राजनीति में जो आक्रामक होता है, वह मजबूत माना जाता है और जो रक्षात्मक होता है, वह कमजोर माना जाता है। इसलिए चुनाव के दौरान राजनीतिक दल एक दूसरे के प्रति ज्यादा आक्रामक होते हैं। रोज नए नए मुद्दो को लेकर हमलावर रहते हैं ताकि जनता उन्हें मजबूत माने, योग्य माने, सही माने और उसे ही सत्ता के लिए चुने। पहले चरण में कांग्रेस ने कुछ आक्रामक तेवर जरूर दिखाए। भाजपा व मोदी पाजीटिव व रक्षात्मक रहे। कांग्रेस संविधान बदलने को लेकर भाजपा पर हमला करती रही,लोकतंत्र को लेकर भाजपा पर हमला करती रही। भाजपा रक्षात्कम रही और कांंग्रेस के प्रचार को झूठ बताती रही। कांगरेस सवाल पूछती रही और भाजपा सफाई देती रही।
चुनाव के दूसरे चरण में पीएम मोदी ने कांग्रेस पर जो हमले उन्ही के घोषणापत्र के मुद्दों व नेताओं के बयान को लेकर किए,कांग्रेस दूसरे चरण के चुनाव में सफाई देती रही है कि भाजपा जो कह रही है, वैसा कुछ कांंग्रेस करने नहीं जा रही है। सबसे पहले पीएम मोदी ने राहुल गांधी के भाषण को लेकर कहा कि कांग्रेस जो आर्थिक गणना करानेवाली है, उसका मकसद देश के लोगों के धन का पता लगाना है कि किसके पास कितनी धन संपत्ति है. यह पता लगने पर कांग्रेस देश के लोगों के पास जितना ज्यादा संपत्ति है वह ले लेगी और घुसपैठियों, ज्यादा बच्चे पैदा कगरने वालों को दे देगी। पीएम मोदी ने सीधे नहीं कहा कि कांग्रेस बहुसंख्यकों की धन संपत्ति जब्त कर अल्पसंख्योकों को बांंटना चाहती है। महिलाओं के मंगल सूत्र को लेकर भी बड़ी भावनात्मक बात कर देश के निचले स्तर तक बात पहुंचा दी कि कांग्रेस सत्ता में आई तो क्या करने वाली है।
कांग्रस ने अपने घोषणापत्र में बड़ी चालाकी से यह तो वादा किया है कि वह आर्थिक गणना कराना चाहती है ताकि पता चले कि देश के किस वर्ग के पास कितना पैसा है। उसने यह साफ नहीं किया कि वह आर्थक गणना के बाद क्या करने वाली है, यह तो राहुल गांंधी ने एक सभा में कह दिया कि वह धन का पता लगाकर उसे फिर से बांंटना चाहते हैं। इसका तो कोई भी सीीधा मतलब यही निकालेगा कि जिनके पास ज्यादा धन है, उससे धन लेकर उनको धन दिया जाएगा जिनके पास धन नहीं है। इस मौके पर पीएण मोदी देश को यह याद दिलाना नहीं भूले कांग्रेस के लिए गरीब,अल्पसंख्यक का क्या मतलब है। इसके लिए उन्होने पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के भाषण का जिक्र किया जिसमें कहा गया है के देश के संसाधनों पर पहला हक अल्पसंख्यकों खासकर मुसलमानों का है।
पूरा देश जानता है कि कांग्रेस ने सत्ता में रहते सबसे ज्यादा ख्याल अल्पसंखयकों का रखा। उऩके लिए अलग पर्सनल लॉ बोर्ड बनवाया,अलग वक्फ कानून बनवाया, अल्पसंख्यक मंत्रालय बनवाया,सच्चर कमेटी बनाकर देश को बताया गया कि उनकी हालत देश में सबसे खराब है, रंगनाथ आयोग ने सिफारिश की अल्पसंख्यकों के लिए दस प्रतिशत आरक्षण होना चाहिए। इसमें छह प्रतिशत आरक्षण मुसलमानों के लिए होना चाहिए। यूपीए सरकार के समय मुसलमानों को आरक्षण देने का प्रयास किया गया। वर्तमान में मुसलमानों को पिछड़् वर्ग में शामिल कर आरक्षण देने का प्रयास किया जा रहा है।
ऐसे में अगर पीएम मोदी व भाजपा कह रही है कि कांग्रस धन का पता लगा रही है तो इसलिए लगा रही है कि वह मुसलमानों के लिए कुछ करना चाहती है क्योंकि वह मानती है कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानाे को है। कांग्रेस इस मामले में सफाई दे रही थी उसकी ऐसी कोई योजना नहीं है, अमरीका से राहुल गांधी के गुरु व गांधी परिवार के सलाहकार सैम पित्रोदा का यह बयान सामने आ गया कि अमरी का विरासत कर लिया जाता है इस पर भारत में भी चर्चा होनी चाहिए। यह विरासत कर क्या है, अमीरों की संपत्ति पर कानूनी तौर पर कब्जा कर लेना है।
अमरीका में किसी को अपने बाप दादा से कोई संपत्ति मिलती है तो उसका बड़ा हिस्सा सरकार ले लेती है और छोटा हिस्सा नाती पोतों को मिलता है।सैम पित्रोदा ने चर्चा की बात कही लेकिन हकीकत में वह कांग्रेस को याद दिला रहे थे कि कांग्रेस सरकार आई तो वह अमीरों से धन ऐसे भी ले सकती है। ऐसा नहीं है कि यह टैक्स भारत में पहले लिया नहीं जाता था, धन की असमानता को खत्म के लिए इसे देश में लागू किया गया था इसे राजीव गांधी सरकार के समय समाप्त किया गया था। उसके बाद से देश में यह टैक्स नही लिया जाता है। अल्पसंख्यकों के प्रति कांग्रेस की सोच आजादी के बाद जो थी, वह आज भी है।वह बदली नहीं है, उसे कांग्रेस के घोषणापत्र को पढ़कर समझा जा सकता है।
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