चीन की चेतावनी के बावजूद नैंसी पेलोसी का एशिया दौरा शुरू...

Posted On:- 2022-08-01




गोपनीय रखा गया ताइवान जाना

वाशिंगटन/नई दिल्ली (वीएनएस)। अमेरिका के House of Representative की स्‍पीकर नैंसी पेलोसी का आज से एशिया का दौरा शुरू हो रहा है। उनका ये दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब चीन ने इसको लेकर अमेरिका को बेहद कड़े शब्‍दों में चेतावनी दी है। अपने इस पहले एशिया दौरे पर नैंसी सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, जापान और मलेशिया जाएंगी। हालांकि अमेरिकी प्रशासन ने इस बात का खुलासा नहीं किया है कि नैंसी इस दौरे में ताइवान जाएंगी या नहीं। माना जा रहा है कि उनका ताइवान के दौरे को सुरक्षा के लिहाज से बेहद गोपनीय रखा गया है। इसकी वजह चीन की धमकी है। चीन ने एक दिन पहले ही कहा था कि यदि नैंसी का विमान अमेरिकी फाइटर जेट के साथ ताइवान में प्रवेश करता है तो वो उन्‍हें मार गिराएगा।

चीन की धमकी के मद्देनजर दौरे का फुलप्रूफ प्‍लान
हालांकि, चीन की इस तरह की धमकी की अपेक्षा अमेरिका को पहले से ही थी। यही वजह थी कि अमेरिका इसके लिए पहले से ही फुलप्रूफ प्‍लान बना रहा था। यदि नैंसी अपने इस दौरे में ताइवान जाती हैं तो ये अमेरिका और चीन के लिए भविष्‍य में तनाव को और बढ़ाने में काफी अहम साबित होगा। इस तनाव को कम करना दोनों ही देशों के लिए लगभग नामुमकिन होगा।

सिंगापुर से शुरू होगा नैंसी का एशिया का दौरा
एशिया के दौरे पर सबसे पहले नैंसी सिंगापुर जाएंगी। वहां पर उनकी मुलाकात सिंगापुर के पीएम और राष्‍ट्रपति से होगी। इसके बाद वो मलेशिया, दक्षिण कोरिया और जापान जाएंगी। उनके साथ जाने वाले अन्‍य सदस्‍यों में विदेश मामलों की कमेटी के अध्‍यक्ष ग्रिगरी मिक्‍स और परमानेंट सिलेक्‍ट कमेटी आन इंटेलिजेंस और आर्म्‍ड सर्विस कमेटी के सदस्‍य भी हैं। आपको बता दें कि नैंसी पेलोसी अमेरिका की तीसरे नंबर की ताकतवर नेता हैं। 1997 में आखिरी बार अमेरिकी सीनेट का स्‍पीकर इस तरह से एशिया दौरे पर आया था।

अमेरिका के विदेश मंत्री का बयान
चीन के खतरे और उसकी धमकी को देखते हुए अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने दो दिन पहले ही कहा था कि ताइवान को लेकर उनके और चीन के बीच में 40 वर्षों से अधिक समय से तनाव है। इसके बाद दोनों ही देश विवादों को भुलाकर शांति और स्थिरता के लिए आगे आए हैं।

चीन को बर्दाश्‍त नहीं ताइवान के मामले में दखल
बता दें कि अमेरिका चीन की वन चाइना पालिसी को मानता है। वन चाइना पालिसी के तहत ताइवान को इस तरह की तवज्‍जो देना चीन कभी बर्दाश्‍त नहीं कर सकता है।  चीन ताइवान को अपना ही हिस्‍सा मानता है। यही वजह है कि ताइवान के साथ किसी भी देश के आधिकारिक तौर पर कूटनीतिक संबंध नहीं हैं। न ही संयुक्‍त राष्‍ट्र से ताइवान को एक आजाद राष्‍ट्र के रूप में मान्‍यता मिली हुई है। ओलंपिक गेम्‍स में भी उसके खिलाड़ी चीन के उम्‍मीदवार के तौर पर शामिल होते हैं।



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