संसार में देव, धर्म और गुरु से जो दूर है वह सबसे बड़ा दरिद्र है : आचार्य विशुद्ध सागर

Posted On:- 2022-07-12





रायपुर (वीएनएस)। विशुद्ध वर्षायोग 2022 के लिए सन्मति नगर फाफाडीह रायपुर में मंगलवार को चर्या शिरोमणि आचार्य विशुद्ध सागर महाराज के ससंघ उपस्थिति में चातुर्मासिक कलश की स्थापना हुई। कार्यक्रम का शुभारंभ राज्यपाल अनुसुईया उइके ने दीप प्रज्वलित कर किया। विशुद्ध सभागृह का उद्घाटन महावीर प्रसाद, राजकुमार बाकलीवाल परिवार ने किया। ध्वजारोहण चातुर्मास शिरोमणि संरक्षक सुधीर कुमार रितेश,मितेश, अरिहंत एवं समस्त बाकलीवाल परिवार ने किया। मुख्य अतिथियों को आचार्य श्री के हस्तलिखित शास्त्र भेंट किए गए।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्यपाल अनुसुईया उइके और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल थे। साथ ही विधायक कुलदीप जुनेजा, महापौर एजाज ढेबर सहित सकल दिगंबर जैन समाज रायपुर व अन्य राज्यों व विदेश से भी समाज के लोग बड़ी संख्या में धर्म लाभ लेने पहुंचे हैं।

धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि संसार में देव धर्म व गुरु की शरण से जो दूर है, उससे बड़ा कोई दरिद्र नहीं होता। गिरता पत्ता डाल पर हरे पत्ते को देख ले तो उसको शांति से गिरना अच्छा लगता है, वह संतुष्ट होता है मैं अवश्य जा रहा हूं लेकिन डाली खाली नहीं होगी। कुछ लोग अपनी बात रखना जानते हैं, तो कुछ लोग अपनी बात रखे रहते हैं,जो बहुत गहरी होती है। जो रखना जानते हैं वे सफल होते हैं। कोरोना काल में सबसे ज्यादा वे परेशान हुए थे,जो लोग रोज कमाकर खाते हैं। वे लोग कभी परेशान नहीं हुए जो संजो कर रखते हैं। रखी वस्तु सदैव काम में आती है। जितने भगवान बने हैं,जितने भगवान बनेंगे रखी वस्तु से ही बनते हैं। जो-जो परमात्मा बना है,जो जो परमात्मा बनेगा जो परमात्मा बन रहे हैं वे रखी वस्तु से ही बनते हैं। ये पूर्व के पुण्य के कारण ही संभव है। चैतन्य धातु ना होती तो भगवान कैसे बनते।आचार्य श्री ने कहा कि भगवान ने हमारे बारे में जाना है,उससे हम सभी अज्ञान है। लेकिन तुम्हारे जीवन में क्या-क्या हुआ है,उससे तुम अज्ञान नहीं हो। अपनी करतूतों से कौन अज्ञान है। चेष्टा मत करो भुलाने की कि मैंने क्या-क्या किया है। बस अपने ह्रदय को बता देना कि  तुमने क्या-क्या नहीं किया है। अगरबत्ती की लकड़ी पर कोई सुगंध नहीं है,जो  सुगंध है वह उसके मसाले की है। ऐसे ही आपको जो यश दिखाई दे रहा है, यह आपका नहीं है। यशाकृति कर्म का उदय है। मत मुस्कुराओं कि लोग मुझे पूछ रहे हैं,तुम्हें कोई तुम्हें कोई नहीं पूछ रहे। जिसे पूछा जा रहा है वह पुण्य का मसाला है।

कलश स्थापना दिवस पर आज आचार्य श्री सहित सभी संतों ने निर्जला उपवास किया। चातुर्मास कलश की स्थापना विधि विधान पूर्वक की गई। इनमें 5 मुख्य कलश सहित 24 अक्षय निधि कलश हैं। मुख्य 5 कलश में पहले कलश के लाभार्थी सुधीर,रितेश, मितेश, अरिहंत बाकलीवाल परिवार,दूसरे कलश के लाभार्थी महावीर प्रसाद,राजकुमार बाकलीवाल परिवार,तीसरे कलश के लाभार्थी कपूरचंद,प्रकाशचंद पाटनी परिवार,चतुर्थ कलश के लाभार्थी धरमचंद,मनीष कुमार बाकलीवाल और पांचवे कलश के लाभार्थी पारसमल,साकेत कुमार पापड़ीवाल परिवार रहे।

जैन धर्म हमें समानता, आत्म नियंत्रण,त्याग और सदाचरण की शिक्षा देता है : राज्यपाल

राज्यपाल अनुसुईया उइके ने विशुद्ध वर्षा योग 2022 के चातुर्मास कलश स्थापना कार्यक्रम में शामिल होकर पूरे प्रदेशवासियों की ओर से दिगंबर जैन संत आचार्य विशुद्ध सागर महाराज और सभी संतों को नमन किया। राज्यपाल ने कहा कि यह गर्व का विषय है कि जैन संत आचार्य विशुद्ध सागर ससंघ छत्तीसगढ़ की धरा में पधारे हैं और यहां पर चतुर्मास कर रहे हैं। जैन धर्म हमें समानता, आत्म नियंत्रण, त्याग और सदाचरण की शिक्षा देता है। राज्यपाल ने कहा कि उनका आरंभिक जीवन में भी जैन समुदाय के प्रबुद्धजनों से सतत संपर्क रहा। मैंने महसूस किया कि उनके जीवन शैली में महावीर स्वामी  की शिक्षा प्रदर्शित होती है। जब किसी समाज में किसी भी प्रकार की आपदा संकट की स्थिति आती है, जैन समाज सदैव सामने आता है और खुले मन से दीन दुखियों की मदद करता है। वे किसी भी पद पर हो या धन-धान्य से परिपूर्ण हो परंतु जब समाज को उनकी जरूरत होती है तो वह बड़ा से बड़ा त्याग कर समाज के लिए कार्य करते हैं। उनकी ही सेवा भावना के कारण ही वे समाज में निरंतर प्रगति कर रहे हैं और हर क्षेत्र में ऊंचाइयों पर स्थापित हुए हैं। यह सर्वविदित है कि जैन संत और उनके अनुयाई महावीर स्वामी द्वारा बताए गए सिद्धांतों को जीवन में उतारते हैं और उसी के अनुसार आचरण करते हैं। वे सदैव अहिंसा के मार्ग पर चलते हैं। जीव हत्या ना हो इस पर विश्वास करते हैं और उसके अनुसार ही कार्य करते हैं। आज चतुर्मास की स्थापना के साथ चतुर्मास का कार्यक्रम प्रारंभ हो गया है। इस चतुर्मास के दौरान किए गए कर्म और विभिन्न धार्मिक क्रियाओं से आसपास के वातावरण में शुद्धता आती है और शांति और सदविचारों का वातावरण निर्मित होता है। साथ ही समाज के लोगों को यह संदेश मिलता है हम अपने जीवन को किस प्रकार अच्छे कार्यों पर लगाएं जिससे पूरे प्रदेश में शांति खुशहाली और भाईचारे का वातावरण निर्मित हो।



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