ कृषि अधिकारी नवागढ़ आर.के. चतुर्वेदी ने बताया की उच्च गुणवत्ता युक्त वर्मी कम्पोस्ट खाद किसान भाईयो को सेवा सहाकारी समिति के माध्यम से कैश/क्रेडिट में सुचारू रूप से उपलब्ध कराया जा रहा है। जिसका उपयोग कर नवागढ़ वि.ख. के कृषक चंद्रभान सेन ग्राम-धोबघट्ठी, रमेंश कुमार ग्राम-मदनपुर, अनेष साहू ग्राम-मारो, राजोलाल/सोनऊ कुंरा, निर्मल बघेल ग्राम-चक्रवाय ने बताया कि कृृषि विभाग के मार्गदर्शन में उन्होने वर्मी कम्पोस्ट खाद का उपयोग चयनित प्लॉट में किया, जिससे कि रासायनिक उर्वरक नहीं के बराबर उपयोग करने पर भी उत्पादन 2 से 5 क्वि. प्रति हेक्टेयर उत्पादन अधिक प्राप्त हुआ। कीट पंतगे नही के बराबर लगे जमीन की जल धारण क्षमता में वृृद्धि हुई इस प्रकार खेती की लागत में 7-8 हजार प्रति हेक्टेयर लागत कम हुआ, चुंकि जैविक खेती से उगाये फसल की कीमत भी अच्छी प्राप्त होती है साथ ही जैविक खाद का उपयोग कर उगाये गये अनाज की गुणवत्ता मानव स्वास्थ्य की दृृष्टि से उत्तम होता है।
गोधन न्याय योजनांतर्गत उत्पादित वर्मी/सुपर कम्पोस्ट खाद निर्माण का बीड़ा महिला स्वसहायता समूह की सदस्यो ने उठाया है। जहां गौठानों में खाद के साथ-साथ अहम रोजगारमूलक गतिविधिया का भी संचालन किया जा रहा है। जैसे की सब्जी उत्पादन, मुर्गीपालन, दाल मील का संचालन किया जा रहा है, इस प्रकार गोधन न्याय योजना पूरे छ.ग. में पशुपालकों, किसानों के साथ-साथ महिला समुहो के आर्थिक स्थिति में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
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