छापा पड़ने से भी तो सवाल पैदा होते हैं....

Posted On:- 2025-03-10




सुनील दास

राजनीति में सभी दलों के नेता चाहते हैं कि जनता के बीच उनकी छवि ईमानदार व काम करने वाले नेता की बनी रहनी चाहिए।क्योंकि जनता उसी नेता व पार्टी को पसंद करती है जो ईमानदारी को महत्व देती है, चुनाव जीतने में भी इस बात का बड़ा महत्व होता है।जिस नेता व पार्टी के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लग जाता है, वह जनता की नजर से उतर जाता है।सत्ता में कोई भी पार्टी रहे, उस पर भ्रष्टाचार के आरोप तो लगते ही हैं। बहुत ही कम सरकार के मंत्री ऐसे होते हैं जिन पर सत्ता में रहते हुए भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लगते हैं।

जब रमन सिंह सरकार थी तो कांग्रेस ने सरकार पर कई तरह के आरोप लगाए थे,भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे।कांग्रेस नेताओं ने नान घोटाले का आरोप लगाया था,लेकिन कांग्रेस आरोप भर लगाती रह गई, न वह उसकी जांच करा पाई न ही रमन सिंह सहित किसी भाजपा नेता के यहां छापा मरवा सकी, न ही उनके समय किसी एजेंसी के पास ऐसा कोई सबूत था कि वह भाजपा के किसी नेता को गिरफ्तार करती।रमन सिंह के समय कांग्रेस रमन सिंह की साफसुथरी छबि को खराब करने के लिए आराेप पर लगाती रही। राज्य की जनता ने कांग्रेस के आरोप पर कभी ध्यान नहीं दिया।

रमन सिंह को जनता ने १५ साल राज्य की सेवा करने का मौका दिया। रमन सिंह की सरकार हारी तो उसका कारण उनके राज्य में हुआ कोई भ्रष्टाचार नहीं था। माना जाता है कि रमन सिंह की सरकार तो इसलिए गई थी कि उन्होंने किसानों से किया वादा पूरा नहीं किया।रमन सिंह के सत्ता से हटने के बाद कांग्रेस चाहती तो रमन सिंह सरकार पर भ्रष्टाचार के जो आरोप लगाए थे, उसकी जांच करा सकती थी, रमन सिंह सहित भाजपा नेताओं को गिरफ्तार करा सकती थी लेकिन वह ऐसा नहीं कर सकी इस आधार पर तो यही माना जाता है कि कांग्रेस सरकार के पास भ्रष्टाचार का कोई सबूत नहीं था इसलिए न तो जांच करा सकी और नही किसी भाजपा नेता को गिरफ्तार करा सकी।

इसके विपरीत कांग्रेस सरकार के जाने के बाद उन तमाम मामलों की जांच हो रही है जिसके आरोप भाजपा लगाया करती थी। चाहे कोल घोटाला हो, शराब घोटाला हो,महादेव सट्टा एप घोटाला हो। सभी  मामले में छापे मारे जा रहे हैं, सबूत एकत्र किए जा रहे हैं, सबूत के आधार पर जांच हो रही है बताया भी जा रहा है कोई घोटाला कैसे किया गया है और कांग्रेस नेता और कांग्रेस नेताओं के खास लोग गिरप्तार भी किए जा रहे हैं। कई लोगों को कई महीने जेल में रहने के बाद बेल मिल गई है तो कुछ लोगों के खिलाफ जांच चल रही है उनके जेल जाने का वक्त आ गया है। 

किसी नेता की गिरफ्तारी के लिए जांच एजेंसी के पास सबूत होना जरूरी है। जब उसके पास कोई सबूत होता है,कोई आधार होता है तो वह पहले नेता के घर छापा मारती है।छापे में कुछ और सबूत मिलते हैं तो नेता को पूछताछ के लिए बुलाया जाता है, पूछताछ में जब और सबूत मिलते हैं तो उसके पास गिरफ्तारी की जाती है। जब भी भ्रष्टाचार के मामले में किसी नेता से पूछताछ की जाती है,छापा मारा जाता है तो संबंधित पार्टी के लोग खुद ही जज बन जाते हैं और अपने नेता के बेगुनाह होने का फैसला सुनाने लगते हैं। किसी एक नेता से पूछताछ भर होने से वह चिल्लाने लगते हैं कि लोकतंत्र का चीरहरण हो रहा है, लोकतंत्र खतरे में हैं, संविधान खतरे में हैं। जांच एजेसी का दुरुपयोग कर पार्टी को बदनाम किया जा रहा है, नेताओं की छबि खराब की जा रही है।

