छत्तीसगढ़ की समन्वयवादी संस्कृति के प्रतीक थे वली मुहम्मद : परदेशी

Posted On:- 2024-07-25




भिलाई (वीएनएस) । साहित्य व संस्कृति को समर्पित संस्थान अगासदिया की ओर से गौसेवक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. वली मुहम्मद की 68 वीं पुण्यतिथि पर एक वैचारिक आयोजन बुधवार 24 जुलाई को आमदी नगर हुडको स्थित परिसर में हुआ। इस दौरान स्व. वली मुहम्मद के व्यक्तित्व पर वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए वहीं उनके व अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन पर आधारित दूरदर्शन से प्रसारित हो चुके सीरियल 'भूमिपुत्र पर भी सार्थक चर्चा हुई। शुरुआत में अतिथियों ने अगासदिया के प्रेरणा स्त्रोत स्व. संत पवन दीवान और गौसेवक स्वतंत्रता सेनानी स्व. वली मुहम्मद का स्मरण किया।

अपनी बात रखते हुए अगासदिया के संयोजक व प्रख्यात साहित्यकार डॉ. परदेशीराम वर्मा ने बताया कि स्व. वली मुहम्मद अमीन पटवारी के प्रतिष्ठित पद पर थे और अंग्रेजी राज में सुखमय जीवन बिता सकते थे। लेकिन उन्होंने संघर्ष का रास्ता चुना, तीन बार दीर्घ अवधि के लिए जेल गए और यातनाएं सही।

डॉ.वर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ में विभिन्न समाज के बीच समन्वय स्थापित करने में स्व. वली मुहम्मद का विशेष योगदान रहा क्योंकि जब युवावस्था में वो टाटा नगर नौकरी के लिए गए तो पहली बार उन्होंने वहां 'गौकशीÓ देखी और इससे व्यथित होकर एक कविता 'गइया रोवत-रोवत करे पुकार, मोर प्राण बचा लो हरिÓ की रचना की और छत्तीसगढ़ लौट गए। यहां वह आजीवन गौ सेवा में जुटे रहे।

उनकी इसी कविता को प्रख्यात पंथी नर्तक देवदास बंजारे ने राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मंच पर गा कर अमर कर दिया। आयोजन में वरिष्ठ रंगकर्मी व छत्तीसगढ़ी फिल्मों के अभिनेता विनायक अग्रवाल ने बताया कि वर्ष 1997 में देश की स्वतंत्रता की अर्ध शताब्दी पर दूरदर्शन रायपुर के प्रस्ताव पर हम लोगों ने सीरियल 'भूमिपुत्र का निर्माण किया। तब सीमित संसाधनों के बीच दुर्ग के ग्राम मोहलई में मई के तपिश भरे महीने में लगातार 8 दिन में काम पूरा किया गया।

जिसमें गौसेवक स्वतंत्रता सेनानी स्व. वली मुहम्मद सहित छत्तीसगढ़ के 12 स्वतंत्रता सेनानियों पर धारावाहिक की किस्तें तैयार हुईं। गहन शोध के बाद इस सीरियल की पटकथा डॉ. परदेशीराम वर्मा ने लिखी। इस अवसर पर साहित्यकार डॉ. सुधीर शर्मा ने कहा कि यह मेरे लिए गौरव की बात है कि छत्तीसगढ़ के प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानियों पर केंद्रित टीवी सीरियल 'भूमिपुत्र की पूरी शूटिंग मेरे अपने गांव मोहलई में हुई थी।

उन्होंने कहा कि इस कालजयी टीवी सीरियल 'भूमिपुत्र का पुन::प्रसारण किया जाना चाहिए और स्व. वली मुहम्मद के प्रेरक व्यक्तित्व  से आज की पीढ़ी को रूबरू कराना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन करते हुए पत्रकार व लेखक मुहम्मद जाकिर हुसैन ने कहा कि स्व. वली मुहम्मद के देश और अपने छत्तीसगढ़ के प्रति योगदान अतुलनीय है और इसे रेखांकित किया जाना आज की पीढ़ी के लिए बेहद जरूरी है। अंत में डॉ. परदेशीराम वर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।



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