जो प्रभु बनने का मार्ग दिखाए वह गुरु है : आचार्य विशुद्ध सागर

Posted On:- 2022-07-13





रायपुर (वीएनएस)। सन्मति नगर फाफाडीह में विशुद्ध देशना मंच से आचार्य विशुद्ध सागर महाराज ने गुरु पूर्णिमा के विशेष अवसर पर धर्मसभा में आशीर्वचन दिया। आचार्य ने कहा कि गुरु पूर्णिमा का यह पावन दिन गुरु शिष्य के मिलन का दिन है। गुरु महान है और शिष्य का मिलना उसके जीवन का वरदान है। यदि शिष्य का पुण्य है उसे महान गुरु मिले तो गुरु का भी पुण्य है उसे निदोष भक्त शिष्य मिले। संसार में गुरु शिष्य का मिलन जैसा पवित्र संबंध और कही नहीं।
आचार्य ने कहा कि जिस राग की रस्सी में बंधे बंधे इस कलयुग में आए, उसी राग की स्मृतियों में तुम डूब रहे हो। गुरु पिता नहीं, गुरु माता नहीं,गुरु मित्र नहीं है,गुरु मात्र गुरु जो प्रभु बनने का मार्ग दिखाएं,उसका नाम गुरु है। दिगंबर गुरु तुम्हें विश्वगुरु बनाते हैं। मैं उस गुरु का शिष्य हूं जिसने मुझे सागर बना दिया,जो महासागर में मिलेगा। यह परंपरा  सागर की परंपरा है। दुनिया छोड़ दे उसकी चिंता मत करना। ध्यान रखना कि मेरे गुरु की आस्था मेरे से दूर ना हो,मेरी आस्था गुरु से दूर ना हो। आस्था का आनंद लें।

आचार्य ने कहा कि किसी दूसरे की मेहनत की मत खाना। पुण्य प्रचंड है तो मिट्टी में हाथ लगाओ सोना निकलेगा। पुण्य क्षीण है तो दूसरे के हीरे मोती में हाथ लगाओ राख हो जाएंगे। पुण्य प्रचंड है तो पुण्य काम में कमी नहीं कर करना। सब दिन एक से नहीं होते। जीवन में कमजोर से कमजोर आदमी को दुत्कारना मत। काम लेना हो तो पुचकार कर लेना दुत्कार कर नहीं।

किसी को डाटना मत,फटकारना मत। कब किसका ह्रदयघात हो जाए, जीवन भर आपको पछतावा होगा।

आचार्य ने कहा कि शिष्य गुरु भक्त होना चाहिए। जिसके हृदय में लबालब गुरु भक्ति भरी हुई है, सूखे सरोवर में बगुला नहीं बैठता। जिसके हृदय में गुरु भक्ति नहीं वहां धर्म क्या बसेगा। शिष्य धार्मिक हो,भाव से भयभीत हो,जागृत हो वही सच्चा शिष्य है। जीवन में कभी स्वप्न में भी गुरु द्रोह करने का विचार मत लाना। गुरु द्रोह और मित्र के साथ चोरी मत करना, उसका फल ठीक नहीं होता। गुरु पूर्णिमा के दिन यही मंगल आशीष कि अपने जीवन में ऐसा जीवन जीना,जीवन में गुरु बना कर जीना, तीन मुनियों को अपने गुरु पद  से हीन नहीं देखना।

14 जुलाई को वीर शासन जयंती
विशुद्ध वर्षा योग 2022 के अध्यक्ष प्रदीप पाटनी, महामंत्री राकेश बाकलीवाल,निकेश गोधा मनोज सेठी ने बताया कि गुरु पूर्णिमा पर विशेष कार्यक्रम में प्रातः 6:30 बजे चातुर्मास कलशों का शुद्धिकरण व स्थापना की गई। चर्या शिरोमणि आचार्य विशुद्ध सागर महाराज की पूजा रायपुर सकल जैन समाज महिला मंडल ने की। इसके बाद आचार्य के मंगल प्रवचन हुआ। इसके बाद आचार्य संघ की आहार चर्या हुई। गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर सकल दिगंबर जैन समाज ने गुरु भक्ति की। विभिन्न स्थानों से पहुंचीं महिला मंडल ने महाअर्घ, फल,धूप, दीप, नैवेद्य, अक्षत, चंदन, जल इन अष्टद्रव्य से आचार्य की पूजा की। प्रतिदिन इसी प्रकार से विभिन्न स्थानों से पहुंच रहे समाज के लोग गुरु भक्ति करेंगे। 14 जुलाई को वीर शासन जयंती मनाई जाएगी। चातुर्मास कलश स्थापना दिवस पर आचार्य ससंघ ने निर्जला उपवास किया था,जिसका पारणा आज हुआ। आज के वात्सल्य भोज के लाभार्थी परिवार हीरा देवी,अशोक कुमार, प्रशांत कुमार पाटनी परिवार रहे।



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