चुनाव आयोग हर चुनाव को पिछले चुनाव से बेहतर करने का प्रयास करता है। वह स्वतंत्र,निष्पक्ष चुनाव के साथ ही हर बार मतदान प्रतिशत बढ़ाने का प्रयास भी करता है। इसके लिए लोगों को महीनों तक जागरूर किया जाता है। कई तरह के आयोजन कर लोगों को बताया जाता हैकि आपका मतदान करना क्यों जरूरी है। इसके बाद भी राज्यों में चुनाव प्रतिशत बमुश्किल साठ व सत्तर प्रतिशत ही पहुंच पाता है। तीस से चालीस प्रतिशत लोग देश में मतदान ही नहीं करते हैं।
चुनाव आयोग की कोशिश तो रहती है शत प्रतिशत लोग मतदान करें। इस बार मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए राज्यों में बुजुर्गों व दिव्यांगों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। इससे हो सकता है कि इस बार चुनाव में कुछ प्रतिशत ज्यादा लोग मतदान करें। यह चुनाव आयोग की अच्छी पहले हैं। इसी के साथ चुनाव आयोग की यह पहल भी अच्छी है कि यदि कोई चुनाव लड़ रहा है तो उसे विज्ञापन जारी कर बताना होगा उसने क्या क्या अपराध किए हैं। इसी के साथ यदि पार्टी ने किसी अपराधी को टिकट दिया है तो उसे भी यह बताना होगा कि उसने अपराधी को टिकट क्यों दिया है।
चुनाव आयोग ने ऐसा करके लोगों को यह बताने की कोशिश की है कि अपने लिए अच्छा प्रत्याशी चुनना आपकी जिम्मेदारी है। साथ ही जनता को अच्छा प्रत्याशी देना राजनीतिक दलों की भी जिम्मेदारी है। पार्टी के आधार पर चुनाव होने के कारण जो प्रत्याशी जनता पर थोप दिया जाता है, उसमें से किसी एक को चुनना जनता की मजबूरी होती है।भले ही वह अपराधी क्यों हो। पहले तो राजनीतिक दल और प्रत्याशी यह बताते नहीं थे कि क्या अपराध किया है। अब कम से कम लोगों को यह पता तो रहेगा कि किस दल ने अपराधी को टिकट दिया है तथा उनके सामने दल का जो प्रत्याशी है , उसने आज तक क्या क्या अपराध किए है। यानी जनता को पता रहेगा कि जो प्रत्याशी है, वह क्या अपराध कर चुका है। ऐसे में जनता के लिए किसी अपराधी को चुनना मजबूरी नहीं होगी।
सबको पता रहेगा कि प्रत्याशी ने अपराध किए हैं, तो कम से कम जनता उसे चुनने से बचेगी। राजनीतिक दल भी अपराधी की हार तय मानकर प्रत्याशी बनाने से हिचकेंगे। अब तक राजनीतिक दल अपराधी,माफिया व बाहुबली को इसलिए टिकट देते थे कि वह अपने क्षेत्र में जीतनेवाला माना जाता था क्योंकि उसके खिलाफ कोई चुनाव लड़ने को तैयार नहीं होता था। अब चुनाव आयोग के नवाचार से स्थिति बदल रही है। इसका स्वागत किया जाना चाहिेए।
राजनीतिक दलों को भी चुनाव आयोग का सहयोग करना चाहिए।चुनाव आयोग चाहता है कि अच्छे लोग जनता के प्रतिनिधि चुने जाएं तो राजनीतिक दलों को भी अपराधियों को टिकट नहीं चाहिए। यदि कोई राजनीतिक दल किसी अपराधी को प्रत्याशी बना भी देता है तो यह जनता की जिम्मेदारी है कि उसे हरा दे।राजनीति का अपराधीकरण एक गंभीर समस्या है। इस समस्या का समाधान चुनाव आयोग तब ही कर सकता है जब राजनीतिक दल व जनता भी उसका सहयोग करे।
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