राजिम कुंभ कल्प 2025: धर्म, आस्था और संस्कृति का त्रिवेणी संगम

Posted On:- 2025-02-11




राज्यपाल रमेन डेका 12 फरवरी को करेंगे शुभारंभ

गरियाबंद (वीएनएस)। छत्तीसगढ़ के प्रयाग के नाम से प्रसिद्ध राजिम में माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक राजिम कुंभ कल्प का आयोजन किया जा रहा है। इस बार राजिम कुंभ कल्प लगभग 54 एकड़ क्षेत्र में फैले नया मेला स्थल चौबे बांधा राजिम में होगा। राजिम कुंभ (कल्प) 12 फरवरी से शुरू होकर 26 फरवरी तक चलेगा। 

राज्यपाल रमेन डेका मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होकर 12 फरवरी को कुंभ कल्प का शुभारंभ करेंगे। शुभारंभ समारोह में विशिष्ट अतिथि दंडी स्वामी डॉ. इन्दुभवानन्द तीर्थ जी महाराज, शंकराचार्य आश्रम रायपुर, राजेश्री महंत रामसुंदर दास जी महाराज, दूधाधारी मठ रायपुर, स्वामी राजीव लोचन दास जी महाराज छत्तीसगढ़, महंत राधेश्याम दास जी महाराज, महंत दिव्यकान्त दास जी महाराज, सिद्धिविनायक मंदिर रतनपुर, महंत त्रिवेणी दास जी महाराज खरसिया रायगढ, साध्वी महंत प्रज्ञा भारती जी महाराज जबलपुर, मध्यप्रदेश, पूज्य डॉ. संजय कृष्ण सलिल जी महाराज नारायण सेवा संस्थान उदयपुर राजस्थान, महंत उमेशानंद गिरी जी महाराज, सिद्धि विनायक आश्रम राजिम, संत विचार साहेब जी महाराज, कबीर संस्थान गोबरा नवापारा रायपुर, स्वामी डॉ. राजेश्वरानन्द जी महाराज, सुरेश्वर महादेव पीठ रायपुर, दंडी स्वामी सच्चिदानंद तीर्थ जी महाराज, चक्र महामेरुपीठम मुगेली, पीठाधीश्वर द्वारकेश जी महाराज, महाप्रभु वल्लभाचार्य प्राकट्य स्थल, चंपारण्य, महंत नरेंद्र दास जी महाराज, राष्ट्रीय महामंत्री अखिल भारतीय पंच रामानंदी निर्माेही अखाड़ा, आचार्य स्वामी राकेश जी महाराज, आर्य समाज प्रमुख छत्तीसगढ़, संत कौशलेन्द्र रामजी महाराज, अध्यक्ष राम नाम सत समाज सारंगढ़, बालयोगेश्वर बालयोगी रामबालक दास जी महाराज, पाटेश्वर धाम बालोद, महंत सर्वेश्वर दास जी महाराज, प्रदेश अध्यक्ष, अखिल भारतीय संत समिति, संत परमात्मानंद जी महाराज गोरखपुर धाम पेंड्रा मध्यप्रदेश, संत युधिष्ठिर लाल जी महाराज शद्दाणी दरबार रायपुर, संत गोवर्धन शरण जी महाराज, सिरकट्टी आश्रम कुटेना गरियाबंद सहित सम्माननीय संत विशिष्टि अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे।

राजिम कुंभ कल्प में प्रतिदिन शाम 6ः30 बजे महानदी आरती का आयोजन किया जायेगा। इसी तरह सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रतिदिन शाम 4 बजे से एवं संध्या 7 बजे से कार्यक्रम स्थल मुख्य मंच, नया मेला स्थल चौबे बांधा राजिम में होगा।

इसी तरह 13 से 19 फरवरी 2025 को संत समागम स्थल संत समागम स्थल, राजिम में पूज्य डॉ. संजय कृष्ण सलिल जी महाराज नारायण सेवा संस्थान उदयपुर राजस्थान द्वारा शाम 4 बजे से 7 बजे तक भागवत कथा का आयोजन होगा। इसी प्रकार 21 से 25 फरवरी 2025 को संत गुरूशरण जी महाराज (पण्डोखर सरकार) दतिया, मध्यप्रदेश द्वारा सत्संग दरबार का आयोजन होगा। इसके अलावा 12 से 26 फरवरी 2025 तक शाम 4 बजे से रात्रि 10 बजे तक नया मेला स्थल चौबे बांधा राजिम में राष्ट्रीय एवं आंचलिक कलाकारों की प्रस्तुतियां होगी।

