सतत विकास लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए फील्ड में सही तरीके से लागू करना है : संभागायुक्त

Posted On:- 2025-03-12




सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) को लेकर तैयार की गई रिपोर्ट, दुर्ग जिला 71 अंक के साथ फ्रंट रनर

दुर्ग (वीएनएस)। राज्य नीति आयोग छत्तीसगढ़ द्वारा सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एस.डी.जी.) विषय पर संभाग स्तरीय एक दिवसीय उन्मुखीकरण व प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन भिलाई इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (बीआईटी) ऑडिटोरियम दुर्ग में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलित कर किया गया।

एक दिवसीय उन्मुखीकरण व प्रशिक्षण कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए संभागायुक्त एस.एन. राठौर ने सतत विकास लक्ष्य (सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स) को प्राप्त करने के तरीके पर चर्चा करते हुए कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्य इन गोल्स को फील्ड में सही तरीके से लागू करना है। उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र ने 2015 में 17 सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) निर्धारित किए थे, जिन्हें 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य दिया गया है। इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए जिला स्तर पर प्रगति की मॉनिटरिंग हेतु डिस्ट्रिक्ट इंडिकेटर फ्रेमवर्क (डीआईएफ) का निर्धारण किया गया है। श्री राठौर ने यह भी बताया कि एसडीजी के आधार पर जिलाधिकारियों द्वारा एसडीजी डैशबोर्ड में की गई एंट्री के आधार पर प्रतिवर्ष डिस्ट्रिक्ट प्रोगेस रिपोर्ट प्रकाशित की जाती है। इसके अलावा, समय-समय पर अधिकारियों की क्षमता निर्माण के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, ताकि वे इस क्षेत्र में हुई नवीन प्रगति से अवगत रह सकें।

उन्होंने कहा कि कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य भारत के प्रधानमंत्री द्वारा 2047 तक “विकसित भारत“ और “विकसित छत्तीसगढ़“ बनाने के लिए निर्धारित लक्ष्यों को कैसे प्राप्त किया जाए, इस पर विचार-विमर्श करना था। श्री राठौर ने रैंकिंग के बारे में भी जानकारी दी और कहा कि दुर्ग संभाग राज्य के औसत से एक रैंक आगे है। उन्होंने राजनांदगांव, मोहला-मानपुर और खैरागढ़ के प्रयासों की सराहना की, जिन्होंने 72 अंक हासिल किए, जबकि दुर्ग ने 71 अंक प्राप्त किए। वहीं, कबीरधाम (65 अंक) और बेमेतरा (69 अंक) हासिल किए हैं। इन दोनों जिलों को और मेहनत करने की जरूरत है। संभागायुक्त ने कहा कि सभी जिलों के कलेक्टर, सीईओ जिला पंचायत और विभागों के अधिकारियों को एकजुट होकर रैंकिंग में सुधार करने और राज्य तथा देश को आगे बढ़ाने के लिए अधिक प्रयास करने की अपील की। उन्होंने कहा कि हमें अपनी पूरी ईमानदारी और क्षमता से मेहनत करनी चाहिए, ताकि हम भारत को 2047 तक विकसित भारत और छत्तीसगढ़ को विकसित राज्य बना सकें।