 नेता के समर्थक जांच एजेंसी की जांच का विरोध शुरू कर देते हैं।उसके घर के बाहर नारेबाजी शुरू कर देते हैं।वह जानते हैं कि उनकी नारेबाजी से जांच रुकने वाली नहीं है लेकिन अखबार में खबर तो छपेगी कि नेता के यहां जांच होने पर उनकी पार्टी के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया था. यह सुनकर,पढ़कर उस नेता को अच्छा  लगता है कि मेरी पार्टी के लोग मेरे साथ हैं। सब जानते हैं कि सरकारी एजेंसी किसी बड़े नेता के यहां यूं ही छापा नहीं मारती है, उसके पास कोई आधार होता है तब जाकर वह किसी बड़े नेता पर हाथ डालती है। किसी नेता के यहां छापा पड़ता है तो लोग य अनुमान भी लगाते हैं कि अब इस नेता की गिरफ्तारी होगी। क्योंकि गिरफ्तारी के पहले छापा मारा जाता है, यानी माना जाता है कि छापा पड़ा है तो अब गिरफ्तारी होगी।

कांग्रेस के कई नेताओं,उनके समर्थकों की गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस के सबसे बड़े नेता भूपेश बघेल के यहां छापा सोमवार को मारा गया है.उनके घर सहित कई जगह ईडी ने छापा मारा है, जांच कर रही है, पूछताछ कर रही है।कांग्रेस नेेताओं का विरोध शुरू हो गया है,वही सब कहा जा रहा है जो पहले छापों के बाद कहा गया था।पूर्व सीएम व कांग्रेस महासचिव भूपेश बघेल ने छापे के बाद सोशल मीडिया पर कहा है कि यह छापा पंजाब में कांग्रेस को रोकने के लिए मारा गया है तो यह उसकी गलफहमी है। यानी भूपेश बघेल कह रहे हैं कि उनके यहां छापा किसी भ्रष्टाचार के कारण नहीं मारा गया है,राजनीतिक कारण से मारा गया है।

वही ईडी की  तरफ से जारी नोट में कहा गया है कि शराब घोटाले के संबंध में १४ जगह छापे मारे गए हैं।नोट में यह भी बताया गया है कि भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल शराब घोटाले से उत्पन्न अपराध की आय के प्राप्तकर्ता हैं।वहीं सरकार की तरफ डिप्टी सीएम अरुण साव का कहना है कि भूपेश सरकार के समय कई घोटाले हुए हैं।उनके कई सहयोगी इन घोटालों में जेल में हैं।ईडी सामान्य प्रक्रिया के तहत घोटालों की जांच कर रही है।ईडी जांच करने भूपेश बघेल के घर गई है।इसे राजनीति से जोड़कर बताना भ्रम फैलाने की कोशिश है।

हर छापे के बाद कई तरह की चर्चा भी शुरू हो जाती है कि छापे के बाद अब किसकी गिरफ्तारी होगी। किस किस की गिरफ्तारी होगी। पिता की गिरफ्तारी होगी या पिता के साथ पुत्र की भी गिरफ्तारी होगी या पुत्र के साथ जिन लोगों के यहां छापा पड़ा है, उन लोगों की गिरफ्तारी होगी। किसी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते हैं तो कई सवाल उठते हैं, इसी तरह छापा पड़ता है तो भी नेता और पार्टी को लेकर कई सवाल पैदा होते हैं, जिनका बाद में राजनीतिक नुकसान होता है। जैसे दिल्ली में केजरीवाल के नेताओं के यहां छापा पड़ा और आप नेताओं की गिरफ्तारी हुई,वह जेल भेजे गए, इससे जनता के न में कई सवाल उठेे, इसका राजनीतिक नुकसान यह हुआ कि अपराजेय आप दिल्ली का चुनाव पहली बार हार गई।



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