साफ दामन में दाग ढूंढने की बेकार कोशिश

Posted On:- 2024-11-16




सुनील दास

राजनीति में जिसका दामन दागदार हो जाता है,वह बदनाम हो जाता है,उसका नाम आते ही लोगों को याद आ जाता है कि इन लोगों की सत्ता थी तो इन लोगों ने क्या किया था। बहती गंगा में कैसे सबने हाथ धोया था, राज्य को पार्टी का एटीएम बना दिया था, जहां से पैसा निकाला जा सकता है, वहां से पैसा निकाला गया महादेव सट्टा से पैसा बनाया जा सकता था तो बनाया गया,शराब घोटाला पर पैसा बनाया जा सकता था तो बनाया गया।इसके अलावा कोल परिवहन सहित कई मामले हैं जो पिछली राज्य सरकार के दामन पर इतने गहरे दाग हैं वह बरसों फीके पड़ने वाले नहीें है।

ऐसे लोग अपने दामन को तो साफ नहीं कर सकते क्योंकि वह तो हमेशा के लिए दागदार हो चुका है। यह सच है कि अभी कई मामलों की जांच चल रही है, सुनवाई चल रही है। लेकिन इससे इतना तो जनता को पता चलता है कि पांच साल का समय जनता ने सेवा के लिए दिया था तो जनता की सेवा तो कम की और पार्टी की सेवा की ज्यादा की। इसी का खामियाजा कांग्रेस पार्टी को पिछले चुनाव में भुगतना पड़ा।आम जनता से पूछा जाए कि पिछली कांग्रेस सरकार व वर्तमान भाजपा सरकार में सबसे बड़ा फर्क क्या है तो कोई भी आसानी से बता देगा कि पिछली सरकार ने जहां भी भ्रष्टाचार हो सकता था, होने दिया गया, करने दिया गया।वर्तमान सरकार जहां भी भ्रष्टाचार पिछली सरकार में हुआ है,वहां ऐसी व्यवस्था की गई है कि कोई भ्रष्टाचार न कर सके।

पिछले कुछ महीने में पिछली सरकार के भ्रष्टाचार के इतने मामले सामने आ चुके है कि जनता को लगता है कि यह सरकार जनता की सेवा करने आई थी या भ्रष्टाचार का रिकार्ड बनाने के लिए आई थी।जब भाजपा सरकार की जगह कांग्रेस की सरकार आई थी तो सब समझते थे यह तो साफसुथरी सरकार है, चार साल तक कोई मामला इस सरकार का सामने नहीं आया लेकिन पांचवें साल इतने मामले सामने आए कि सरकार के लिए बचाव करना मुश्किल हो गया, हमेशा सीएम यही कहते थे कि उनकी सरकार और उनको बदनाम करने की कोशिश की जा रही है।

अब पिछली सरकार के समय हुए भ्रष्टाचार के मामलों के कारण सरकार तो बदनाम हो गई है तो जो बदनाम हो जाता है, जिसका दामन दागदार होता है,वह क्या करता है।जिसका दामन साफ है,उसके दामन में कहीं जरा सा दाग ढूंढने की कोशिश करता है ताकि जनता को बता सके कि देखो यह सरकार भी हमारी सरकार से अलग नहीं है। हमारे समय कुछ गलत हुआ है तो इनके समय भी यह गलत हो रहा है।कांग्रेस नेताओं को कुछ नहीं मिला साय सरकार के मनपसंद एप को लेकर जनता को यह बताने की कोशिश कर रही है, सरकार यह गलत कर रही है।

एप सरकार ने शराब पीने वालों की सुविधा के लिए बनवाया है।इस एप के जरिए ग्राहक यह जान सकेंगे कि किस दुकान में किस ब्रांड की शराब मिल रही है ताकि वह उस दुकान में जाकर अपनी पसंद की शराब खरीद सकें।इस एप से लोग शिकायत भी कर सकेंगे कि किस दुकान में किस ब्रांड की शराब नहीं मिल रही है।इससे सरकार को यह भी पता चल सकेगा कि किस ब्रांड की मांग राज्य में ज्यादा है।इस बात को लेकर कांग्रेस नेता सरकार की आलोचना कर सकते है, लेकिन हकीकत यह है कि छत्तीसगढ़ की एक बड़ी आबादी शराब पीती है। इससेे सरकार को बड़ी आय होती है।ग्राहकों को सुविधा देने में कोई बुराई नहीं है ।

यह कोई गलत काम नहीं है।सब कुछ सबके सामने हो रहा है।ऐसे में सरकार के नियंत्रण वाले इस काम को गलत बताने की कोशिश करना हास्यापद है कम से कम कांग्रेस नेताओं के लिए।वह तो अपने समय में आबकारी मंत्री का अधिकार ऐसे व्यक्ति को दे दिया था जो जितनी असली शराब बिकती थी, उससे ज्यादा नकली शराब सरकारी दुकानों में बिकवाता था ,जिस ब्रांड में ज्यादा कमीशन मिलता था, वह ज्यादा दुकानों में रखी जाती थी और लोगों को खरीदने को  मजबूर किया जाता था। अपने कर्मों के कारण वे तमाम लोग जो शराब घोटाले के आरोपी है आज जेल में है।

आज खुशी की बात है कि साय सरकार के समय कम से कम ऐसा कुछ नहीं किया जा रहा है।,ऐसा कुछ होने नहीं दिया जा रहा है।शराबबंदी की बात तो कांग्रेस को करनी ही नहीं चाहिए क्योंकि उसने महिलाओं का वोट लेने के लिए शराबबंदी का वादा किया लेकिन जैसे ही पता चला कि इससेे तो पैसा कमाया जा सकता है, सरकार ने पांच साल शराबबंदी नहीं की। यह भूपेश बघेल सरकार की सबसे बड़ी असफलता है।वह कांग्रेस के सबसे बड़े नेता है और जो वादा किया वह पूरा नहीं कर सके। आज वह साफ दामन वाले साय सरकार के प्रति शक पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं कि हमारे समय शराब में भ्रष्टाचार हो सकता है तो साय सरकार के समय भी हो सकता है लेकिन साय सरकार ने जनता के बीच घोषणा की है कि आबकारी विभाग उनके पास रहेगा।उन्होंने आबकारी विभाग अपने रखा ही नहीं, उसमें ऐसी व्यवस्था की है कि कहीं कोई भ्रष्टाचार न  कर सके। 

ऐसा करके उन्होंने खुद को भूपेश बघेल से बेहतर सीएम साबित किया है।भूपेश बघेल सिर्फ मजाक उ़ड़ा सकते हैं, उससे साय का कुछ नहीं बिगड़ता है, उन्ही की भद पीटती है कि सत्ता जाते ही यह आदमी कितना नीचे स्तर की बात करने लगा है।भूपेश बघेल ने लिखा है कि शराब है खराब, ज्यादा बेचेंगे जनाब, ऐसा करते वक्त उनसे भी तो पूछा जा सकता था कि आपने कितनी शराब की खपत अपने वक्त में कम की थी।उन्होंने कहा है कि हमने बनाया है, हम ही पिलाएंगे तो सवाल उनसे भी पूछा जा सकता है क्या आपकी सरकार शराब नहीं पिलाती थी, घर पहुंचाकर शराब कौन देता था।कांग्रेस शराब के मामले में एक आरोप लगाएगी तो सौ आरोप उस पर लगाए जा सकते हैं क्योंकि शराब के मामले में उसका रिकार्ड बहुत खराब है।



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