रायपुर (वीएनएस)। सन्मति नगर फाफाडीह में ससंघ विराजित आचार्य विशुद्ध सागर महाराज ने शनिवार को कहा कि जो पीड़ा अस्त्र और शस्त्र से नहीं होती, वह पीड़ा व्यक्ति को मानसिक तनाव से होती है। यदि कोई बाहर से मारना चाहे तो सामने वाला बचता है, लेकिन जो अस्त्र-शस्त्र हमारे मन में है उससे बचने की क्षमता किसी के पास में नहीं है। इस हिंसा को बढ़ावा एकांत दे रहा है। इस हिंसा से बचना चाहते हो तो अनेकांत की दृष्टि खोल दो। जितने विश्व में बाहर से हिंसक हैं वे मन में हिंसा का भाव रखते हैं।
आचार्यश्री ने कहा कि भावों की पीड़ा,क्लेश की पीड़ा,संक्लेषता की प्रवृत्ति से अंतर्मन में जो झुलस रहे, चाहे विषमता के कारण,चाहे धन और धरती के कारण दुखी हो, अपमान से दुखी हो,लेकिन आप किसी को कह नहीं पा रहे,अंदर ही अंदर दुखी हो। यह कष्ट कौन दे रहा है,यहां कोई मारते दिखाई नहीं पड़ रहा,पर पिटाई से आप बच नहीं पा रहे हो। पीड़ा, कष्ट, वेदना,आपत्तियां और विपत्तियां सब पापकर्म के कारण है,इस प्रवृति को छोड़ दो। ऐसा निर्णय लो कि स्वयं से खड़े हो, स्वयं के शरीर में उठने की क्षमता नहीं तो सहारा भी काम नहीं आता है। सहारा वहीं काम में आता है जब सामर्थ्य आ जाता है। एक समय की पर्याय को समझिए। यदि एक समय की पर्याय चली गई तो कष्ट भी उसके साथ चले जाएगा। जिसके पास धन आएगा उसके पास से गरीबी दीपक के जलने पर अंधकार की भांति दूर हो जाएगी। धन बढ़ने पर दरिद्रता अपने आप चली जाती है और धन की हानि होने पर दरिद्रता अपने पैर पसार लेती है।
मनुष्य जन्म को सार्थक बनाओ : मुनिश्री निर्मोह सागर
मुनिश्री निर्मोह सागर ने कहा कि मनुष्य जन्म मिला है तो सार्थक बना लो। नियमों का पालन करों। देव,धर्म और गुरु की शरण में जाओ। क्या पता पशु बन जाते तो कैसी दशा रहती। जैसे घर में रहकर मंदिर जाने का केवल विचार करने मात्र से हजार उपवास का फल मिलता है। मंदिर जाने के लिए सड़क पर उतर जाने पर लाख उपवास का फल मिलता है। मंदिर में देव दर्शन कर लेने से करोड़ों-करोड़ों उपवास का फल मिलता है। यदि कोई आपको देखकर जाने लग जाए तो पुण्य प्रबल होता है। मंदिर भी जाओ तो कैंची मत बनो सुई धागा बनो। कोई दीप के जगह धूप चढ़ा दे तो रोको मत। किसी से कोई गलती हो जाए तो डांटना नहीं समझना। चाहे कुछ भी हो जाए हमेशा बनिए बिगडो मत।
गुरु भक्तों ने आचार्यश्री का पाद प्रक्षालन कर लिया आशीर्वाद
विशुद्ध वर्षा योग समिति के उपाध्यक्ष अनिल बाकलीवाल, सह सचिव सुमीत पांड्या ने बताया कि आज मंगलाचरण कविता जैन,स्वाति जैन एवं सहयोगियों ने किया। दीप प्रज्वलन,आचार्यश्री का पाद प्रक्षालन और श्रीफल अर्पण राजीव कुमार, प्रवीण कुमार,उमंग कुमार,ऋषभ जैन रानीपुरा वाले भिंड एवं श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर टैगोर के पदाधिकारियों ने किया। महिला मंडल ने शास्त्र भेंट किया। इस अवसर पर पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर टैगोर नगर के संरक्षक पंडित शरद जैन, अध्यक्ष पुष्पेंद्र जैन, उपाध्यक्ष शिशिर जैन, सचिव प्रियांक जैन, कोषाध्यक्ष सौरभ जैन, सह सचिव नितिन जैन,शिशिर जैन, रजनीश जैन, अमित जैन सतना, अतुल जैन, संदीप जैन, निर्मल जैन, नवीन जैन ने आचार्यश्री से आशीर्वाद लिया। कार्यक्रम का संचालन अरविंद जैन और दिनेश काला ने किया। कार्यक्रम के अंत में जिनवाणी मां की स्तुति का पाठ ब्रम्हचारी पीयूष जी सतना ने किया। आचार्यश्री को श्रीफल अर्पण पंडित लवकुश,निश्चय पाटनी कोलकाता और भिंड,भिलाई,राजिम,दुर्ग,नेहरू नगर के गुरुभक्तों ने कर आशीर्वाद लिया। अंत में सकल दिगंबर जैन समाज रायपुर और उपस्थित सभी गुरु भक्तों ने आचार्यश्री को अर्घ्य समर्पित किया।
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