मॉस्को/नई दिल्ली (वीएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 8 से 9 जुलाई तक रूस की आधिकारिक यात्रा पर हैं। सोमवार शाम को मॉस्को पहुंचने पर पीएम मोदी का भव्य स्वागत हुआ और उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। प्रधानमंत्री मोदी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आमंत्रण पर 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए मॉस्को पहुंचे हैं।
यात्रा के पहले दिन, प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन के साथ महत्वपूर्ण बैठक की। इस बैठक में पीएम मोदी ने रूसी सेना में फंसे भारतीयों के मुद्दे को उठाया। तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए, रूस ने अपनी सेना में कार्यरत सभी भारतीयों को सेना से अलग करने का निर्णय लिया। यह निर्णय भारत की एक बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है।
समस्या की शुरुआत
पिछले कुछ महीनों में कई भारतीयों को अच्छी नौकरी या पढ़ाई का झांसा देकर रूस भेजा गया, जहाँ उन्हें यूक्रेन के खिलाफ लड़ाई में शामिल कर लिया गया। युद्ध में अब तक कम से कम चार भारतीय नागरिक मारे जा चुके हैं। इसी वजह से भारत सरकार ने रूसी सेना में भारतीयों की शीघ्र रिहाई का मुद्दा उठाया।
मामला कैसे सामने आया?
मई में, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मानव तस्करी नेटवर्क से जुड़े चार लोगों को गिरफ्तार किया। यह नेटवर्क युवाओं को आकर्षक नौकरी या विश्वविद्यालय में प्रवेश दिलाने का वादा करके रूस भेजता था, जहां उन्हें यूक्रेन में युद्ध के लिए मजबूर किया जाता था। सीबीआई ने बताया कि इस तरीके से लगभग 35 भारतीयों को ठगा गया था।
अन्य दक्षिण एशियाई देशों की स्थिति
भारत के अलावा, श्रीलंका और नेपाल ने भी ऐसे तस्करी नेटवर्कों का खुलासा किया है। श्रीलंका के सेवानिवृत्त सैनिकों और नेपाल के बेरोजगार युवाओं को भी इसी तरह के झांसे में फंसाया गया था।
भारत सरकार के कूटनीतिक प्रयास
भारत ने कई कूटनीतिक प्रयास शुरू किए थे, लेकिन औपचारिक आश्वासन मिलना बाकी था। प्रधानमंत्री मोदी की मॉस्को यात्रा के दौरान भारतीय नागरिकों की रिहाई सुनिश्चित करना सर्वोच्च प्राथमिकता थी। विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने बताया कि 30 से 40 भारतीय पहले से ही वहां सेवा दे रहे थे और 10 भारतीयों को पहले ही वापस लाया जा चुका है।
नतीजा और भविष्य की दिशा
दो दिवसीय रूस यात्रा पर आए प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन के साथ निजी रात्रिभोज में यह मुद्दा उठाया। इस पर पुतिन ने अपनी सेना में कार्यरत सभी भारतीयों को सेना से अलग करने और उनकी भारत वापसी में मदद करने पर सहमति दी।
यह घटना भारत और रूस के लंबे समय के सहयोग और कूटनीतिक संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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