कलेक्टर अभिजीत सिंह ने सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजी) के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह एक लंबी प्रक्रिया है, जिसकी शुरुआत मिलेनियम डेवलपमेंट गोल्स (एमडीजी) से हुई थी। उन्होंने कहा कि जब वे स्कूल, कॉलेज या प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे थे, तो समाचार पत्रों में इन गोल्स के बारे में पढ़ते थे। ये गोल्स विभिन्न पहलुओं जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, कौशल विकास और रोजगार पर आधारित थे। इन लक्ष्यों के माध्यम से कई देशों और राज्यों ने महत्वपूर्ण कदम उठाए और कई सफलताएं प्राप्त की। उन्होंने राज्य नीति आयोग का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने राज्य और जिले स्तर पर लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक ढांचा तैयार किया। इसके लिए डिस्ट्रिक्ट इंडीकेटर फ्रेमवर्क तैयार किया गया है, जिसमें 82 अलग-अलग इंडीकेटर्स को शामिल किया गया है। इसके जरिए जिला और राज्य स्तर पर प्रदर्शन की रैंकिंग की जाती है। उन्होंने बताया कि राज्य स्तर पर हम दो पायदान ऊपर हैं। दुर्ग जिले को फ्रंट रनर की श्रेणी में स्थान प्राप्त हुआ है। इस सफलता के लिए संभाग के सभी जिलों के अधिकारियों को बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि इस प्रकार की कार्यशाला आयोजित कर राज्य को नई ऊचांईयांे पर ले जाएंगे।

राज्य नीति आयोग के सदस्य सचिव के. सुब्रमण्यम ने कहा कि सतत विकास लक्ष्य के बारे में विस्तार से समझाते हुए बताया कि विकास केवल आर्थिक वृद्धि पर निर्भर नहीं होता। समावेशी विकास की अवधारणा यह है कि यदि विकास का लाभ सबसे निचले स्तर तक नहीं पहुँचता, तो वह असल में विकास नहीं माना जा सकता। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने 2000 में सहस्त्रादि लक्ष्य (मिलेनियम डेवलपमेंट गोल्स) निर्धारित किए थे, जिसमें 8 गोल थे, और 2015 तक इन लक्ष्यों को प्राप्त करने की उम्मीद थी। राज्य ने 17 गोलों में से 16 लक्ष्य चुने, जो राज्य के लिए अधिक प्रासंगिक थे, और इनमें से एक समुद्र तटीय क्षेत्रों से संबंधित था। राज्य ने 106 टारगेट निर्धारित किए और 275 इंटिगेटर के आधार पर मूल्यांकन शुरू किया। राज्य की प्रगति तभी संभव है, जब जिलों की प्रगति पर ध्यान दिया जाए। इसके लिए छत्तीसगढ़ ने डाटा को जिला स्तर पर आगे बढ़ाने की दिशा में कदम बढ़ाया। इसके लिए “डिस्ट्रिक्ट इंडिकेटर फ्रेमवर्क“ (डीआईएफ) को लागू किया गया, जो देश में एक अनूठी पहल मानी जा रही है। सफलता का प्रमुख पहलू आंकड़ों की गुणवत्ता पर निर्भर करता है। आंकड़े प्रमाणिक (विश्वसनीय) होने चाहिए, और समय पर उपलब्ध होने चाहिए । इसके अलावा, उन्होंने यथार्थ आधारित आंकड़े तैयार करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया, ताकि हम अपने लक्ष्यों को सही दिशा में ले जा सकें।

एक दिवसीय उन्मुखीकरण व प्रशिक्षण कार्यशाला को राज्य नीति आयोग के सदस्य सचिव डॉ. नीतू गौरड़िया ने भी सम्बोधित किया। साथ ही राज्य नीति आयोग टीम द्वारा एसडीजी, डीआईएफ एवं एसडीजी डैशबोर्ड की मॉनिटरिंग के संबंध में प्रस्तुतीकरण दिया गया। जिला स्तर पर सांख्यिकी प्रणाली एवं आंकड़ों के संग्रहण के सुदृढ़ीकरण पर भी प्रकाश डाला गया। टीम द्वारा जिला स्तर पर एसडीजी का स्कोप एवं एकीकरण पर प्रतिभागी अधिकारियों के साथ चर्चा एवं उनकी शंकाओं का समाधान किया गया। इस अवसर पर आईजी रामगोपाल गर्ग, एडीएम अरविंद एक्का, पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र शुक्ला, एसडीएम हरवंश मिरी, सीईओ जिला पंचायत बजरंग दुबे सहित संभाग स्तरीय कार्यक्रम में सातों जिलों के सीईओ एवं जिलाधिकारी उपस्थित थे।



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