समाज के गरीब तबके के हर आदमी की सपना होता है कि उसकी गरीबी किसी तरह दूर हो जाए।अपनी गरीबी दूर करने वह खुद भी प्रयास करता है तथा समाज,सरकार से भी उम्मीद करता है कि वह उसकी गरीबी दूर करने मेंं मदद करे। आजादी के बाद से देश के राजनीतिक दल गरीबों को उनकी गरीबी दूर का वादा कर वोट लेते रहे है, सत्ता सुख भोगते रहे हैं।राजनीतिक दलों को तो गरीबों के वोट से सत्ता मिलती रही लेकिन राजनीतिक दलों ने गरीबों से गरीबी दूर करने का अपना वादा कभी पूरा नही किया। देश में गरीब पहेल भी थे, आज भी हैं।
गरीबी दूर करने का सपना दिखाने वाले भी पहले भी थे और आज भी है। राजनीतिक दलों के घोषणापत्र जारी होने के बाद पता चलता है कि कांंग्रेस ने गरीबी दूर करने को जो वादा किया है। वह वामपंथियों का गरीबी दूर करने का बरसों पुराना तरीका है। इसमें माना जाता है की गरीबी धन के असमान वितरण के कारण है। धन का समान वितरण कर दिया जाए तो गरीबी दूर हो जाएगी। यह गरीबों को अच्छा लगता है कि कोई उनको अमीरों से धन छीनकर उनको दे रहा है। यह मेहनत कर धन कमाने वाले अमीरो को अच्छा नहीं लगता है कि उनका धन उनसे छीनकर दूसरों को दिया जा रहा है। क्योंकि उसके पास धन ज्यादा है। इससे गरीबी दूर हो न होो देश व समाज अमीर व गरीब में बंट जाता है।
राहुल गांधी व कांग्रेस गरीबी दूर करने के वामपंथी तरीके से समाज को अमीर व गरीब में बांटकर गरीबों को वोट लेना चाहते है। इसी तरह जातीय गणना का मकसद भी जातियों का भला करना नहीं है, इसका मकसद भी समाज को जातियों में बांट देना है। जाति व आर्थिक सर्वे का मकसद कुल मिलाकर हिंदू समाज को जाति, अमीर,गरीब में बांट देना है। क्योंकि यह समाज एकजुट रहता है तो इससे कांग्रेस को सत्ता नहीं मिलती है। सत्ता भाजपा को मिलती है। दस साल से भाजपा हिंदू समाज को एकजुट कर, समाज को बिना अमीर व गरीब में बांटे गरीबी दूर कर सत्ता में है तो यह कांग्रेस को अच्छा नहीं लग रहा है।
कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान इस बात से हुआ है कि सत्ता हासिल करने में अल्पसंख्यकों का जो अहम भूमिका थी,उस भूूमिका को ही मोदी ने निष्प्रभावी कर दिया है। उसकी जगह पीएम मोदी ने बहुसंख्यकों की भूमिका को अहम बना दिया है। यानी बहुसंख्यक जिसके साथ है,सत्ता उसी को मिलेगी। यह स्वाभाविक भी लगता है कि सत्ता तो उन लोगों के पास ही रहनी चाहिए जो संख्या में ज्यादा है। लोकतंत्र में भी तो सही उसे माना जाता है जिसके साथ बहुमत होता है। कांग्रेस इस बहुसंख्यकवाद को तानाशाही मानती है। यही वजह है कि उसने अपने मेिनफेेस्टों में बहुसंख्यकवाद का विरोध किया है और अल्पसंख्यकों की तुष्टिकरण के लिए कई तरह के वादे किए हैं।
कांग्रेस अल्पसंख्योकों के जरिए सत्ता हासिल कर उनको तुष्टिकरण करती रही लेकिन उनकी हालत में कभी सुधार नहीं हुआ। अल्पसंख्यक गरीब थे और आज भी गरीब हैं। कांग्रेस की तुलना में पीेएम मोदी ने दस साल में बहुसंंकख्क समाज के गरीबों सहित सभी वर्ग के गरीबों की गरीबी को मकान, शोचालय, बिजली, पानी,राशन, मुफ्त इलाज की सुविधा देकर जो राहत पहुंचाई है, उससे उनकी तकलीफ तो दूर तो हुई है। इसके लिए पीएम मोदी को पैसा किसी अमीर से छीनना नहीं पड़ता। पीएम मोदी का गरीबी व बेरोजगारी दूर करने का यह अपना तरीका है, सरकार गरीबों की मदद लोन देकर करती है, ताकि वह काम करके अपनी गरीबी,बेरोजगारी खुद दूर कर सकें।
कांग्रेस के गरीबी दूर करने का रास्ता है उसमें लोग सरकार के भरोसे बैठे रहे कि कब सरकार उसको धन देकर उसकी गरीबी दूर करेगी। भाजपा व पीएम मोदी की गरीबी दूर दूर करने का अपना रास्ता है कि सरकार गरीबों को रोजगार करने के लिए लोन देगी, गरीब आदमी खुद रोजगार करके अपनी गरीबी खुद दूर करे। समझने की जरूरत है कि किसी दूसरे के धन से गरीबी दूर नहीं होती है। अपने कमाए धन से ही गरीबी दूर होती है। जो धन कमा सकता है, वह अपनी गरीबी खुद दूर कर सकता है। पीएम मोदी चाहते हैं कि देश के लोग मेहनत से धन कमाने वाले बने, वेल्थ क्रियेटर बने। राहुल गांधी चाहते हैं कि गरीब आदमी सरकार भरोसे बैठे रहे कि सरकार कब धन देकर उसकी गरीबी दूर करेगी। चुनाव में जनता को वोट देकर तय करना है कि उसे राहुल गांधी जैसा नेता चाहिए या पीएम मोदी जैसा नेता चाहिए।
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