आम लोगों का भरोसा टूटना अच्छी बात नहीं है...

Posted On:- 2024-04-10




-सुनील दास

केजरीवाल दूसरे दलों के नेताओं के समान खुद को नहीं मानते थे,वह खुद को सबसे अलग मानते थे। वह शुरू में बाकी सभी दलों को भ्रष्टाचार करने वाले और खुद को ईमानदार बताया करते थे।वह अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन ने निकले नेता थे इसलिए देश की जनता को उनसे दूसरे तमाम नेताओं से ज्यााद उम्मीद थी। जनता मानती थी केजरीवाल वाकई में सबसे ईमानादार नेता हैं। वह देश व राज्य के लिए जरूर कुछ अच्छा करेंगे।कम से कम वह जिस राज्य के सीएम रहेंगे वहां कोई भ्रष्टाचार नहीं होने देंगे। देश की जनता केजरीवाल से भ्रष्टाचार मुक्त शासन चाहती थी और यह चाह केजरीवाल ने ही जनता में पैदा की थी।

जब तक केजरीवाल सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते गए तो जनता सोचती थी कि बाकी नेताओं ने किया होगा, केजरीवाल तो ईमानदार हैं। जब शराब घोटाले के आरोप में केजरीवाल की गिरफ्तारी हुई तो जनता के भरोसा टूटा और जब कोर्ट ने कह दिया कि भ्रष्टाचार के मामले में केजरीवाल की संलिप्तता है तो जनाता का रहा सहा भरोसा भी टूट गया। लोकतंत्र में जनता जिस नेता पर जिस बात के लिए भरोसा करती है, वही बात वह नेता करे तो जनता का भरोसा टूट जाता है। फिर वह बरसों तक किसी नेता पर भरोसा नहीं करती है।केजरीवाल ने जो कुछ किया है या उन पर जो कुछ आरोप लगे हैं,उससे देश की जनता का भरोसा टूटा है और यह कोई अच्छी बात नहीं है।

लोकतंत्र में जनता को अच्छे नेताओं की जरूरत होती है। अच्छे नेताओं होते हैं तो लोकतंत्र को मजबूती मिलती है। भ्रष्ट नेता तो खुद भी भ्रष्टाचार करते हैं, दूसरों को भी करने की खूली छूट देते हैं और देश व राज्य को लूटते रहते हैं। पहले कम से कम सीएम का नाम तो भ्रष्टाचार में कम ही आता था। अब तो सीधे सीएम का नाम सामने आता है और उनकी गिरफ्तारी भी होती है। इससे जनता को लगता है कि इस नेता ने जो वादा किया था वह पूरा नहीं किया और भ्रष्टाचार कर उसका विश्वास तोड़ा है।

इसका मतलब क्या है,इसका मतलब है कि सत्ता में आते ही सीएम से लेकर मंत्री तक भ्रष्टाचार करने से बच नहींं पा रहे है। जनता की नजर में यह नेता भ्रष्टाचार करके सत्ता के लायक नहीं रह जाते हैं, बाद में जनता इनको चुनाव में नकार देती है तो यह कहते हैं कि ईवीेएम में गड़बड़ी कर चुनाव मे उनको हरा दिया गया है।

हकीकत में जनता अब सत्ता मिलने पर भ्रष्टाचार करने वाले दलो को नेताओं को पहचानती जा रही है और उनको केंद्र व राज्य में सत्ता से बाहर कर रही है। देश के तमाम नेताओं में पीएम मोदी ही एक ऐसे नेता है जो पहले जितने ईमानदार थे, सत्ता में बीस साल रहने के बाद उतने ही ईमानदार है। उनकी तुलना देश के किसी भी सत्ता में रहनेवाले नेता से की जाए तो सत्ता में रहनेवाले नेता के पास जितनी संपत्ति होगी उसका एक प्रतिशत भी मोदी के पास नहीं होगा। केजरीवाल जनता के लिए भविष्य के मोदी हो सकते थे लेकिन वह १२ साल में ही असफल हो गए। वहीं मोदी २० से मोदी है, जरा भी नहीं बदले हैं, सत्ता उन्हे नहीं बदल पाई और केजरीवाल को सत्ता ने पूरी तरह बदल दिया। कभी केजरीवाल पीएम मोदी का अनपढ़ राजा कहकर  मजाक उडाया करते थे आज वह जेल में है तो पूरा देश उनका मजाक उडा़ रहा है।



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