राजिम कुम्भ (कल्प) मेला : 

भारतीय संस्कृति में तीर्थों एवं तीर्थयात्रा का बहुत महत्व है। चारधामों-उत्तर में बद्रीनाथ (सतयुग), दक्षिण में रामेश्वरम (त्रेतायुग), पश्चिम में द्वारिका (द्वापर युग) और पूर्व में पुरी (कलियुग) की यात्रा प्राचीनकाल से आज भी जारी है। विभिन्न पुराणों में तीर्थ स्थलों एवं उनकी यात्रा के महात्म्य पर विस्तृत आख्यान मिलता है। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में महानदी-पैरी- सोंधूर नदियों के त्रिवेणी संगम के समीप स्थित राजिम यहाँ का सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ है। श्रीमद्राजीवलोचन महात्म्यम् नामक ग्रंथ में राजिम तीर्थ का वर्णन पद्मक्षेत्र या कमलक्षेत्र के रूप में मिलता है। राजीवलोचन (विष्णु) और कुलेश्वर (शिव) का यह संयुक्त धाम हरिहर क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है। मान्यता है कि जगन्नाथपुरी की यात्रा, राजिम स्थित साक्षी गोपाल के दर्शन से ही पूरी होती है। यही लोकमान्यता राजिम को साक्षी तीर्थ के रूप में प्रतिष्ठित करता है। भीष्म पर्व (महाभारत) में महानदी को चित्रोत्पला गंगा, कालिका खंड ग्रंथ के चित्रोत्पला महात्म्य में पैरी को प्रितोद्धारिणी और वामन पुराण में सोदूर को सुदामा कहा गया है। यहाँ के धार्मिक जीवन में महानदी-पैरी-सोंदूर नदियों के संगम को पवित्र मानते हुए पर्वस्नान, दान, श्राद्ध, तर्पण, पिण्डदान आदि संस्कारगत धार्मिक कार्य संपन्न किये जाते हैं। 

इसे प्रयाग संगम के समान ही पवित्र मानते हैं। प्रतिवर्ष माघ माह की पूर्णिमा तिथि से लेकर महाशिवरात्रि तक यहाँ विशाल मेला भरता है जिसे स्थानीय परंपरा में धार्मिक मेला कहा जाता है। सदियों पुराने इस मेले को ही राजिम कुम्भ (कल्प) के रूप में अधिमान्यता दी गई है जिसके फलस्वरूप अब कल्प-प्रवास, पर्व-स्नान, धर्म-प्रवचन, संत-समागम में भाग लेने न केवल देश भर से हजारों तीर्थयात्री, नागा साधु-सन्यासी, विभिन्न पंथ-अखाड़ों के संत-महंत, मण्डलेश्वर-महामण्डलेश्वर और जगद्गुरू शंकराचार्य जैसे शीर्ष धार्मिक प्रतिनिधियों का यहाँ आगमन होता है वरन् अनेक विदेशी यात्री भी इस अनूठे आयोजन का साक्षी बनने पधारते हैं। प्रचलित लोकविश्वास है कि सृष्टि के आरंभ में भगवान विष्णु के नाभि कमल की एक पंखुड़ी पृथ्वी पर गिर गई। जहाँ यह पंखुड़ी गिरी वह भूभाग पद्मक्षेत्र कहलाया, जो वर्तमान कुलेश्वर को केन्द्र मानकर चम्पेश्वर, बावनेश्वर, फिंगेश्वर, कोपेश्वर और पटेश्वर- इन पांच शिवालयों का सम्मिलित क्षेत्र माना जाता है। आज भी इस पद्मक्षेत्र की प्रदक्षिणा अर्थात् राजिम की पंचकोशी यात्रा का विशेष धार्मिक महत्व है।

राजिम कुम्म (कल्प) मेला के दौरान यज्ञ, प्रवचन, कीर्तन, भजन और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। इस आयोजन ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ को धार्मिक पर्यटन के केन्द्र के रूप में पहचान दिलाई है। यह आस्था, परंपरा और संस्कृति का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करते हुए आध्यात्मिक शांति और सामाजिक समरसता का संदेश देता है।




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